उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव की बिसात

सैयद मोजिज इमाम

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारी दोनों तरफ से हैं एक तरफ इंडिया अलायंस है दूसरी तरफ बीजेपी लेकिन अभी मायावती ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं बीजेपी बीजेपी की सत्ता दिल्ली में बनी रहे इसके लिए पार्टी लगातार अपना फोकस उत्तर प्रदेश में कर रही है 2014 और 2019 में बीजेपी की यूपी की जीत ने हीं दिल्ली का सत्ता शिखर तय किया था हालात यूपी में उस वक्त मुजफ्फर नगर के दंगों के वजह से बीजेपी को पुरजोर फायदा हुआ जिसका परिणाम यह हुआ की कई पार्टियों का खाता नहीं खुल पाया अब बीजेपी इस जीत को बरकरार रखना चाहती है जिसके लिए हर सांसद के परफॉर्मेंस को नापा जा रहा है कहा जा रहा है कि जिन सांसदों का परफॉर्मेंस सही नहीं होगा उनका टिकट काट दिया जाएगा है हालांकि भाजपा के नेता आत्मविश्वास से भरे हुए हैं उत्तर प्रदेश सरकार पर एक मंत्री का दावा है की तमाम नाराज़गियों के बाद भी यूपी में 14 और 19 से बेहतर रिजल्ट 24 के चुनाव में आने वाला है इसके पीछे तर्क है कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है महंगाई पर चुनाव नहीं लड़ा जा सकता है क्योंकि सरकार की तरफ से गरीब तबके को लगातार राशन की व्यवस्था की जा रही है दूसरा बीजेपी का राष्ट्रवाद है तीसरा कारण योगी सरकार में विकास और कानून व्यवस्था लगातार चुस्त और दुरुस्त हो रही है.

वहीं समाजवादी पार्टी के रणनीति इंडिया लाइंस को लेकर बन रही है जिसमें पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक को मिलाकर समीकरण तैयार करने की कोशिश है इंडिया लायंस को यकीन हो रहा है की कम से कम अल्पसंख्यक वोट उसको मिलने वाला है. अखिलेश यादव ने कहां है कि समीकरण बीजेपी को चुनाव में मार देने में सक्षम है और रिलायंस इस बात को लेकर चुनाव में जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के दो कार्यकाल में जनता का कोई भला नहीं हुआ है हालांकि अभी इंडिया अलायंस में ही कई पेच है अलाइंस को लेकर धरातल पर अभी बहुत कम जमीनी स्तर पर होना बाकी है खासकर सीटों को बंटवारों को लेकर अभी भी तस्वीर साफ नहीं हुई है।

यूपी में समाजवादी पार्टी कांग्रेस और आरएलडी एक साथ गठबंधन में तो है लेकिन मायावती ने भी पत्ते नहीं खओले हैं मायावती ने साफ तौर पर कहा है की कोई भ्रम की स्थिति में ना रहे और वह किसी भी पार्टी से समझौता नहीं करने वाली है बल्कि अकेले चुनाव लड़ेगी, मायावती की ताकत भी लगातार कम हो रही है हालांकि मौजूदा लोकसभा में उनके पास 10 सांसद हैं जो यूपी में बीजेपी के बाद सबसे बड़ा दल है.मायावती के साथ ना रहने से इंडिया अलायस में अभी वह मजबूती नहीं आई है जो मजबूती होनी चाहिए समाजवादी पार्टी के पास 2012 जैसी ताकत नहीं है जिस समय उन्होंने प्रदेश में सरकार बनाई थी 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने मौका गंवा दिया और बीजेपी की दोबारा सरकार बन गई आजमगढ़ और रामपुर के उपचुनाव में बीजेपी ने समाजवादी पार्टी को हरा दिया जबकि दोनों में समाजवादी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का विषय थी.