प्रो: नीलम महाजन सिंह
पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था, “सभी आलोचनाओं के साथ एक स्वतंत्र मीडिया; सभी सकारात्मक टिप्पणियों के साथ एक उत्पीड़ित मीडिया, से कहीं बेहतर है”! चौथा स्तंभ पूरी दुनिया में हमेशा जांच-परख के दायरे में रहा है। हाल ही में दिल्ली में पत्रकारों की गिरफ़्तारी व उन्हें ‘सरकार विरोधी, चीन समर्थक कहानियाँ गढ़ने के लिए चीनी मोहरा’ बनाए जाने ने, समाचार रिपोर्टों की वास्तविकता पर एक और द्रष्टि पेश की है। चूंकि यूट्यूबर्स प्रचलन में हैं, इसलिए उन्हें फंड देना भी संदिग्ध हो गया है। दूसरी ओर गौतम अडानी ने अधिकांश मीडिया हाउसों को खरीद लिया है व अनेक पत्रकार, पीएम नरेंद्र मोदी समर्थक कहानियां रिपोर्ट कर रहे हैं। कोई बच्चा तो है नहीं! हर कोई, सब कुछ जानते हैं! अब नेविल रॉय सिंघम कौन है? इस आदमी की कंपनियों ने भारत में मौजूदा मीडिया व सरकारी रिश्तों को हिलाकर रख दिया है? उस पर चीन के संबंध में पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ खबरें फैलाने का आरोप है! नेविल रॉय सिंघम एक अमेरिकी व्यवसायी व सामाजिक कार्यकर्ता है। वह एक आई.टी. कंपनी ‘थॉट-वर्क्स’ का संस्थापक – पूर्व अध्यक्ष है। उस की कंपनीयां अनुकूलित सॉफ़्टवेयर उपकरण और परामर्श सेवाएँ प्रदान करती हैं। उसने 2017 में एक निजी इक्विटी फर्म को $785 मिलियन में बेच दिया। वह भारतीय मीडिया के एक वर्ग को वित्त पोषित कर रहा है, जिसके बारे में 05 अगस्त, 2023 को ‘दी न्यूयॉर्क टाइम्स’ में प्रकाशित एक में एक रिपोर्ट, मारा हविस्टेंडाही, डेविड ए. फाहर्नथोल्ड, लिन्से चुटेल और इशान झावेरी द्वारा, बताया गया कि; ‘चीनी प्रचार का एक वैश्विक वेब एक अमेरिकी टेक मुगल चला रहा है’। वास्तव में, इस रिपोर्ट में कहा गया है, “यह एक भव्य रूप से वित्त पोषित प्रभाव अभियान का हिस्सा है जो चीन का बचाव करता है व इसके प्रचार को आगे बढ़ाता है। केंद्र में एक करिश्माई अमेरिकी करोड़पति, नेविल रॉय सिंघम है, जो सुदूर-वामपंथी हितों के समाजवादी हितैषी के रूप में जाना जाता है।” समझने वाली बात यह है कि सिंघम चीनी मीडिया मशीन के साथ मिलकर काम करता है व दुनिया भर में उसके प्रचार-प्रसार का वित्तपोषण हो रहा है। सिंघम एक वैश्विक सॉफ्टवेयर नेटवर्क वाला मार्क्सवादी है। चीनी कंपनियां ‘ज़ियामो और वीवो नेटवर्क’ में भी उसका निवेश है। 73 वर्षीय प्रबीर पुरकायस्थ, न्यूज़क्लिक के संस्थापक हैैं। दिल्ली पुलिस के एफआईआर में पुरकायस्थ, सरकार पर ‘झूठा ब्यान, ‘पेड न्यूज़’ आतंकी दायरों में कार्यरत बताये गए हैं। न्यूज़क्लिक, एक मीडिया वेबसाइट बहुत चर्चा में है! 