सीता राम शर्मा ” चेतन “
शुद्ध, सात्विक, सार्थक, उत्कृष्ट चिंतन और प्रयास हर एक मनुष्य के प्राकृतिक स्वाभाविक मानवीय गुण हैं ! इसके प्रकटीकरण में स्थान, स्थिति, काल और परिस्थितियां कभी बहुत ज्यादा बाधक नहीं होती । इसका व्यक्तिगत और गिलहरी प्रयास ही सही, हर किसी को करते रहना चाहिए । यह अकाट्य सत्य है कि यदि चिंतन और लक्ष्य में सत्यता, मनुष्यता और ईमानदारी का साथ हो तो ईश्वर भी उसका साथ देता है और देर-सवेर सफलता भी अवश्य मिलती है । यह हर सच्चे चिंतनशील मनुष्य का अकाट्य विश्वास होता है । होना चाहिए । इतिहास साक्षी है कि धरती पर जीवन के जन्म, विस्तार और विकास का मूल आधार और कारण मनुष्य का विवेक ही है । मानवीय विवेक का सीधा संबंध उसकी आत्मा और जगत के जन्मदाता, पालनहार और संहारक परमात्मा से है ! मनुष्यता, राष्ट्र और वैश्विक भलाई का चिंतन मनुष्य में मनुष्यता के विकास और लेखकीय प्रवृति का द्योतक है । इस दिशा में अतीत और वर्तमान का ऐसा चिंतन कभी-कभी ऐसे संदेश लिखने बोलने और भेजने को बाध्य भी कर देता है । भारत-कनाडा ताजा घटनाक्रम और अमेरिकन पापी नीति-कुटनीति के चिंतन की बाध्यता को गहराई से महसूस करते हुए यह संदेश राष्ट्रीय और लेखकीय दायित्व के तहत अमेरिकन राष्ट्रपति बाइडेन को भेजा गया है !
पहला ट्वीट – नमस्कार ! यूं तो अमेरिका पर विश्वास करना अपने साथ विश्वासघात करना है क्योंकि अमेरिका एक प्रोफेशनल सौदागर स्वार्थी राष्ट्र है ! बावजूद इसके पिछले कुछ वर्षों में रुस और चीन से खार खाया अमेरिका भारत के साथ दिखने का नाटक करता लगातार मित्रता की दुहाई दे रहा है तो भारतीय नेता और जनता के बीच थोड़ी ही सही, सकारात्मक दृष्टि बनी है, पर अमेरिका ! उसके राष्ट्रपति ! ओबामा हो या बाइडेन !! सिद्ध कर दिया है कि अमेरिका और उसके शासक भरोसे के बिल्कुल भी काबिल नहीं हैं । संदेश का सार – भारत वसुधैव कुटुम्बकम के आत्मीय मंत्र, भाव और कर्म वाला सहृदय देश है । मानवता और विश्व कल्याण इसका मूल मंत्र है और रहेगा । इसलिए स्पष्ट कर दूं कि पाकिस्तान के आतंकवाद का पोषण करने वाला, जापान पर परमाणु बम गिरा लाखों निर्दोष लोगों का हत्यारा, विश्व को युद्ध और आतंक में झोंकने की दुषप्रवृति से ग्रसित, लोकतंत्र और मानवाधिकार का पाखंडी, अमेरिका आज नहीं तो कल अपने पाप के फल अवश्य भोगेगा । एक शुभचिंतक होने के नाते आपको यह मानवीय और अमेरिकन हित की अनमोल सलाह देता हूं कि समय रहते भूल सुधार कर लें । खुद को वैश्विक महाशक्ति बनाए रखने का आत्मघाती भ्रम और अंध आत्मविश्वास त्याग दें । दूसरे के पतन की बजाय अपने उत्थान पर ध्यान दें । अमेरिका ने वर्षों तक उस नापाक पाकिस्तान के आतंकवाद से आंखें फेरे रखी और अब कनाडाई आतंकवाद पर चुप्पी साध रखी है ! याद रखिएगा, आतंकवाद किसी का भला नहीं करता । ना जन्मदाता का और ना ही सहयोगी का, अतः समय रहते सीमा पार कनाडाई आतंकवाद पर कठोर बनिए, उसके सहयोगी नहीं । भारत