सुरेश खांडवेकर
लोकसभा का चुनाव आने वाला है। जो सरकार में है उनके नेता आशंकाओं से घिरे हुए हैं और जो सरकार में नहीं है वे संभावनाओं डूबे हुए हैं।
अभी ऊंट बैठा नहीं है खड़ा ही है। बैठने के बाद पता चलेगा की किधर करवट लेता है। उसके करवट लेते ही दिशा और दशा उलट जाती है। अभी एनडीए और इंडिया अभी दो बड़े दिव्य मसाले वाले संगठन है।
खड़े-खड़े ऊंट कभी अपनी पीठ का पहाड़ देखता है तो कभी सामने और दाएं बाएं। उसकी पीठ पर तरह-तरह के मसाले हैं।वह तीन दिशाओं में गर्दन घुमाता रहता है। बड़ी लंबी गर्दन दी है भगवान ने उसे। पीछे तो देखना ही नहीं चाहता।
आपने देखा है किसी नेता को जो पीछे की बातें याद रखता हो ? क्योंकि पीछे बहुत दाग है! इसलिए नेता पीछे नहीं देखता। सरकार उनका पिछवाड़ा देखती है! कौन-कौन चोर कितने दाग है? सांप सीढ़ी के ईडी और सीबीआई में कौन-कौन फंस सकता है ?
नेता यदि पिछला याद रखेगा तो चुनाव नहीं लड़ सकता। ऊंट के मुंह की जुगाली चलती रहती है। वह रेगिस्तान में भी नए-नए सपने देखने लगता है।
देश में नेता लोग भी तरह-तरह की जुगाली और जुबानी करने लगे हैं। अभी सितंबर 2023 जनवरी 2024 से ऊंटों की टोलियां चुनावी मैदानों में दौड़ने लगेंगे।
हर एक नेता के पास 50 से 150 ऊंट ! ऊंट की पीठ तो वैसे ही पहाड़ी होती है। उसकी पीठ पर बड़ी लंबी चौड़ी उल्टी खटिया, खटिया में टोकरियां। हर टोकरी में तरह-तरह के आश्वासन । और साथ में डंडे पर लहराता झंडा !
गली गली घूमती आश्वासनों की दुकानें।
देश का राष्ट्रीय तिरंगा झंडा फिर भी साल में दो बार लहराता है। पार्टी का झंडा तो चुनाव के समय कम आता है वह पता नहीं कब उड़ जाता है। हां डंडा बचा रहता है!
जिराफ का मुंह भी आकाश में होता है। पर वह ऊंट सा भव्य, जुगालू , जुझारू और सपने देखने वाला नहीं होता।
दुनिया सुन रही या नहीं सुन रही है उसे कुछ नहीं मालूम उसे ऐसा लगता है वह माइक से बोल रहा है। उसे हांकते एक बड़ा नेता बोलने लगा,
‘भाइयों और बहनों यह जो आकाश में सफ़ेद नये युवा बादल दिखाई दे रहे हैं वह बेरोजगारी नहीं है। यह समय आने पर बरसेंगे। वे शिक्षा और अनुभव से काले रंग में बदलेंगे । बेरोजगारी के पसीने से सारे देश में हरियाली करेंगे। नहरें, सरोवर और नदियां लहराने लगेगी।’
‘देखो मेरे पीठ पर सपने ही सपने हैं, सपनों के पहाड़ मेरे पीठ पर है । इस पर भी मेरी पीठ पर तरह-तरह के आश्वासनों की टोकरियां भरी पड़े हैं। जैसी समस्या वैसे आश्वासन!’