37 साल के मानव संसाधन हेड, अमित चक्रवर्ती को भी गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने ‘न्यूज़क्लिक के ख़िलाफ़ आतंकवाद संबंधी एफ़आईआर’ दर्ज की है। लगभग 50 अन्य पत्रकारों व लेखकों पर छापे व गिरफ्तारी के लिए ट्रिगर बने न्यूज़क्लिक के प्रबीर पुरकायस्थ व अमित चक्रवर्ती के खिलाफ दिल्ली पुलिस की एफआईआर में ‘अवैध धन के प्रवाह’ से जुड़ी एक बड़ी आपराधिक साज़िश का आरोप लगाया गया है। चीनी कंपनियों ‘श्याओमी और वीवो’ द्वारा और गौतम भाटिया द्वारा इन दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ कानूनी मामलों की उत्साही रक्षा को ‘प्रमुख व्यक्ति’ के रूप में वर्णित किया गया है। 17 अगस्त, 2023 को दर्ज की गई एफआईआर में पुरकायस्थ, गौतम नवलखा व नेविल रॉय सिंघम का नाम, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम – 13/16/17/18/22सी – यानी गैरकानूनी गतिविधियां, आतंकवाद, की कई धाराएं लगाई गई हैं। कंपनियों द्वारा आतंकवाद, साजिश व अपराधों के लिए धन जुटाना – भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए व 120बी (समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, आपराधिक साज़िश) आदि हैैं। पुरकायस्थ, न्यूज़क्लिक और सिंघम के खिलाफ अपने प्रमुख दावों को रेखांकित करने के बाद – अमेरिकी व्यवसायी, जिनके खुले बैंकिंग चैनलों के माध्यम से समाचार पोर्टल की फंडिंग अब पुलिस मामले का आधार बनती है। एफआईआर में कहा गया है: “यह आगे पता चला है कि ज़ियोमी जैसी बड़ी चीनी टेलीकॉम कंपनियां, वीवो आदि ने इस साज़िश को आगे बढ़ाने के लिए भारत में अवैध रूप से विदेशी फंड लाने के लिए पीएमएलए/फेमा का उल्लंघन करते हुए भारत में हजारों शेल कंपनियों को शामिल किया। इसके अलावा प्रबीर पुरकायस्थ, नेविल रॉय सिंघम, सुश्री गीता हरिहरन, गौतम भाटिया (प्रमुख व्यक्ति) ने उपरोक्त चीनी टेलीकॉम कंपनियों के खिलाफ अभियान चलाने और कानूनी मामलों की ‘उत्साही रक्षा करने के लिए भारत में एक कानूनी सामुदायिक नेटवर्क बनाने की साजिश रची’। इन चीनी कंपनियों द्वारा लाभ प्राप्त किए हैं।” ज़ियोमी और वीवो, की भारत में मोबाइल फोन के आपूर्तिकर्ताओं के साथ-साथ निवेशकों के रूप में बड़ी उपस्थिति है। ज़ियोमी ने शेयरचेट, क्रेडिट-बी, ज़ेसट-मनी जैसे भारतीय स्टार्टअप्स में भी काफी पैसा निवेश किया है। दोनों कंपनियां वर्तमान में मनी लॉन्ड्रिंग में प्रवर्तन निदेशालय की जांच का विषय हैं और अधिकारियों ने भारत में उनकी वित्तीय संपत्तियों की एक बड़ी मात्रा ज़ब्त कर ली है। ज़ियोमी के वकील, उदय होल्ला ने इस साल की शुरुआत में कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष एक उत्साही बचाव किया, लेकिन कंपनी के जमे हुए फंड को जारी करवाने में विफल रहे। दिल्ली उच्च न्यायालय में वीवो का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और सिद्धार्थ अग्रवाल ने किया है। 