गुब्बारे ले लो

डॉ. कमलेंद्र कुमार

एक सड़क पर रम्मन काका
बेच रहे गुब्बारे।
दो रुपये में एक मिलेगा ,
लेलो बंटी प्यारे।

काले ,पीले, हरे ,गुलाबी,
और नारंगी लाल।
भिन्न रंग के हैं गुब्बारे,
ये हैं खूब कमाल।

जिद पकड़ कर बैठ गया नन्हा
अपना बंटी प्यारा।
मुझे चाहिए सब गुब्बारे,
रंग बहुत है न्यारा।

पापा ने समझाया उसको,
बहुत नहीं हैं पैसे।
बाँह डाल मम्मी के बोला,
खेलूँगा मैं कैसे?

मम्मी ने अपने पल्लू से
एक गांठ है खोली।
चार लिये गुब्बारे सुन्दर,
हँस करके यह बोली।

होम वर्क भी नहीं हुआ है,
उसको करके जाना।
खेलो कूंदो मौज मनाओ,
गाना खूब तराना।