ओम प्रकाश उनियाल
त्योहार कोई-सा क्यों न हो उसको मनाने का जो उत्साह लोगों के मन में रहता है उसकी अनुभूति, अहसास अलग ही होती है। भारत एक ऐसा देश है जहां पूरे साल लोकपर्वों व अन्य त्योहारों का क्रम चलता ही रहता है। इंसान की व्यस्ततम जिंदगी में कुछ सुकून के पल बिताने, पारस्परिक मेल-जोल बनाए रखने में उत्सव महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब उमंग और उल्लास का रंग बिखरता है तो मन-मयूर स्वत: ही नाच उठता है। कुछ समय के लिए सबकुछ भूलकर उत्सव मनाने में व्यस्तता बनी रहती है।
कुछ त्योहार दो दिन पड़ने से लोग असमंजसता की स्थिति में रहते हैं। ऐसे में जिस दिन जो उचित समझे उसी दिन मना सकता है। क्योंकि, त्योहार परंपरा एवं आस्था के प्रतीक होते हैं।
आजकल गणेश-चतुर्थी का पर्व शुरु हो गया है। गणेश-महोत्सव भाद्रमास के शुक्ल-पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरु होता है। विघ्नों को हरने वाले देवता गणपति की प्रतिमा की घरों में स्थापना की जाती है। पूजा-अर्चना-वंदना व मंत्रोच्चारण के साथ लड्डू का भोग लगाया जाता है। लोगों द्वारा इस दिन व्रत भी रखा जाता है। दस दिन तक चलने वाले इस महोत्सव में गणपति की मूर्ति का नियमबद्ध तरीके से पूजन किया जाता है। दसवें दिन अनंत चतुर्थी पर मूर्ति विसर्जन कर गणेश-महोत्सव का समापन होता है। भगवान गणेश को समर्पित यह महोत्सव देश के विभिन्न भागों में हर्षोल्लासपूर्वक धूमधाम से मनाया जाता है।