रविवार दिल्ली नेटवर्क
सड़क, परिवहन और राजमार्ग के राज्य मंत्री एवम् पूर्व सेना अध्यक्ष जनरल श्री वीके सिंह ने उत्तम त्याग धर्म पर चढ़ाया अर्घ्य, कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने मंत्री जी को श्रीफल भेंट करके तिलक लगाकर और दुपट्टा पहनकर किया स्वागत, रिद्धि-सिद्धि भवन में विधि-विधान से हुए नवदेवता पूजा, सोलहकारण पूजन, दशलक्षण पूजन, टिमिट स्टुडेंट्स ने अहिंसा व्रत की महिमा नाटिका में राजा महाबली की कहानी के जरिए जीवन में सद्कार्यों और अहिंसा के महत्व को समझाया
सड़क, परिवहन और राजमार्ग के राज्य मंत्री एवम् पूर्व सेना अध्यक्ष जनरल श्री वीके सिंह ने उत्तम त्याग धर्म पर तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में आस्था की डुबकी लगाई। उन्होंने दशलक्षण पर्व के मौके पर यूनिवर्सिटी के रिद्धि-सिद्धि भवन में आकर विधि-विधान से शान्तिनाथ भगवान के दर्शन किए और अर्घ्य चढ़ाया। इस अवसर पर कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने मंत्री जी को श्रीफल भेंट करते हुए तिलक लगाकर और दुपट्टा पहनकर स्वागत किया। कुलाधिपति ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा, गाज़ियाबाद से सांसद रहते हुए मंत्री जी का जैन समाज से गहरा जुड़ाव हो गया था। उन्हें जैन धर्म विशेषकर दशलक्षण महापर्व की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी है। इससे पहले उत्तम त्याग धर्म पर प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ शास्त्री के सानिध्य में नवदेवता पूजा, सोलहकारण पूजन, दशलक्षण पूजन विधि-विधान से किए गए। इस मौके पर कुलाधिपति के संग संग फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, श्रीमती ऋचा जैन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन और सुश्री नंदिनी जैन की उल्लेखनीय मौजूदगी रही। रिद्धि-सिद्धि भवन में श्रीजी का प्रथम स्वर्ण कलश से विशाखा जैन, द्वितीय स्वर्ण कलश से अनिकेत जैन, तृतीय स्वर्ण कलश से तनिष्क जैन और चतुर्थ स्वर्ण कलश से सिद्धांत शाह को अभिषेक करने का सौभाग्य मिला। श्रीजी की स्वर्ण कलश से शांतिधारा अपूर्व, अनमोल, सान्या, अनंत, मेहुल और हिमांशु जैन और रजत कलश से शांति धारा करने का सौभाग्य संचित, आदित्य, उमंग, राहुल, हर्षित सेठी और अग्रिम जैन को मिला। साथ ही अष्ठ प्रातिहार्य का सौभाग्य अष्ठ कन्याओं-. सूर्यान्शी जैन, तनिष्का, दिव्यांशी, वंशिका, सोनाली, प्रांजल, दीप्ति, कशिश और मुस्कान ने प्राप्त किया। धर्ममय माहौल में श्रीमद उमास्वामी द्वारा रचित तत्वार्थसूत्र जैसे संस्कृत के क्लिष्ट शब्दों वाली रचना के अष्टम अध्याय को फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन ने बड़े ही रोचक और भावपूर्ण तरीके से वाचन किया। दूसरी ओर रिद्धि सिद्धि भवन में टिमिट कॉलेज के स्टुडेंट्स की ओर से संध्या की आरती की गई। प्रतिष्ठाचार्य ने श्री मानतुंगाचार्य द्वारा रचित भक्तांबर का पाठ वाचन किया। टीएमयू के ऑडी में टिमिट कालेज के स्टुडेंट्स की ओर से ण्मोकार मंत्र…, उड़ी उड़ी जाए.., जो प्रभु गुण गाएं…, आया पर्व पर्यूषण… पर मंगलाचरण के साथ सांस्कृतिक सांझ का श्रीगणेश किया। स्टुडेंट्स ने अहिंसा व्रत की महिमा नाटिका में राजा महाबली की कहानी के जरिए जीवन में सद्कार्यों और अहिंसा के महत्व को समझाया। सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव नुक्कड़ नाटिका के जरिए इस बात की शिक्षा दी कि किस प्रकार हमारा जीवन सोशल मीडिया के इर्द-गिर घूम रहा है और हम अपने धर्म से दूर भागते जा रहे हैं। स्टुडेंट्स ने जैन ब्रेथलेस, तुझे फिर से जलवा दिखाना ही होगा…. गीतों पर सोलो डांस किया । इससे पूर्व मुख्य अतिथियों श्री विवेक जैन, श्री संदीप कुमार, श्रीमती रूचि जैन, श्रीमती बीना देवी, टिमिट के निदेशक श्री विपिन जैन आदि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके सांस्कृतिक सांझ का शंखनाद किया। अंत में टिमिट कॉलेज के अंतिम वर्ष के छात्रों को उन्हें मोमेंटो देकर सम्मानित भी किया गया।
प्रतिष्ठाचार्य ने राजर्षि भरत के कहानी के जरिए समवसरण में जाकर भगवान की पूजा, उपदेश सुनना, चक्ररत्न की पूजा करके पुत्र का जन्मोत्सव मनाना आदि के बारे में बताया। शास्त्री जी ने बताया, जल इसीलिए चढ़ाया जाता है कि जल हमारे जन्म, उम्र और मृत्यु यानी तीनों समय साथ रहता है। चंदन इसलिए चढ़ाया जाता है,क्योंकि संसार के आतप में उसे शीतलता मिले। अक्षत क्षय रहित होने का प्रतीक है। नैवेद्य से जीवन में संतुष्टि, ज्ञान और शक्ति प्राप्त होती है और फल सम्पूर्ण कर्मों के होने पर प्राप्त होता है। ये सभी पूजा के आलंबन मात्रा है। उन्होंने पूजा के इतिहास को पर भी प्रकाश डाला। दो गरीब व्यक्तियों की कहानी के जरिए बताया, महत्वपूर्ण यह नहीं, आपने क्या अर्पित किया, बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि किन भावों से अर्पित किया है। साथ ही द्रव्य दान, दान और व्रत की महिमा भी बताई। उत्तम तप के अवसर पर शास्त्री जी ने बताया कि हर मनुष्य के जीवन में तप है, परंतु एक माता का तप सबसे उच्च है। जो मनुष्य सही ढंग से तप करता है , वह जीवन में सफल होता है। निर्जरा दो प्रकार की है एक समीपात निर्जरा और दूसरी अभिपात निर्जरा। जो कर्म स्वयं ही आए, उन्हें समीपात निर्जरा कहते हैं । जिन कर्मों का उदय स्वयं ना हो उसे अभिपात निर्जरा कहते हैं। आत्म शुद्धि के लिए इच्छाओं का रोकना ही तप है। मानसिक इच्छाएं सांसारिक बाहरी पदार्थों में चक्कर लगाती हैं अथवा शरीर के सुख साधनों में केन्द्रिय रहती हैं। अतः शरीर को प्रमादी न बनने देने के लिये बहिरंग तप किए जाते हैं और मन की वृत्ति आत्म-मुख करने के लिये अन्तरंग तपों का विधान किया गया है। पंडित जी ने बताया कि तप दो प्रकार के होते हैं अतरंग तथा बहिरंग, जो दिखाई दे वह बहिरंग है और जो ना दिखाई दे, वह अतरंग है। बहिरंग रंग 6 प्रकार के हैं।
भोपाल से आई सुनील सरगम एंड पार्टी के पंखिड़ा ओ पंखिड़ा तू उड़ के चला रे…, ओ पारस प्यारे तुमरे बिना और न कोई…, देखो वो तलवार बन गयी हार…, इसका चमत्कार दिखा कई बार…, तुम्हीं हो माता तुम्हीं हो पिता…, मन में तुम्हें बिठा के…, अरे ठंडे-ठंडे पानी से नहाना चाहिए पूजा आए न आए…, बड़ी दूर से चल के आया हूं भगवान तेरे चरणों में…, गीत गाता चल प्रभु चरणों मे गीत गाता चल…, मैं झूमता चला भक्ति में डूबता चला…, मधुबन के मंदिरों में बैठे हैं भगवान…, जग घूमया पर देखा तुमसा न कोई…, पूजा भी करूं भक्ति भी करूं प्रभु चरण में…, रोज-रोज तेरी पूजा करेंगे ओ पारसनाथ…, ओ महावीर स्वामी मेरे…, बाहुबली-बाहुबली कहते जाइए…, नीलगगन पे चले…, भादों की रिमझिम में भक्ति करने आया हूं… जैसे सुरमय भजनों से पूरा रिद्धि-सिद्धि भवन झूम उठा और पूजा-अर्चना करते हुए भक्तिनृत्य करने लगा। इस दौरान ब्रहमचारिणी कल्पना दीदी, डॉ. विपिन जैन, डॉ. रत्नेश जैन, डॉ. नम्रता जैन, डॉ. विनोद जैन, श्री मनोज जैन, श्री आशीष सिंघई, डॉ आदित्य जैन, डॉ. विभोर जैन, डॉ. नीलिमा जैन, डॉ. विनीता जैन, श्रीमती आरती जैन, श्री आदित्य जैन, डॉ. आर्जव जैन, श्री आदित्य विक्रम, श्रीमती विनीता जैन, श्रीमती निकिता जैन, श्रीमती रितु जैन, श्रीमती स्वाति जैन भी उपस्थित रही।