संदीप ठाकुर
‘मोदी-चोर’ सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता
सुप्रीम कोर्ट ने बहाल कर दी है। तीन जजों की पीठ ने कहा कि निचली अदालत
के जज ने अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया, ऐसे में अंतिम फैसला
आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है। यह फैसला आते ही
कांग्रेस खेमे में खुशियां मनाई जाने लगीं। फौरन अधीर रंजन चौधरी तत्काल
स्पीकर के पास राहुल गांधी की अयोग्यता रद्द कराने पहुंच गए। दूसरे खेमे
में खामोशी दिखी। हालांकि सनद रहे कि अभी पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को मोदी
सरनेम केस में बरी नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में निचली अदालत और
हाई कोर्ट के फैसले पर अंतिम निर्णय आना बाकी है। राहुल गांधी सुप्रीम
कोर्ट से मिली राहत के बाद पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए।
उन्होंने छोटे से वक्तव्य में कहा कि आज नहीं तो कल सच्चाई की जीत होती
है। उन्होंने कहा कि मेरा रास्ता साफ है। मालूम हाे कि जस्टिस बीआर गवई
,जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार की तीन-न्यायाधीशों की पीठ
राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट
ने ट्रायल कोर्ट द्वारा राहुल गांधी को दी गई दो साल की सजा पर रोक लगाने
से इनकार कर दिया था।
2019 के लोकसभा चुनाव में जब राहुल गांधी ने नीरव मोदी और ललित मोदी का
नाम लेते हुए कथित तौर से कहा था कि सारे मोदी चोर क्यों होते हैं। इसके
बाद गुजरात के विधायक पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ सूरत की अदालत में
मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। सूरत की अदालत ने इस मामले में राहुल
गांधी को दो साल की सजा सुनाई थी। दोष सिद्ध होते ही 23 मार्च 2023 को
उनकी संसद की सदस्यता चली गई थी। कानूनी तौर से सूरत के कोर्ट का फैसले
से राहुल राजनीतिक मुसीबत में फंसे थे। 2 साल की जेल और 6 साल के लिए
चुनाव लड़ने पर रोक से उनका राजनीतिक भविष्य भी अधर में लटका था। मगर इस
पूरे प्रकरण से राहुल गांधी को कहीं न कहीं सियासी फायदा ही पहुंच गया
है। कांग्रेस इस कानूनी प्रकरण को राजनीतिक रंग देने में सफल रही।
सवाल यह है कि राहुल गांधी की संसद सदस्यता कब और कैसे बहाल हाेगी।
जानकाराें के मुताबिक राहुल गांधी की ओर से लोकसभा सचिवालय को प्रतिवेदन
देना होगा। प्रतिवेदन में सुप्रीम कोर्ट के आज के आदेश का उल्लेख कर
लोकसभा सदस्यता बहाल करने की मांग करनी होगी। इसके बाद राहुल गांधी की
सदस्यता बहाल करने का आदेश जारी किया जा सकता है। इसमें समय सीमा नहीं
है। सनद रहे कि लक्षद्वीप के NCP सांसद मोहम्मद फैजल को जनवरी में अयोग्य
घोषित कर दिया गया था, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट से उनकी सदस्यता बहाल
कर दी गई थी। चुनाव आयोग ने कोर्ट से उनकी बहाली के पहले उप चुनाव की
घोषणा भी कर दी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उपचुनाव रद्द कर
दिया गया। राहुल गांधी के मामले में फिलहाल वायनाड के लिए उपचुनाव की
घोषणा नहीं हुई है। लोकसभा सचिवालय ने उन्हें दोषी करार दिए जाने के
फैसले के बाद सदस्यता समाप्त करने में जितनी जल्दबाजी दिखाई थी,उसे
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सदस्यता बहाल करने में भी उतनी ही तत्परता
दिखानी होगी। देखना है कि ऐसा होता है कि नहीं।