गोविन्द ठाकुर
”आंध्र प्रदेश में बीजेपी आलाकमान चंद्र बाबू नायडू और जगन मोहन रेडडी को तराजू पर तौल रहे हैं, समय के साथ जिसका पलड़ा भारी होगा बीजेपी उसी के साथ राजनीतिक सफर करेगी। जगन मोहन प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और फिलहाल पलड़ा भारी है और वैसे भी सभी मौके पर जगन ने बीजेपी का साथ दिया है, नायडू फिलहाल करप्पशन चार्जेज में जेल में हैं बीजेपी देख रही है कि अगर जनता की सहानुभूति नायडू के साथ हुआ तो वह नायडू के साथ भी जा सकती है”
आंध्र प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी दो नावों की सवारी कर रही है। वह सरकार चला रहे वाईएस जगन मोहन रेड्डी को भी नाराज नहीं करना चाहती है और टीडीपी के नेता चंद्रबाबू नायडू को भी खुश रखना चाहती है। इसलिए वह आंध्र प्रदेश को लेकर अपने पत्ते नहीं खोल रही है। वह किसी का पक्ष लेती नहीं दिख रही है। पिछले दिनों चंद्रबाबू नायडू के बेटे नारा लोकेश ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस मुलाकात में अमित शाह बड़ी आत्मीयता से उनसे मिले और जेल में बंद चंद्रबाबू नायडू का हाल-चाल पूछा, उनकी सेहत की जानकारी ली। लेकिन भाजपा ने साफ नहीं किया कि वह अगले साल के लोकसभा चुनाव के लिए टीडीपी से तालमेल करना चाहती है या नहीं।
तभी आंध्र प्रदेश में इस बात का चर्चा है कि भाजपा नहीं चाहती है कि चंद्रबाबू नायडू जेल से छूटें। यह भी कहा जा रहा है कि जगन मोहन रेड्डी ने नायडू के खिलाफ कार्रवाई की है तो उस पर भाजपा की भी सहमति है। हालांकि खुद नायडू का परिवार इस बात को खारिज कर रहा है और कह रहा है कि भाजपा ऐसा नहीं कर रही है। लेकिन जब तक भाजपा स्पष्ट नहीं करेगी तब तक अटकलें चलती रहेंगी। भाजपा पर दबाव बनाने के लिए जन सेना पार्टी के नेता पवन कल्याण ने टीडीपी से तालमेल का ऐलान कर दिया। फिर भी भाजपा चुप है। असल में भाजपा यह आकलन कर रही है कि अगले चुनाव में किसका पलड़ा भारी रहना है। वह अभी तालमेल करके गलत पार्टी के साथ नहीं जाना चाहती है। उसको जगन मोहन रेड्डी से कोई समस्या नहीं है। वे केंद्र की भाजपा सरकार को समर्थन देते रहते हैं। इस बार लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में उनकी जीत की संभावना है। तभी भाजपा उनको नाराज नहीं करना चाहती है