अमित कुमार अम्बष्ट ” आमिली “
ऐसे कई मौके आए जब देश में कभी दाल की कीमत आसमान छूने लगी तो कभी प्याज ने रूलाना शुरू कर दिया , खाद्य पदार्थों की बढती कीमतों ने कई बार गरीबों से उनके दाल – रोटी का निवाला छीन लिया तो देश का मध्यम वर्ग भी महंगाई की मार से कराहता नजर आया ,
केन्द्र सरकार की तमाम उपलब्धियों के बीच आमजन की यह उम्मीद भी बनी रही है कि सरकार महंगाई पर भी जरूर अंकुश लगाएगी , 2014 में पहली बार केन्द्र में भाजपा सरकार बनने और पुनः 2019 में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर सत्ता पर काबिज होने के बाद इसमें कोई संदेह नहीं है कि केन्द्र सरकार महंगाई पर कुछ हद तक अंकुश तो लगाया है , लेकिन, यह अंकुश पर्याप्त नहीं है , क्योंकि कारण कुछ भी भी लेकिन आमजन आज भी मंहगाई का दंश झेल रहा है , खासकर त्योहारों के मौके पर बढती महंगाई के कारण गरीब एवं मध्यम वर्ग हमेशा हतोउत्साहित और निराश होता रहा है ।
हालांकि अगर केन्द्र में कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार और वर्तमान मोदी सरकार के कार्यकालों के महंगाई दर की तुलना करे तो मनमोहन सिंह के कार्यकाल में महंगाई 10 फीसदी के भी पार गई थी ,साल 2009 में तो एक समय खुदरा महंगाई 12 फीसदी से भी ऊपर चली गई थी , साल 1991 में तो मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री के काल में महंगाई दर 13.50 प्रतिशत पहुँच गयी थी , जो भारत में अब तक दर्ज सबसे अधिक खुदरा महंगाई दर है ।
साल 2014 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद नरेंद्र मोदी ने 26 मई को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. उस समय खुदरा महंगाई की दर 8.33 फीसदी थी , जबकि सितंबर 2023 में खुदरा महंगाई दर में गिरावट आई है, सितंबर 2023 में खुदरा महंगाई दर गिरकर 5.02 फीसदी पर आ गई थी , जो अगस्त में 6.83 फीसदी रही थी तथा इससे पहले जुलाई 2023 में खुदरा महंगाई दर 15 महीने के शिखर यानी 7.44 फीसदी पर जा पहुंची थी , हालांकि आंकड़े कुछ भी बोलते हो , लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि आज आमजन महंगाई की मार से त्रस्त है , ऐसे में केन्द्र सरकर से एक ऐसे ठोस कदम की उम्मीद बनी हुई थी जिससे महंगाई पर लगाम लगाया जा सके , केन्द्र सरकार द्वारा मूल्य स्थिरीकरण कोष योजना के अंतर्गत खुदरा खाद्य पदार्थों की बिक्री तथा भारत ब्रांड आटा की लांचिग इस दिशा में उठाया गया एक प्रभावी कदम साबित हो सकता है ।
गौरतलब है कि मूल्य स्थिरीकरण कोष भारत सरकार द्वारा प्याज और आलू जैसी वस्तुओं की मूल्य अस्थिरता को विनियमित करने के लिए 2014-15 में स्थापित किया गया था , यह कोष चयनित वस्तुओं की कीमतों में अत्यधिक अस्थिरता वाले फंड के लिए गठित है, निधि में राशि का उपयोग नीचे या ऊपर की कीमतों को संतुलित करने के उद्देश्य की गतिविधियों के लिए किया जाता है , भारत के वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट 2018-19 में ऑपरेशन ग्रीन्स की घोषणा की थी , हाल ही में सरकार ने ऑपरेशन ग्रीन्स ’कार्यक्रम के लिए 500 करोड़ रुपये की मंजूरी दी ,ऑप्रेशन ग्रीन मूल्य स्थिरीकरण में बेहद कारगर साबित हो सकता है ,यह किसानों को उपभोक्ताओं से जोड़कर टमाटर, प्याज और आलू (उच्च सब्जियां) के संगठित विपणन पर ध्यान केंद्रित करता है।