2020 में, ज़ियोमी ने पीएम केयर्स फंड में 10 करोड़ रुपये का दान दिया, और वर्तमान में “भारत में बड़े पैमाने पर उत्पादन इकाइयों की योजना बना रहा है”। भारत में पहले ही 2400 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी, वीवो कुल 7500 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बना रही है। इन विस्तार योजनाओं पर सवालिया निशान लगना तय है, क्योंकि दिल्ली पुलिस ने अब दोनों चीनी कंपनियों को ‘भारत को अस्थिर करने की अंतरराष्ट्रीय, आतंकवादी साज़िश के केंद्र’ में रखा है। एफआईआर में पुलिस का कहना है कि चीनी फंडिंग की एक “बड़ी राशि” का इस्तेमाल “पेड न्यूज” प्रकाशित करने के लिए किया गया था, जिसमें भारत सरकार की नीतियों की आलोचना की गई और चीनी नीतियों को बढ़ावा दिया गया। हालांकि एफआईआर में कथित पेड न्यूज़ का कोई विवरण नहीं दिया गया है। “भारत की संप्रभुता को बाधित करने और भारत के खिलाफ असंतोष पैदा करने की इस साज़िश को आगे बढ़ाने के लिए, चीन से घुमावदार और छद्म तरीके से बड़ी मात्रा में धन भेजा गया और जानबूझकर भारत की घरेलू नीतियों, विकास परियोजनाओं की आलोचना करने को बढ़ावा देने, के लिए पेड न्यूज़ फैलाए गइ। चीनी सरकार की नीतियों व कार्यक्रमों का बचाव हुआ।” जैसा कि रिमांड अनुरोध में उल्लेख किया गया है, एफआईआर में अब बंद हो चुके व्हाट्सएप ग्रुप का भी नाम है, जिसे 2019 के लोकसभा चुनावों में ‘नुकसान’ पहुंचाने के लिए पुरकायस्थ के साथ एक साजिश का हिस्सा होने के रूप में कई साल पहले बनाया गया था। “यह पता चला है कि प्रबीर पुरकायस्थ ने 2019 के आम चुनावों के दौरान चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म (पीएडीएस) नामक एक समूह के साथ साजिश रची थी। इस समूह के प्रमुख व्यक्ति जो इस साजिश में शामिल थे, वे हैं बत्तीनी राव (संयोजक, पीएडीएस), दिलीप शिमोन, दीपक धौलाकिया, हर्ष कपूर, जमाल किदवई, किरण शाहीन, संजय कुमार, असित दास, आदि। पुरकायस्थ और सिंघम के साथ-साथ लेखक विजय प्रसाद के खिलाफ एक और आरोप यह है कि उन्होंने अन्य लोगों के साथ मिलकर “कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए भारत सरकार के प्रयासों को बदनाम करने के लिए सक्रिय रूप से झूठी कहानियां प्रचारित कीं।” पूर्व-निरीक्षण करने पर यह कहा जा सकता है कि भारतीय मीडिया चरम राइट-पंथ व चरम वामपंथ के बीच अत्यधिक ध्रुवीकृत हो चुुुका है। ज़हिर तौर पर दोनों एक एजेंडे के तहत कार्यरत हैं। स्वतंत्र, निष्पक्ष व वस्तुनिष्ठ पत्रकारिता इस विभाजन में हताहत हो गई है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व पत्रकार की कलम की ताकत, आम आदमी के लिए मार्गदर्शक रही है। हालाँकि आज़ादी के बाद से वामपंथी समूह ने समाचार रिपोर्टों पर एकाधिकार कर लिया है, लेकिन यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि भारत की संप्रभुता पर अदृश्य उपनिवेशवाद ख़तरे तीव्र न हों। मीडिया बनाम सरकार; तलवारें बाहर निकल चुकी हैं! जबकि ‘फ्रीडम आफॅ मिडिया’ अभियान सामाजिक दायरे में प्रचालित है; यह महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रीय सीक्रेट, राष्ट्रीय सुरक्षा व सरकार की गोपनीयता बनी रहे। स्वतंत्र व निष्पक्ष मीडिया भारतीय संविधान का महत्वपूर्ण स्तंभ है।
(वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, दूरदर्शन व्यक्तित्व, सॉलिसिटर फॉर ह्यूमन राइट्स व परोपकारक)