इंद्र वशिष्ठ
नई दिल्ली : सीबीआई ने दिल्ली पुलिस के एक सब- इंस्पेक्टर के ख़िलाफ़ बाप-बेटे को हथियार बनाने के मामले में फंसाने की धमकी दे कर 5 लाख रुपए मांगने का मामला दर्ज किया है।
उत्तरी जिला के डीसीपी मनोज कुमार मीना ने सब- इंस्पेक्टर विजय पाल को निलंबित और लाइन हाज़िर कर दिया है।
सीबीआई ने उत्तरी जिले के एसीपी धर्मेंद्र कुमार (ऑपरेशन सेल, साइबर सेल, नारकोटिक्स सेल, एएटीएस, स्पेशल स्टाफ) के दफ़्तर में तैनात सब- इंस्पेक्टर विजय पाल के ख़िलाफ़ 20 अक्टूबर 2023 को मामला दर्ज किया। इस मामले से एसीपी की भूमिका और कार्य प्रणाली पर भी सवालिया निशान लग जाता है।
हथियारों का मामला-
गाजियाबाद में लोनी, श्याम इंडस्ट्रियल एरिया निवासी जगत सिंह ने 3 अक्टूबर को अपना घर लोनी के सुमित को किराए पर दिया था। सब- इंस्पेक्टर विजय पाल ने 7 अक्टूबर को एफआईआर नंबर 425/2023 के सिलसिले में उस घर में छापा मारा। सब- इंस्पेक्टर ने जगत सिंह से कहा कि इस घर में अवैध हथियार बनाए जाते हैं।
पांच लाख मांगे-
आरोप है कि जगत सिंह को 16 अक्टूबर को मौरिस नगर स्थित स्पेशल स्टाफ़ के दफ़्तर में बुलाया गया। सब- इंस्पेक्टर विजय पाल ने पांच लाख रुपए रिश्वत मांगी। रिश्वत न देने पर जगत सिंह और उसके बेटे परविंदर को हथियार कानून के तहत दर्ज मामले में फंसाने की धमकी दी। जगत सिंह ने 18 अक्टूबर को इस मामले की सीबीआई में शिकायत कर दी।
बहुत प्रेशर है पैसों के लिए-
सीबीआई ने जगत सिंह और सब- इंस्पेक्टर विजय पाल के बीच रिश्वत को लेकर हुई बातचीत रिकॉर्ड की। बातचीत के कुछ अंश पेश हैं।
सब- इंस्पेक्टर: लाया (पैसे)।
शिकायतकर्ता: एक लाख का तो आज इंतजाम है। एक किस्त में ले लो चार के चार लाख रुपए।
सब- इंस्पेक्टर: अरे सुन मेरी बात, आजकल बहुत प्रेशर है मेरे ऊपर पैसों के लिए।
सब- इंस्पेक्टर विजय पाल ने एक लाख रुपए लेने से मना कर दिया और पूरी रकम चार लाख का इंतजाम करने को कहा।
सब- इंस्पेक्टर विजय पाल ने रिश्वत की रकम 21 अक्टूबर को स्पेशल स्टाफ़ के दफ़्तर मौरिस नगर में देने को कहा।
सब- इंस्पेक्टर ने जगत सिंह से कहा चार लाख रुपए देने के बावजूद उसके बेटे को गिरफ्तार किया जाएगा। चार लाख रुपए तो केवल उसे इस मामले में न फंसाने के एवज़ में है।
सूत्रों के अनुसार सीबीआई ने सब- इंस्पेक्टर विजय पाल को रंगे हाथों पकड़ने के लिए जाल बिछाया। लेकिन सब-इंस्पेक्टर को शायद भनक लग गई और उसने रिश्वत के पैसे शिकायतकर्ता से लिए ही नहीं। यह खबर लिखे जाने तक सीबीआई ने सब- इंस्पेक्टर को गिरफ्तार नहीं किया था।
एसीपी की भूमिका पर सवाल-
उत्तरी जिले में एसीपी धर्मेंद्र कुमार की नाक के नीचे सब- इंस्पेक्टर विजय पाल द्वारा पांच लाख रुपए रिश्वत मांगने के मामले से अंदाजा लगाया जा सकता है कि निरंकुश, भ्रष्ट पुलिसकर्मियों में सीनियर अफसरों का जरा भी भय नहीं है। इस मामले से एसीपी की भूमिका और कार्य प्रणाली पर भी सवालिया निशान लग जाता है।
इसके पहले दिसंबर 2022 में इसी जिले के सिविल लाइन थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार यादव को सीबीआई ने रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। थाना परिसर में ही एसीपी का भी दफ़्तर है।
इन मामलों से पता चलता है भ्रष्ट पुलिसकर्मियों में कानून का ही नहीं वरिष्ठ अफसरों का भी जरा सा भी डर नहीं है. इसलिए तो वह एसीपी की नाक के नीचे भी बेखौफ होकर रिश्वत वसूलने का दुस्साहस कर रहे हैं।