रेडी वालों, पटरी वालों, मजदूरों ! मैं तुम्हें ऊंची गर्दन से नीचे देख रहा हूं। हवाई जहाज हेलीकॉप्टर से तुम्हारा मकान बिल्कुल बचकानी दिखाई देते हैं देश बहुत गरीब दिखाई देता है इसलिए हमने ऊंट चुना है । ताकि हम बराबरी में एक दूसरे को देख सके। तुम्हारा मकान भी दो-दो मंजिली हो जाने चाहिए। जरूरी चीजें मुहिया हो ना हो, खाने पीने की चीजे भले महंगी हो। लेकिन आपके टट्टी पेशाब की जगह मै, ठीक-ठाक करने का आश्वासन देता हूं।
मेरे पीठ पर एक टोकरी जातिवाद और भेदभाव दूर करने की भी है। दूसरी आतंकवाद सीमावद दूर करने की तीसरी सुरक्षा की चौथी सड़के बनाने की पुल बनाने की। हम तो चाहते हैं घर में भली दरवाजा ना हो लेकिन सड़क दरवाजे तक होनी चाहिए।
पिछले 4 वर्षों से मैं दूर-दूर से बात करता था। अब घर घर जाकर आपसे विनती करने आया हूं । यहां की मिट्टी मुझे आश्वासन देने का कह रही है मैं उसी की आज्ञा का पालन कर रहा हूं। मैं दूध का धुला नहीं हूं मैं मिट्टी का धुला हूं। मिट्टी की कसम मत मिले ना मिले यदि हमारे साथ नहीं मिले तो मिट्टी में मिला दूंगा।
एक विरोधी नेता कहने लगा,’ सरकार देश को तोड़ रही हैं। बस लम्बी लम्बी बांते कर रही है। ध्यान रखें, इनके ये आश्वासन महामुनी पतंजलि के योगासन नहीं है। ये कोई योग या आसन नहीं है। यह आशंकाओं को भूलने भुलाने का आसन है। भूल भैय्या आसन। हमारी टोकरी में शांति और सद्भाव का आश्वासन है। मेलजोल और भाईचारे का आश्वासन है।
एनडीए नेता बोला,’ विरोधी कहते हैं देश नीचे जा रहा है हम कहते कि देश चांद पर जा रहा हैं । सूरज पर जा रहा है। भाईयों और बहनों ! मैं तो आपको चांद तारों तक ले जाना चाहता हूं। बस आप जमीन पर पर जरूर जमाए रखें। क्योंकि ऊपर हवा पानी नहीं है।
दूसरे ऊंट पर सवार नेता बोला, ‘ हमारी जीडीपी दुनिया में टॉप रेट पर बढ़ रही है। यह तो बोलेंगे आकाश को चीर कर पानी ला देंगे। सूरज से कहकर चौबीस घंटे बिजली पैदा कर देंगे।’
तीसरे ऊंट का युवा नेता च्यूइंगंम थूकते हुए बोला, ‘ ईडी और सीबीआई क्या हम लोक सेवकों के लिए हम बनाये थे ? हमारी सरकार आ जाए तो हम ईडी और सीबीआई के डिपार्टमेंट खत्म कर देंगे। हम सबको मिल बांट कर खाने का फ्री लाइसेंस दे देंगे।’
एक बूढ़े ऊंट पर बैठा नेता बोला, ‘ सरकारी बैंकों से कर्जा लेकर जो हजारों नौजवान इंजीनियर बन रहे हैं और विदेशों में नौकरियां कर रहे हैं। बूढ़े मां-बाप को देखने वाले बच्चे नहीं है। सरकार क्या सोच रही है उन बूढ़ों के बैंक बैलेंस सरकारी खजाने में चले जाए ? ‘
फिर पहला ऊंट बोला , ‘ हम एक नए दुनिया में प्रवेश करने वाले हैं। उसके लिए एक बहुत बड़ी स्कीम, बहुत बड़े प्रोजेक्ट की शुरुआत हो चुकी है। वह 2047 तक पूरी होगी ! प्रोजेक्ट का नाम है **सिल्वर मून रेजिडेंट आफ इंडियन पीपल * इसका शार्ट फार्म है ‘ एस एम आर आई एन पी!_ * इसके एस* का मतलब सिल्वर भी है। स्पेशल और शाइनिंग भी है। सन भी है और स्किल भी है स्टार मून भी है । *एम* का का मतलब है मून, मोमेंट, मैग्नेटिक, मैक्सिमम, मिरेकल, मेनचेस्टर ऑफ़ इंडिया। मल्टीपल होराइजन हेरिटेज।
*आर* का मतलब है रेजिडेंस, रिकॉग्नाइज्ड, रिवोल्यूशनर, रीफाॅर्मर, रीक्विम, रिलीफ, रेडियम, रियल लाइट ऑफ़ लाइफ। *आई* का मतलब है इंडिया, इंडियन्स, इंटरवर्ल्ड इंडियन्स, इसरो सरप्राइस, इसरो इन्वेस्टिगेटेड मून अपार्टमेंट, इसरो मिरेकल अपार्टमेंट, इसरो मेड चंद्रनगर। और अंतिम अक्षर है *पी* यानी पब्लिक, पीपल प्रिविलेज, प्रोविंशियल प्रोजेक्शन पोटेंशियल नॉट फॉर इंडिया बट फॉर द वर्ल्ड।
इस आश्वासन को सुन नुक्कड़ पर बैठे चाय बीड़ी पीने वालों में जैसे भाईचारा उत्पन्न हो गया। ऊंट की ऊंची गर्दन को देखते हुए अपना चाय का प्याला दूसरे को मुंह में देने लगे। ऊंट आगे निकल गया।
एक मजदूर जो जो पर्याप्त मात्रा में दोनों हाथों से खैनी रगड़ रहा था। सबको बांटते हुए कहने लगा,’ हमें तो चाय , गुटका और खैनी के अलावा कुछ समझ में नहीं आता भाई।’
दूसरा खानी फांकने के पहले बोलना है ,’सरकार ने दारु खुली कर दी और क्या चाहिए तुम्हें। अब अंधी गलियों में छुप छुप के तो नहीं जाना पड़ता!