- हमारा ध्यान एशियन चैंपियंस ट्रॉफी जीत एशियाई खेलों के लिए बेहतर तैयार होने पर
- मैं फिलहाल डिफेंसिव मिडफील्डर के रूप में खेल रहा हूं
- अंतर्राष्ट्रीय मंच पर बढिय़ा प्रदर्शन करने पर जिम्मेदारी और बढ़ जाती है
- मैं आज जो कुछ भी हूं अशोक कुमार सर के मार्गदर्शन के कारण ही हूं
सत्येन्द्र पाल सिंह
चेन्नै : सदाबहार पूर्व कप्तान और मौजूदा टीम में सबसे ज्यादा 334 अंतराष्ट्रीय हॉकी मैच खेलने वाले सेंटर हाफ मनप्रीत सिंह भारतीय पुरुष हॉकी की टीम की रीढ़ हैं। मनप्रीत की तरह उन्हीं के नक्शेकदम पर चलने वाले और उन्हें अपना आदर्श मानने वाले 22 बरस विवेक सागर प्रसाद भारत के लिए 114 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल कर हमलों के सूत्रधार और रक्षण की अहम कड़ी के रूप में अब टीम की रीढ़ बन चुके हैं। विवेक सागर प्रसाद ब्रेडा में 2018 में सम्पन्न आखिरी चैंपियंस ट्रॉफी में रजत पदक और 2021 के टोक्यो ओलंनिपक में 41 बरस बाद कांसे के रूप में अपना पहला पदक जीतने वाली आठ बार की स्वर्ण पदक विजेता भारतीय टीम के सदस्य रहे ही अपने घर में पिछल एफआईएच हॉकी विश्व कप में नौवें स्थान पर रहने वाली टीम का हिस्सा थे। अपने जमाने में कलाकार के रूप में ख्यात भारत को 1975 में क्वालालंपुर में विश्व कप जिताने वाली अहम भूमिका निभाने वाले अशोक कुमार सिंह के काबिल शागिर्द हैं। विवेक सागर ने हॉकी का शुरुआती पाठ मध्य प्रदेश हॉकी अकादमी में अशोक कुमार सिंह जैसे चतुर हॉकी उस्ताद से सीखा। विवेक सागर फिलहाल यहां आठवीं एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में शिरकत कर रही भारतीय पुरुष हॉकी टीम का अहम हिस्सा हैं। चोट के कारण विवेक सागर 2016 में लखनउ में चीफ कोच हरेन्द्र सिंह के मार्गदर्शन में जूनियर पुरुष हाकी विश्व कप में स्थान बनाने से चूक गए थे। विवेक की सबसे बड़ी ताकत हॉकी की कलाकारी के साथ भारत हॉकी टीम के हर उस्ताद के मार्गदर्शन में उसी के मुताबिक खेलने की क्षमता है।
ग्राहम रीड के ओडिशा हॉकी विश्व कप में भारत के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद चीफ कोच के पद से इस्तीफा देने के बाद चीफ कोच की जिम्मेदारी संभालने वाले क्रेग फुल्टन की रणनीति के मुताबिक विवेक सागर प्रसाद ने अपने खेल को पिछले करीब ढाई महीने में ढाला है। इस बाबत पूछे जाने पर विवेक सागर कहते हैं, ‘टीम का कोच कौन होगा इसका फैसला करने का अधिकार तो हॉकी इंडिया का है। भारत के लिए करीब पिछले छह बरस से ज्यादा में मैं अलग-अलग हॉकी उस्तादों के मार्गदर्शन में खेला हूं। मैं तो हॉकी खिलाड़ी हूं। बेशक किसी भी कोच के मार्गदर्शन में उसकी रणनीति के मुताबिक खुद को ढालने में लगता है और नए चीफ कोच क्रेग फुल्टन की रणनीति के मुताबिक भी खुद को ढालने में बेशक कुछ वक्त लगा। टीम का कोच कोई भी हो मेरा फोकस हमेशा भारत के लिए हर मुकाबले और टूर्नामेंट में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर रहता है। आपको इसके लिए जेहनी तौर तैयार करना पड़ता है। भारत के लिए अब करीब सात बरस से खेलने से मैंने बतौर खिलाड़ी खुद को भारत के कोच के रूप में अलग-अलग हॉकी उस्तादों के मार्गदर्शन में उसके मुताबिक खेलना सीख लिया है।बतौर टीम फिलहाल हमारा ध्यान यहां एशियन चैंपियंस ट्रॉफी जीत एशियाई खेलों के लिए जेहनी तौर पर बेहतर तैयार होने पर है। मैं खुशकिस्मत हूं कि हमारी टीम में मनप्रीत सिंह और हार्दिक सिंह जैसे चतुर और अनुभवी सेंटर हाफ हैंै। जब आप अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो बतौर खिलाड़ी आपसे अपेक्षाओं के साथ जिम्मेदारी भी बहुत बढ़ जाती है। मैं अब मौजूदा भारतीय हॉकी टीम में मूलत: रक्षात्मक सेंटर हाफ के रूप में खेल रहा हूं लेकिन मौका मिलने और टीम की जरूरत के मुतबिक पर आगे खुद हमले के लिए भी जाता हूं। अब भारतीय टीम में मेरी जिम्मेदारी प्रतिद्वंद्वी टीम के गोल के हमलों को नाकाम करने साथ अपने साथियों को आगे गोल के अभियान में मदद करने की है। हमारी मौजूदा टीम में हर खिलाड़ी टीम की जरूरत के मुताबिक एक साथ दो भूमिकाएं निभा रहे हैं। अब भारतीय टीम में मैं डिफेंसिव मिडफील्डर के रूप में खेल रहा हूं कि लेकिन मौका मिलने पर आक्रामक सेंटर हाफ के रूप में साथी स्ट्राइकर की ओर बराबर गेंद बढ़ाने की कोशिश करता हूं। अनुभवी होने के साथ बतौर खिलाड़ी आप पर अपनी भारतीय टीम को बड़ा टूर्नामेंट जिताने की जिम्मेदारी भी आती है। खिलाड़ी कोई भी हो उसके जीवन में ऐसा वक्त भी आता है जब आपका प्रदर्शन टीम और खुद अपने स्तर के मुताबिक नहीं रह पाता है। ऐसे में टीम के साथियों और प्रबंधन का आप पर भरोसा ही आपको इस दौर से निकलने में मदद करता है। मैं उन कुछ खुशकिस्मत खिलाडिय़ों में से एक हूं जिन्हे ऐसे में टीम प्रबंधन और अपने साथी खिलाडिय़ों का बराबर सहयोग मिला। मैं आज जिस मुकाम पर पहुंचा हूं वह अपने कोच अशोक कुमार सिंह के मार्गदर्शन के कारण हूं। उनका मार्गदर्शन न मिलता तो शायद मैं इस मुकाम तक न पहुंच पाता।’