इस योजना के अंतर्गत ही केन्द्र सरकार ने पहले दाल और अब आटा को भी सम्मिलित किया है , सरकार सहकारी समितियां, नेफड,एनसीसीएफ और केन्द्रीय भंडार के माध्यम से खाद्य सामग्री देश भर में 800 मोबाईल वैन एवं 2000 से अधिक दुकानों के माध्यम से बिक्री करेगी , वास्तव में जहाँ नेफेड (NAFED) गोदामों और भंडारण सुविधाओं का निर्माण कर वेयरहाउसिंग एक्ट के अनुसार गोदामों के निर्माण की सुविधा प्रदान करता है , यह कृषि की बिक्री और आपूर्ति, खरीद, विपणन और प्रसंस्करण आवश्यकताओं जैसे खाद, उर्वरक, बीज आदि का उपक्रम भी करता है तथा किसी भी दुर्घटना को कवर करने के लिए बीमा कवरेज भी प्रदान करता है , वही दूसरी तरफ एनसीसीएफ ( NCCF) का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ता सहकारी समितियों को तकनीकी मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करने के अलावा उचित और किफायती दरों पर उपभोक्ता वस्तुओं के वितरण के लिए उपभोक्ता सहकारी समितियों और अन्य वितरण एजेंसियों को आपूर्ति सहायता प्रदान करना है , अर्थात इस निर्णय में केन्द्र सरकार ने खाद्द सामग्री की गुणवत्ता, सुरक्षा एवं उसके विक्रय कार्य में अनुभवी सहकारी समितियों का चुनाव किया है जो एक सही निर्णय कहा जा सकता है , वास्तव में इस योजना के अंतर्गत उपरोक्त सभी सहकारी समितियां 2.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं 21.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीद कर उसे आटा में बदलेगी तथा जनता को बेचेगी जिसका मूल्य सिर्फ 27.50 रूपये प्रति किलोग्राम होगा।
भारत आटा क्रमशः 10 किलोग्राम और 30 किलोग्राम के पैकेट में उपलब्ध होगा , केंद्र सरकार ने बाजार मूल्य के मुकाबले 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती कीमत पर गेहूं का आटा आम लोगों के लिए उपलब्ध कराने का फैसला तब लिया है जब अभी खुदरा बाजार में आटा 40-45 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच उपलब्ध है।
ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि केन्द्र सरकार आवश्यक खाद्य पदार्थ जो अब तक इस योजना के अंतर्गत शामिल नहीं हैं उनको भी धीरे-धीरे इसमें शामिल करेगी ताकि आर्थिक रूप से संपन्न वर्ग के साथ-साथ मध्यम और गरीब वर्ग की भी भोजन की थाली सज सके , क्योंकि केन्द्र सरकार भारत आटा लांच करने के पहले जो भारत दाल (दाल) योजना भी शुरू की थी, उसके तहत चना दाल क्रमशः 1 किलो के पैकेट के लिए 60 रुपये और 30 किलो के पैकेट के लिए 55 रुपये प्रति किलो पर बेचा जा रहा है , सरकार दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में लगभग 150 स्थानों पर 25 रुपये प्रति किलोग्राम पर प्याज भी बेच रही है, ऐसे में बहरहाल इतना तो कहा ही जा सकता है कि भारत आटा लांच कर केन्द्र सरकार ने आश्वस्त किया है कि सरकार की नजर महंगाई पर भी है और यह इसमें कोई संदेह नहीं कि यह योजना खुदरा मूल्य स्थिरीकरण में बेहद कारगर साबित हो सकता है ।