साथ है । महाशय, भारत और हम आम भारतीय मानव कल्याण और विश्व कल्याण के चिंतन और कर्म से सदैव सरोबार रहे हैं । हम चाहते हैं कि संपूर्ण विश्व में भा॓ईचारा हो ! प्रेम हो ! आपसी सौहार्द और सहयोग हो ! पर वैश्विक परिस्थितियां और दानवीय विचार तथा शक्तियां स्वार्थ वशीभूत हो ऐसा नहीं चाहती । यह घोर चिंतन मंथन का विषय है । मृत्यु मानवीय जीवन का अकाट्य सत्य है । उत्थान और पतन भी अकाट्य सत्य है । यह होता है और होता रहेगा । अतः आत्मीय निवेदन है कि एक शक्तिशाली राष्ट्र के शासक होने के नाते अमेरिका, विश्व और वैश्विक मानवता के कल्याण और भलाई की सोचिए । वैश्विक कल्याण के लिए कुछ ऐसा करने की सोचिए और करिए, जिससे आपका जीवन सार्थक और प्रेरणास्रोत हो ! आशा है मेरे कुछ कड़वे सत्य से भरे शब्दों को अन्यथा ना लेकर मेरे भाव, विचारों और ध्येय के सार पर ध्यान देते हुए आप कुछ सार्थक प्रयास करेंगे ! इसी आशा, विश्वास और शुभकामनाओं के साथ – एक विश्व मानव !!
दूसरा ट्वीट – नमस्कार ! महाशय, विश्व का एक साधारण मानव होने के नाते बहुत सम्मान के साथ कुछ प्रश्न पूछना चाहता हूं आपसे ! आशा है एक वैश्विक मानव होने के नाते वैश्विक महत्व के इन सवालों के जवाब देने की नैतिकता का निर्वहन आप अवश्य करेंगे ।
1 – आतंकवाद वर्तमान विश्व की सबसे बड़ी समस्या है तो किसी भी देश के पास आतंकवादियों के खात्मे के क्या अधिकार होने चाहिए ?
2-क्या अपने देश के निर्दोष आम या विशिष्ट नागरिकों और विधि-व्यवस्था की सुरक्षा के लिए हिंसक दानव बन चुके आतंकवादियों के खात्मे के लिए जनता के मानवाधिकारों को दरकिनार कर आतंकवादियों के मानवाधिकार की सुरक्षा को थोड़ा भी महत्व दिया जाना चाहिए ? क्या किसी आतंकवादी का भी मानवाधिकार होता है ? होना चाहिए ? नहीं, तो क्या अब मानवाधिकार की परिभाषा और उसके वैश्विक नियम कानूनों में बदलाव होने चाहिए ?
3 – क्या किसी देश में आतंक फैला चुके आतंकवादी या अपराधी को दुनिया के किसी भी देश के द्वारा शरण देना उचित है ? और यदि कोई देश ऐसा करता है तो क्या उसे भी आतंकवाद समर्थक देश घोषित नहीं किया जाना चाहिए ? उसे वैश्विक आचार संहिता के उल्लंघन का दंड नहीं देना चाहिए ?
4 – क्या आतंकवाद को लेकर किसी विशिष्ट देश के लिए विशेष नियम कानून बनाए जाने चाहिए ? और यह शत-प्रतिशत गलत होगा तो फिर क्या किसी देश को अपने शत्रु आतंकवादी को मारने का वैसा अधिकार नहीं होना चाहिए जिस अधिकार का सदुपयोग अमेरिका ने अपने शत्रु आतंकवादी लादेन को मारने के लिए किया था ?
आशा है प्रश्नों पर गंभीरतापूर्वक विचार कर जवाब देने का कष्ट करने के साथ आतंकवाद, मानवाधिकार और वैश्विक राष्ट्राधिकार पर भी आवश्यक वैश्विक परिचर्चा कर इन विषयों पर नितांत आवश्यक नव वैश्विक नियम- कानून बनाने की दिशा में अमेरिका भारत के साथ आगे बढ़ेगा !
आशा ही जीवन है ! भारत विश्व मित्र है ! विश्व का शुभ चिंतक है ! वैश्विक मानवता का सेवक और रक्षक है !