असल ‘भारत-रत्न’ थे डॉ स्वामीनाथन : डॉ राजाराम त्रिपाठी

  • डॉ स्वामीनाथन की अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए मोदी जी तत्काल लाएं “एमएसपी गारंटी कानून” यही होगी उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि : डॉ राजाराम त्रिपाठी
  • भारत माता के इस सपूत को भारत रत्न प्रदान कर उसकी सेवाओं का सम्मान किया जाए: डॉ राजाराम त्रिपाठी
  • कोरोना से 5 लाख लोग मरे, जबकि बंगाल की भुखमरी में 40 लाख लोग मरे थे, इस भुखमरी को हरित क्रांति, इसके नायक डॉक्टर स्वामीनाथन तथा इंदिरा गांधी ने रोका

किसानों के लाडले, हरित क्रांति के पुरोधा, भारत मां के सच्चे सपूत ‘डॉ. एम एस स्वामीनाथन’ के निधन के साथ ही भारतीय कृषि के एक युग का पटाक्षेप हो गया है। यह सचमुच देश की तथा मानवता की अपूरणीय क्षति है।

ईधर हरित क्रान्ति के दुष्परिणामों की चर्चा करने वाले मूढ़ मति आलोचक शायद यह दर्दनाक सच्चाई को भूल गए हैं कि, कैसे 1942 में बंगाल के अकाल के दौरान देश में भूख से अनगिनत मौतें हुई थीं। हमें सदैव याद रखना चाहिए कि उस भुखमरी का प्रभाव कितना विनाशकारी तथा व्यापक था। तथ्यों और आंकड़ों की तुलना की अगर बात करें तो कोरोना महामारी (COVID) के कारण होने वाली कुल मृत्यु संख्या लगभग 5 लाख के आसपास मानी जाती है, जबकि उस भुखमरी में 40 चालीस लाख से ज्यादा लोगों ने भूख से तड़प-तड़प कर अपनी जान गंवा दी थी। उस भयावह दौर की कल्पना जी रोंगटे खड़े कर देती है । खाद्य उत्पादन तब लगभग 1 लाख टन मात्र था , जो कि इसी हरित क्रांति के कारण 1979 में बढ़कर लगभग 170 लाख टन हो गया । इंदिरा गांधी का जादुई दृढ़ नेतृत्व, डॉ एस स्वामीनाथन का करिश्माई मार्गदर्शन और देश के किसानों की जी तोड़ मेहनत ने अनाज उत्पादन में 170 गुना का इजाफा करके दिखा दिया। इसीलिए तो इसे क्रांति कहा जाता है। और इस हरित क्रांति के नायक थे डॉ. स्वामीनाथन। हालांकि जीवन के अंतिम वर्षों में मेरी जब भी उनसे चर्चा हुई, उन्होंने रासायनिक खाद तथा जहरीली दवाइयां के बेतहाशा अनियंत्रित उपयोग को लेकर हमेशा अपनी चिंता और दुख जाहिर किया। वह हमारी जैविक पद्धति से की जा रही जड़ी बूटियों और मसाले की खेती की हमेशा तारीफ करते थे, और हमेशा हमारी पीठ थपथपाकर हमारा हौसला बढ़ाते थे। अब ऐसा गुणी शुभचिंतक ,मार्गदर्शक,सहायक व्यक्तित्व हमें कहां मिलेगा ?

डॉ स्वामीनाथन ने अपनी पूरी जिंदगी देश की कृषि तथा किसानों को दे दी, तथा अपने अंतिम पलों तक किसान हित में तथा किसानों को उनके उत्पादन का वाजिब मूल्य की गारंटी दिलाने हेतु सदैव सक्रिय रहे। स्वामीनाथन जी की अंतिम इच्छा थी कि देश की खेती एवं किसानों के हित में उनके द्वारा बनाई गई रिपोर्ट (स्वामीनाथन रिपोर्ट) के अनुरूप किसानों को वास्तविक लागत (सीटू+ एफएल), तथा कुशल मजदूर के अनुरूप किसान की मजदूरी को जोड़ते हुए सभी अनुसंगी खर्चो को जोड़कर उसके ऊपर पचास प्रतिशत लाभ जोड़कर , समुचित सही “न्यूनतम समर्थन मूल्य” तय करके यह ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ देश की सभी कृषि उपजों पर देश के प्रत्येक किसान को दिया जाए। यह एक “सक्षम न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून” से ही संभव हो सकता है। इसलिए मोदी जी से तथा उनकी सरकार से, हम देश के सभी किसान निवेदन करते हैं कि, डॉ एम एस स्वामीनाथन’ के निधन पर घड़ियाली आंसू बहाने के बजाय सरकार ,,भारत मां के इस सच्चे सपूत की अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए तत्काल सक्षम “एमएसपी गारंटी कानून” लेकर आए, तभी उनकी आत्मा को सच्ची शांति मिलेगी, और यही उनके लिए सरकार की सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
देश के किसानों की मंशा है कि भारत माता के इस सपूत को मरणोपरांत ही सही, भारत रत्न प्रदान कर उनकी जीवनपर्यंत अद्वितीय अनमोल सेवाओं का सम्मान किया जाए।

हम सब देश के किसान उन्हें भारी मन से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं ।

हमारा दृढ़ विश्वास है कि डॉ साहब आप जहां भी होंगे वहां अमन-चैन और खुशियाली के साथ हरियाली अवश्य होगी।

डॉ राजाराम त्रिपाठी
राष्ट्रीय प्रवक्ता : न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून मोर्चा,
राष्ट्रीय संयोजक : अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा)