त्वरित टिप्पणी ⇒गोपेंद्र नाथ भट्ट
कांग्रेस की संस्कृति अजब है, यहाँ ज़मीनी हक़ीक़त से रुबरू होने के बावजूद सत्ता पाने की चाहत में दिन में ही सपने देखने वाले नेताओं की कमी नहीं है। ऐसा अभी अचानक नही हुआ है वरन ऐसा पण्डित नेहरु और आयरन लेडी मानी जाने वाली इन्दिरा गांधी के जमाने से होता आया है। गुटबाज़ी से घिरी रहने वाली कांग्रेस के बारे में यह कहा जाता रहा है कि कांग्रेस को कभी उनके विरोधियों ने नही बल्कि उनके अपने ही पराजित करते आयें है।
हाल ही राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट की कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी से नई दिल्ली में हुई मुलाक़ात के बाद बताते है कि उनके अनुयायियों ने राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बदल कर नए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की अफ़वाह चला दी जिससे देश और प्रदेश में एक नई चर्चा शुरू हो गई है। कांग्रेस मुक्त भारत का नारा चलाने वाली भाजपा के नेता चटकारें लेकर इसका मज़ा ले रहे है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आज अशोक गहलोत सोनिया गांधी और परिवार के सबसे चहेते निकटतम वफ़ादार और विश्वस्त नेता है।कांग्रेस हाई कमान और पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा लगन और समर्पण के कारण वे आज कांग्रेस में अपरिहार्य बन गए है । मुख्यमंत्री बदलने की अफ़वाह सत्ता का दीवा स्वप्न देखने वाले महत्वाकांक्षी नेताओं की दिमागी उपज मात्र है। यदि अशोक गहलोत को बदलना ही होता तो उन्हें सचिन पायलट पर तरजीह देकर मुख्यमंत्री ही नहीं बनाया जाता। यह बात समझने की है।आज जब विशुद्ध रूप से कांग्रेस की राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही सरकारें बची है। शेष प्रदेशों में यानि महाराष्ट्र आदि में जहां भी गेर भाजपा सरकारें है वहाँ कांग्रेस सहयोगी की भूमिका में हैं।ऐसे में देश में लगातार कमजोर हो रही कांग्रेस और उसके संगठन को चलाने में मिल रहें इनके सहयोग और अनुभव को कांग्रेस कभी नज़र अन्दाज़ नही कर सकती।
राजनीतिक जानकार पायलट को अति महत्वकांक्षी नेता मानते है । यदि वे शान्ति से पाँच साल सत्ता में बने रह कर अपनी बारी का इंतज़ार करते तों कोई शक नही कि वे आने वाले समय में प्रदेश का नेतृत्व कर सकते थे,लेकिन सत्ता पाने की उतावली में उन्होंने कांग्रेस से बगावत करने और अपनी ही पार्टी की सरकार को पलटने का अपने पर दाग लगवा लिया जिसका ख़ामियाज़ा उन्हें लम्बे समय तक भुगतना होगा। कांग्रेस ने अनुशासन हीनता के कारण अपने मजबूत पंजाब के मुख्यमंत्री केप्टन अमरेन्द्र सिंह को भी यह जानते हुए कि इससे पार्टी को नुक़सान हो सकता है, नही बकक्षा फिर पायलट इतने बड़े नेता तों नही है? इसी प्रकार राजनीति के जादूगर माने जाने वाले गहलोत ने अपने सभी विरोधियों का जो हश्र किया है उससे भी सभी भलीभाँति अवगत हैं। पायलट गुट का यह कहना कि राजस्थान में एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा के बारी-बारी से सत्ता में आने की पिछलें तीस वर्षों की परिपाटी को बदलने के लिए गहलोत को बदलना ज़रूरी है,का जवाब पिछलें विधानसभा उप चुनावों और स्थानीय निकाय एवं पंचायत चुनाव में पार्टी को विजयी बना कर गहलोत दे चुके है। विधान सभा में पेश बजट और कोरोना काल में जनता की और राज्य कर्मचारियों के हितों का ख्याल रख वे और अधिक लोकप्रिय हो गए है।उधर क़रीब चार वर्षों के शासन के बाद भी प्रदेश में सत्ता विरोधी हवा नही चलने और भाजपा की अंदरूनी लड़ाई और गुटबाज़ी भी गहलोत के पक्ष में है।
इधर इन अफ़वाहों पर विराम लगाते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वयं आगे आकर प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलने की चर्चाओं को अफवाह बताते हुए इसे गम्भीरता से नहीं लेने का बयान दिया है। जयपुर में शनिवार को राजस्व सेवा परिषद के सम्मेलन में उन्होंने कहा कि ऐसी अफवाह चलती रहती है। गहलोत ने कहा कि मेरा इस्तीफा तो स्थाई रूप से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास मौजूद है।उन्होंने कहा कि अफ़वाह की तरफ ध्यान देने की जरुरत नही है।
गहलोत ने अपने विरोधियों को करारा जवाब देते हुए कहा कि शुरू से ही ऐसी अफवाह चलती रही है कि सरकार बदल रही है, मुख्यमंत्री बदल जाएंगे। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भी बहुत कौशिश कर ली लेकिन वे राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को नही बदल पायें।उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि आप निश्चिंत रहें राजस्थान में न सरकार बदलेगी ना नेतृत्व । मैं वर्ष 1998 में पहली बार मुख्यमंत्री बना, इसके बाद सोनिया गांधी जी ने मुझे तीन बार मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया और मैंने उस वक्त से उन्हें अधिकृत कर रखा है कि जब वे चाहें मेरा इस्तीफ़ा ले सकती है क्यूँकि मेरा इस्तीफा तो परमानेंट ही सोनिया जी के पास है। जब मुख्यमंत्री बदलना होगा तो किसी को कानों कान भनक नहीं लगेगी। आप निश्चिंत रहें, आप अफवाहों में नहीं पड़े। दो-तीन दिन से मैं भी यह अफवाह सुन रहा हूं।
उन्होंने यह भी कहा कि, बार-बार ऐसी अफ़वाहें नहीं फैलनी चाहिए कि मुख्यमंत्री बदल रहा है। ऐसी अफवाह से बिना मतलब लोग कंफ्यूज हो जाते हैं और गवर्नेंस में भी फर्क पड़ता है । सरकार अनस्टेबल होती है और सभी का मनोबल गिरता हैं।
गहलोत ने यहाँ तक कहा कि आज आप जो देख रहे है कि देश में कांग्रेस की क्या स्थिति हो रही है। यह सभी के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। वे लोग जिन्होंने कभी कांग्रेस को वोट नहीं दिया वह भी चाहता है कि देश में कांग्रेस मजबूत रहे। कांग्रेस देशहित में हमेशा मजबूत विपक्ष की पक्षधर रही है। मैं हर बार पूरी मज़बूती के साथ मोदी जी से बार-बार कहता रहा हूं कि कांग्रेस मुक्त भारत की बात कहने वाले खुद एक दिन मुक्त हो जाएंगे। आज कांग्रेस सत्ता में भले न हो, लेकिन गांव-गांव में आज भी उसका वजूद मौजूद है।
गहलोत ने कहा कि मैं कांग्रेस के सिद्धांतों और नीतियों में दृढ़ यकीन करता हूँ और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पद चिन्हों पर चलते हुए बचपन से ही सभी कौमों को साथ लेकर चला हूं। इन संस्कारों के कारण मुझे जनता ने तीसरी बार कांग्रेस की सरकार बनाने और मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया है। मेरी जाति का प्रदेश में मैं ही एक ही विधायक हूं। गहलोत के इस कड़े बयान को सचिन पायलट के सोनिया गांधी से मिलने के बाद चली अफ़वाहों का जवाब माना जा रहा है।