रविवार दिल्ली नेटवर्क
नई दिल्ली : विश्व में भारत की पहचान विभिन्नता में एकता की है।यहाँ के भेष-भुषा,मिन्न भिन्न जाति,धर्म – समप्रदाय ‘ विभिन्न भाषा के लोग एक साथ मिल जुल कर ना एक साथ रहते है बल्कि एक दुसरे के दुःख-सुःख हिस्सा लेते है।एक ऐसा ही उदाहरण विगत दिनों राजधानी दिल्ली के लुटियन जोन में देखने को मिला।महादेव रोड स्थित मीणाक्षी लेखी केन्द्रीय विदेश राज्यमंत्री के सरकारी निवास पर प्रगतिशील सिन्धीं समाज के सेवादारों द्वारा जय झुलेलाल साई के भव्य दरबार में भक्तिमय संगीत भजन संध्या का आयोजन किया गया।आज के इस भक्तिमय भजन संध्या में सिन्धी समाज के अर्न्तराष्टीय ख्याति प्राप्त भजन गायकों के ऐसा समा बाँधा गया कि झुले लाल साई के भक्त भाव विभोंर हो गए।आज के भक्तिमय भजन संध्या में मुझे सिन्धी समाज के सिर मौर्य व अग्रिम हस्तियाँ सामिल हुई,जिसमे संवाद सिन्धी के प्रधान संपादक ‘समाज सेवी ‘ स्पष्टवादी प्रखर प्रवक्ता,व मेरे अग्रज जेष्ट भ्राता श्रीकान्त भटिया के सौजन्य से विशेष बुलावें से सम्भव हुआ।इस कार्यक्रम में चार चाँद तब लग गया है।जब हमारी मुलाकत एक अपनी वाणी के धनी मधुर भाषी,हिन्दु मुस्लींम एकता के प्रबल समर्थक,गंगा यमुना सभ्यता के प्रतिनिधि व राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से दैनिक उदूँ समाचार पत्र दौरे ए जदीद के संपादक मो० सैदय तौसीब रज्जा भाई व उनके साथ मेरे अजीज दैनिक उदूँ समाचार पत्र ऑवमें हिन्द के संपादक हसन सुजा से रूबरू होने का स्वर्णिम अवसर मिला।आप को बता दें इस भव्य भजन संध्या के आयोजन हिन्दु मुस्लींम,सिख व कई घार्मिक संगठन के प्रतिनिधियो नेंअपनी उपस्थिति दर्ज कराई।प्रगतिशील सिन्धी समाज व सेवादारो समाज व राष्ट्र के निर्माण के लिए सैदव तत्पर रहने वाले व समाज के सच्चे प्रहरी के लोक तंत्र के चौथे स्तम्भ के सच्ची लगन निष्टा से समाज में जागरूकता व राष्ट्र प्रेम के लिए विनोद तकियावाला,वरिष्ट स्वतंत्र पत्रकार व स्तम्भकार को अंग वस्त्र,पुष्प भेट कर सम्मानित किया गया । उन्हे यह सम्मान पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योग्य दान के लिए सिंधी समाज के प्रगतिशील समाज नामक स्वयं सेवी संगठन द्वारा प्रदान किया गया ।जय झुले लाल साई के आर्शवाद स्वरूप प्रसादम् भेट की।ताकि उनकी लेखनी को और अधिक बल मिले जिससे वे निडर हो अपनी कलम से समाज व राष्ट्र की सेवा करते रहे। सर्व विदित रहे कि विनोद तकियावाला को उनके स्वतंत्र लेखन व उनके वहु चर्चित साप्ताहिक कालम “खबरीलाल”जिसका श्लोगन है – ना ही काहुँ से दोस्ती,ना ही काहुँ बैर।खबरीलाल तो माँगे,सबकी खैर॥अन्त में यह कहते हुए विदा लेने का अनोखा अदाज-फिर मिलेगें तीरक्षी नजर से तीखी खबर के संग।पाठको व प्रसंसको बहुत ही प्रसंद की जाती है। इनका लेख खबरीलाल नाम से इन दिनों दिल्ली ‘ उप्र ‘ हरियाणा ‘मध्य प्रदेश ‘ बिहार ‘झारखण्ड छतीशगढ़ ,हरियाणा व हिन्दी पट्टी राज्यों के सभी प्रमुख समाचार पत्र पत्रिकाओं में छपते रहते है।प्रगतिशील सिंधी समाज के मुख्य संयोजक विजय इसरानी ने कार्यक्रम की सफलता के लिए सेवादारों व अन्य अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।