गोपेंद्र नाथ भट्ट
राजस्थान विधान सभा चुनाव के लिए नामांकन भर चुके कांग्रेस और भाजपा के 52 से अधिक बागी उम्मीदवारों के लिए नाम वापसी के लिए अब महज कुछ घण्टे ही बाकी है। ऐसे में दोनों प्रमुख दलों और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं की धड़कने तेज हो रही है। कांग्रेस के दो दर्जन और भाजपा के इससे भी अधिक बागी मैदान में उतरें हैं। हालाँकि कांग्रेस और भाजपा के नेता बागियों को समझाने बुझाने का काम बहुत गम्भीरता से कर रहे है। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को प्रदेश के नेताओं के साथ इस बाबत गम्भीर मन्थन किया है। इस मध्य प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार को विधान सभा चुनाव की घोषणा के बाद अपनी पहली चुनावी रैली को सम्बोधित करने और दक्षिणी राजस्थान के गुजरात से सटे मेवाड़ और वागड़ के आदिवासी अंचल को साधने के लिए उदयपुर आ रहें है। इससे पहले भी वे पिछलें एक वर्ष में राजस्थान की करीब 11 यात्राएँ कर चुके है हालाँकि उन यात्राओं में सरकारी कार्यक्रम भी जुड़े होते थे लेकिन इस बार मेवाड़ और वागड़ के आदिवासी अंचल में मानगढ़ के बाद प्रधानमंत्री मोदी की उदयपुर में यह सबसे बड़ी रैली होंगी। मोदी आदिवासी वोटरों को लुभाने का प्रयास करेंगे। वे पहलें भी कह चुके है कि गुजरात के हर घर में मेवाड़ और वागड़ के लोग काम करते है जिन पर हर गुजराती आँख मूँद कर विश्वास करता हैं।
कांग्रेस में अपने बागियों को मनाने के मुख्य मंत्री अशोक गहलोत के साथ ही एआईसीसी विशेष पर्यवेक्षक मुकुल वासनिक, प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और मध्य प्रदेश के चुनाव प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह आदि मंत्रणाएं कर रहें है । साथ ही बागियों को संदेश पहुंचाने और चुनाव मैदान से हटाने और अन्य रणनीति पर गहनता से विचार किया जा रहा है ।
विभिन्न विधानसभा क्षेत्र में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेता सक्रिय है। गुजरात के पीसीसी अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल, वरिष्ठ नेता शकील अहमद खान व हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा आदि भी बागियों के कारण होने वाले नफा-नुकसान का फीडबैक भी ले उसकी रिपोर्ट हाई कमान को दे रहें है।।
पूर्व उप मुख्य मंत्री सचिन पायलट भी पूरी स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन और राहुल गांधी आदि भी कांग्रेस के नेताओं से नियमित रूप से जानकारी ले रहे हैं।
कांग्रेस के बागियों में संगरिया सीट पर पूर्व विधायक डॉ. परमनवदीप, शिव में जिलाध्यक्ष फतेहखां, नागौर में पूर्व मंत्री हबीबुर्रहमान, सिवाना में कांग्रेस के जोनल इंचार्ज सुनिल परिहार, लूणकरणसर में पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल, जालोर में पूर्व विधायक रामलाल मेघवाल, जैतारण में पूर्व संसदीय सचिव दिलीप चौधरी, मनोहर थाना में पूर्व विधायक कैलाश मीना और अजमेर दक्षिण सीट पर पीसीसी सदस्य हेमंत भाटी और चौरासी में महेन्द्र सहित कई नेता आदि प्रमुख हैं। यदि यें बागी नही हटे करीब डेढ़ दर्जन विधानसभा क्षेत्रों में नुकसान उठाना पड़ सकता है। साथ ही यह गहलोत सरकार को फिर से रिपीट करने वाले प्रयास में भी रोड़ा बन सकता है ।
इधर बताया जा रहा है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व डैमेज कंट्रोल के लिए केन्द्रीय मंत्री कैलाश चौधरी के नेतृत्व में बनाई गई कमेटी से खुश नही है । इस चुनाव प्रबंधन समिति में संयोजक नारायण पंचारिया और सांसद राजेन्द्र गहलोत भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इस बात से चिंतित है की आखिर प्रदेश के बागियों को लेकर ठोस और प्रभावी रणनीति तैयार क्यों नहीं की हो पा रही है ! भाजपा में बागियों और निर्दलीय आवेदकों को नामांकन वापस लेने के लिए मनाने की कमान वरिष्ठ नेता भाजपा के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, चुनाव प्रभारी और संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी,जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी,प्रतिपक्ष के नेता राजेंद्र राठौड़,सह प्रभारी रहाटकर ,राष्ट्रीय मंत्री डॉ. अलका सिंह आदि को दी गई है लेकिन उन्हें अभी तक बागियों को बैठाने में कामयाबी नहीं मिली है। प्रदेश में एक दर्जन से अधिक सीटें हैं जहां बागी भाजपा का माहौल बिगाड़ रहे हैं।भाजपा के जिन बागियों को मनाना सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है उनमें चित्तौड़गढ़ के चंद्रभान सिंह आक्या,, सांचौर के जीवाराम चौधरी, जयपुर के झोटवाड़ा से राजपाल सिंह शेखावत और आशुसिंह, कोटपूतली से मुकेश गोयल, शिव से रविन्द्र सिंह, शाहपुरा से भाजपा से निष्काशित कैलाश मेघवाल, खंडेला से बंशीधर बाजिया, डीडवाना से यूनुस खान, कोटा लाडपुरा से भवानी सिंह राजावतआदि शामिल है।बताते है कि यें बागी किसी समय पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से निकट रहे है।बहरोड की जनसभा में अलवर के सांसद और तिजारा से भाजपा प्रत्याशी बालक नाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भविष्य की मुख्यमंत्री कहकर संबोधित किया।ऐसे में वसुन्धरा राजे से आगे आकर बाग़ियों को नाम जदगी का पर्चा उठाने के लिए राज़ी कराने की अपेक्षा की जा रही है। भाजपा चुनाव प्रभारी जोशी ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी एवं डॉ.अरुण चतुर्वेदी से भी मंत्रणा की। डॉ. अरुण चतुर्वेदी और अशोक परनामी का इस बार पार्टी ने टिकट नही दिए है ।
प्रदेश में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी,आजाद समाज पार्टी काशीराम, बहुजन समाज पार्टी और आप पार्टी के के लगभग 50 से अधिक उम्मीदवार मैदान में हैं।यें किसके लिए मदद गारी और किसको नुकसान पहुंचाएंगे। यें देखने वाली बात होंगी।
प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की तस्वीर गुरुवार 9 नवंबर की शाम तक ही स्पष्ट होंगी।
यह देखना दिलचस्प रहेगा कि बागियों और निर्दलीय की मान-मनव्वल में जुटे
कांग्रेस और भाजपा के नेताओं की रणनीतिक प्रयास कितनी कारगर रहेंगे ?
साथ ही सबकी नज़रें प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की राजस्थान यात्रा पर यात्रा पर गढ़ी हुई है।