- कांग्रेस की पहली सूची में महज 33 उम्मीदवारों के नाम, राहुल गांधी का वीटो चला
- भाजपा ने दूसरी सूची में असन्तोष को संतुलित करने का प्रयास किया
गोपेंद्र नाथ भट्ट
राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में शनिवार को अपेक्षा के अनुरूप नवम्बर के अन्त में होने वाले राजस्थान विधान सभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपनी पहली और भाजपा ने अपनी दूसरी सूची जारी कर दी। भाजपा की पहली सूची पर मचे बवाल के बाद दोनों पार्टियाँ असन्तोष एवं बग़ावत की आशंका से भयभीत दिखो।
कांग्रेस की पहली सूची में सिर्फ 33 नाम
कांग्रेस की पहली सूची में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके पाँच मंत्रियों को टिकट दिया गया है। गहलोत जोधपुर शहर में अपनी परम्परागत सरदारपुरा सीट से चुनाव लड़ेंगे। वे यहाँ से लगातार पाँच चुनाव जीत चुके है।
कांग्रेस की पहली सूची में पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा, विधान सभा अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी,पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी,गहलोत मंत्री परिषद के मंत्री महेन्द्र जीत सिंह मालविया,टीका राम जूली,भँवर सिंह भाटी,ममता भूपेश और अशोक चान्दना को टिकट दिया गया है । साथ ही प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश घोघरा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष परसराम मदेरणा की पुत्री दिव्या मदेरणा,पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ अबरार अहमद के पुत्र दानिश अबरार , पूर्व मंत्री गुलाब सिंह शक्तावत की पुत्र वधु प्रीति गजेन्द्र सिंह शक्तावत जानी मानी ऐथेलिक कृष्णा पूनिया आदि के नाम शामिल है।
कांग्रेस अपनी पहली सूची में महज 33 उम्मीदवारों के नाम ही घोषित कर पाई है। इसमें भी सचिन पायलट के साथ बग़ावत कर मानेसर जाने वाले विधायकों के नाम भी शामिल है। लगता है कांग्रेस की सूची पर राहुल गाँधी ने अपना वीटो चला दिया है,अन्यथा चर्चा थी कि कांग्रेस पहली सूची में सौ से अधिक उम्मीदवारों की सूची जारी करने वाली थी ।
भाजपा ने जारी की दूसरी सूची
इधर भाजपा की 83 उम्मीदवारों की दूसरी सूची में भाजपा ने 41 उम्मीदवारों की पहली सूची से उपजें असन्तोष को संतुलित करने का प्रयास किया गया है। हालाँकि सूचियाँ जारी करने में भाजपा अभी भी कांग्रेस से काफी आगे है तथा अब तक 124 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर चुकी है।
भाजपा की दूसरी सूची में सात मौजूदा विधायकों के टिकट काटे गए है और कुछ नए नामों को छोड़ कर अधिकांश मौजूदा 62 विधायकों को टिकट दिया गया है और इस तरह इस सूची में वसुन्धरा राजे,राजेन्द्र राठौड़ ,सी पी जोशी और आरएसएस आदि के साथ ही संवैधानिक पद पर बैठें जगदीप धनखड ,ओम बिरला ,गुलाब चंद कटारिया तथा केंद्रीय मंत्रिपरिषद में प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहें मंत्रियों आदि के समर्थकों की मिलाजुली छाप भी देखी जा रही है। फिर भी इस सूची से एक बार फिर वसुन्धरा राजे के नेतृत्व की धाक उभर कर सामने आई है।
वसुंधरा राजे इस बार भी झालावाड़ जिले की अपनी पुरानी झालरापाटन सीट से ही चुनाव मैदान में उतरेंगी। इस सीट को भाजपा का अभेद्य किला माना जाता है। 2003 से ही इस सीट पर वसुंधरा राजे का कब्जा रहा है। वह लगातार चार बार से यहां से जीतती आ रही हैं।
भाजपा की सूची में आरएसएस समर्थित और अन्य नेताओं की राय को भी तवज्जो दो गई है । नाथद्वारा में विधानसभा अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी के सामने उदयपुर राज वंश के कुंवर विश्व राज सिंह मेवाड़ को चुनाव लड़ने के लिए खड़ा कर मुक़ाबलें को रोचक बनाया गया है । महेन्द्र सिंह मेवाड़ के पुत्र कुंवर विश्व राज सिंह मेवाड़ को हाल ही बीजेपी में शामिल कराने में राजसमन्द की सांसद दिया कुमारी की महत्वपूर्ण भूमिका रहना बताया जा रहा है। चितौड़गढ़ से पूर्व उप राष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी को टिकट देकर उनकी नाराज़गी को दूर किया गया है। साथ ही जयपुर के विध्याधर नगर से सांसद दिया कुमारी की जीत को आसान बनाने का प्रयास किया गया है।
सूची में मेवाड़ और वागड़ के उदयपुर संभाग में इस अंचल के क़द्दावर नेता रहें गुलाब चंद कटारिया की छाप भी दिखाई दे रही है। उनके गृह नगर उदयपुर में ताराचन्द जैन को उनका उत्तराधिकारी बनाया गया है। ताराचन्द जैन कटारिया के विश्वस्त साथी है। कटारियाँ इस सीट पर लगातार चार विधान सभा चुनाव जीत चुके है। अब वे असम के राज्यपाल है।उनके कतिपय विरोधियों को इस बार टिकट नही दिया गया है।
दौसौ सीटों वाली राजस्थान विधान सभा के लिए कांग्रेस को अभी भी 167 और भाजपा को 76 और सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करना शेष है । इसके अलावा क्षेत्रीय दलों बसपा ,आम आदमी पार्टी (आप), आरएलपी , आरजेडी,जेपी जनता दल, माकपा और ओवेसी की पार्टी आदि ने भी अपने पूरे उम्मीदवार घोषित नही किए हैं। निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव भी चुनाव में अपनी ताल ठोंक कर मैदान में उतरेंगे,तभी सही तस्वीर उभर कर सामने आयेंगी।
देखना होंगा कि राजस्थान के रण में इस बार मुक़ाबला कितना अधिक कड़ा और दिलचस्प रहेगा तथा चुनावी चौसर जब बिछेंगी तों शह और मात के खेल में किस्मत किसका साथ देंगी।