अशोक मधुप
उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद नगर निवास इंद्रदेव भारती का पूरा जीवन भले ही छात्रों को चित्रकला की शिक्षा देते ,बारीकी बताते बीता हों, किंतु वह जवानी से ही मूलरुप से कवि रहे हैं।चित्रकला उनके जीवनयापन का साधन रहीं,किंतु कविता उनकी रग −रग में रची और बसी है। उन्होंने बहुत कुछ लिखा। सभी विषयों पर लिखा। गीत लिखे। गजल लिखी। अतुकांत कविताएं की। कविता की हर विधा है छुआ।उनके कई संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। इन संकलन की रेखाचित्र और कवर पेज स्वयं भारती जी ने बनाए।
भारती जी को बाल कविता लेखन में महारथ हासिल है। संबंधों के शिशु गीत उनकी बाल साहित्य की अलग तरह की पुस्तिका है।इसमें उन्होंने मानव के विभिन्न रिश्तों पर चार-चार लाइनों की कविताएं की हैं।प्रत्येक कविता के नीचे उन्होंने कविता वाले रिश्ते के स्केच भी बनाएं हैं। चाची कविता के नीचे चाची का स्केच है तो दादी के नीचे दादी का। इस पुस्तिका के रिश्तों के गीत तो बच्चों के लिए रुचिकर होंगे ही, उनके साथ इन रिश्तों के बने चित्र भी बच्चों को प्रभावशाली ढंग से आकर्षित करेंगे।
उनकी पहली कविता दादा जी पर है−
दादाजी !भई दादा जी
करो ना झूठा वादा जी ।
मेले में ले जाने का ,
कर दो सच्चा वादा जी।
इस तरह ताई पर उनकी कविता है−
ताई जी भाई ताई जी,
छुपकर तुम क्या खाई जी ।
हमको भी दो थोड़ी सी,
लड्डू बालू साई जी।
अम्मा जी पर कवि कहते हैं-
अम्माजी भाई अम्मा जी,
ले लो चाहे चुम्मा जी ।
पर मुझसे ना कहलाओ,
बोलो बिटिया मम्मा जी ।
भाभी पर कवि कहता है
भाभी जी भाई भाभी जी ।
कुर्रम सिकी कचोरी जी ,
साथ दही के दे दो तुम ,
आलू वाली भाजी जी।
नानी पर श्री भारती जी कहते हैं-
नानी जी भाई नानीजी,
एक थे राजा रानी जी।
इसे छोड़कर सुनवा दो
अब तो नई कहानी जी।
पुस्तक की सारी कविताएं रोचक है। गेय हैं। उनके साथ दिए रिश्तों के स्केच लुभावने और आकर्षक हैं। पुस्तक की भूमिका में डॉ देवराज कहते हैं की कथ्य की दृष्टि से इंद्रदेव भारती ने कौटुम्बिक और सामाजिक से रिश्ते −नातों को — केंद्र में रखा है। हिंदी में पहले− पहल ऐसी आत्मीयता का वर्णन सुभद्रा कुमारी चौहान ने किया है −माँ ओ कहकर बुला रही थी/ मिट्टी खाकर आई थी −−−−बोल उठी वह मां काओ ।
आज जबकि चाचा− चाची, बुआ−फूफा, ताऊ− ताई की जगह कोमन शब्द अंकल –आंटी प्रयोग होने लगा,ऐसे में यह पुस्तिका संबंधों में शीशु गीत बच्चों के लिए लाभप्रद होगी। पुस्तक का प्रिंटिग शानदार है। कवर पेज पर बच्चों के कार्टून बने हैं।
पुस्तक संबंधों के शिशु गीत
कवि −इंद्रदेव भारती
प्रकाशक समन्वय प्रकाशन गाजियाबाद
मूल्य एक सौ रूपया