भारत आज दुनिया के शीर्ष राष्ट्रों में शुमार: राज्यपाल
भारत अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र गुरुग्राम, चाणक्य वार्ता, बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय, केंद्रीय विश्वविद्यालय ओड़िशा और दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज द्वारा ‘भारतवंशियों की युवा पीढ़ी एवं सांस्कृतिक समन्वय’ विषय पर चतुर्थ श्रीमती कांतिदेवी जैन स्मृति तीनदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय व्याख्यानमाला एवं वेबिनार का सफल आयोजन किया गया, जिसमें देश-विदेश के शिक्षाविद, राजनेता, प्रशासक, पत्रकार, समाजसेवी शामिल हुए। व्याख्यानमाला के पहले दिन बतौर मुख्य अतिथि सेंट्रल यूनिवर्सिटी आॅफ ओड़िशा के कुलपति प्रो. चक्रधर त्रिपाठी ने कहा कि आज के दौर में सर्वाधिक कमी मूल्यबोध की है। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब आप एयरपोर्ट पर जाते हैं और वहां आपको एक छोटी सी बच्ची कहती है ह्यमिस्टर चक्रधरह्ण, तब ऐसा अनुभव होता है, जैसे अपनी संस्कृति तो गई। यदि भारतीयों के बीच सांस्कृतिक मूल्यबोध बचाए रखना है तो उसे भूलने के बजाय उसके साथ जीना सीख लें। व्याख्यानमाला के दूसरे दिन मुख्य अतिथि नेशनल बुक ट्रस्ट के चेयरमैन प्रो. मिलिन्द सुधाकर मराठे ने ‘भारतवंशियों की युवा पीढ़ी एवं सांस्कृतिक समन्वय’ पर कहा कि जब हम भारतवासियों के युवाओं की सांस्कृतिक समन्यव की बात करते हैं तो जेहन में चार शब्द आते हैं, पहला हिंदू दर्शन, दूसरा हिंदू धर्म, तीसरा हिंदू संस्कृति और चौथा हिंदू सभ्यता। ऐसा इसलिए कि ये चारों चीज एक-दूसरे के करीब हैं, इसलिए जब भारतीय संस्कृति के समन्वय की बात होती है तो हमें लगता है कि भारतवंशी युवाओं को हिंदू और विभिन्न संस्कृतियों की सीख देने की जरूरत है। उन्हें समझाना होगा कि भारतीय तत्वज्ञान के आधार पर मनुष्य केवल विचारों का गुच्छ या केवल आर्थिक समूह नही हैं बल्कि मनुष्य शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा का एक एकीकृत रूप है।
व्याख्यानमाला के अंतिम और तीसरे दिन मुख्य अतिथि और वक्ता गोवा के राज्यपाल पी.एस. श्रीधरन पिल्लई ने कहा कि जहां वैश्विक मंच की बात है तो भारत आज दुनिया के शीर्ष राष्ट्रों में शुमार है। भारतीयता की सोच पूरी दुनिया को संपूर्णता में देखने की है। भारतीय संस्कृति, इतिहास, जीवनशैली, खान-पान, भारतीय दर्शन, भारतीय व्यवस्था सब कुछ उसी के अनुरूप है। स्वामी विवेकानंद और ऋषि अरविंद का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उनके सपनों को पूरा करने के प्रयास जारी हैं। राज्यपाल पी.एस. श्रीधरन के मुताबिक आज व्हाइट हाउस से लेकर दुनियाभर में दीवाली, होली, योग दिवस मनाया जाता है, यूएन ने भी इसे स्वीकार किया है, जी20 सम्मेलन में वन नेशन, वन वर्ल्ड, वन फ्यूचर का नारा भी भारतीय दर्शन ह्यवसुधैव कुटुम्बकमह्ण की सोच से ही प्रेरित है। श्रीमती कांतिदेवी जैन स्मृति व्याख्यानमाला की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक सार्थक कार्य है।
तीनदिवसीय व्याख्यानमाला के दौरान भारतीय उच्चायोग त्रिनिदाद एवं टुबैगो के द्वितीय सचिव के रूप में कार्यरत शिवकुमार, ब्रिटेन निवासी विख्यात कथाकार दिव्या माथुर, अमेरिका के वैश्विक महिला मंच की संरक्षिका डा. दुर्गा अशोक सिन्हा, कनाडा निवासी कवि एवं लेखक पीयूष श्रीवास्तव, केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील कुलकर्णी, हॉलैंड निवासी धर्मगुरु सुरेंद्र शंकर उपाध्याय, दुबई निवासी उपन्यासकार व कवयित्री डा. आरती लोकेश, मॉरीशस स्थित विश्व हिंदी सचिवालय के उपमहासचिव डा. शुभशंकर मिश्र, चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय हिंदी और आधुनिक भारतीय भाषा विभाग के प्रोफेसर नवीनचंद्र लोहानी, वरिष्ठ साहित्यकार डा. बीएल गौड़, डेनमार्क की प्रवासी लेखिका अर्चना पैन्युली, नीदरलैंड में पत्रकार और पूर्व दूरदर्शनकर्मी ऋतु शर्मा, शिक्षाविद्, कथाकार व आलोचक डा. संदीप अवस्थी, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश पाण्डेय, संविधान विशेषज्ञ एवं साहित्यकार लक्ष्मीनारायण भाला, टोरंटो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर कनाडा निवासी डा. हंसा दीप ने वक्तव्य पेश किया। इस व्याख्यानमाला के आयोजन के लिए राज्यसभा के पूर्व महासचिव डा. योगेंद्र नारायण ने चाणक्य वार्ता के संपादक अमित जैन की प्रशंसा की।
प्रस्तुति: योगेश कुमार गोयल