योगेश कुमार गोयल
19 नवम्बर को अहमदाबाद में खेले गए विश्व कप 2023 के फाइनल में आस्ट्रेलिया ने भले ही भारत पर 6 विकेटों से आसान जीत हासिल करते हुए विश्व कप जीत लिया लेकिन पूरे विश्व कप मुकाबले में इस बार भारतीय टीम का प्रदर्शन शानदार रहा, जिसे हमेशा याद रखा जाएगा। पहले ही मैच में आस्ट्रेलिया को 6 विकेटों से हराने के साथ ही भारतीय टीम ने विश्व कप में अपनी जीत का शानदार आगाज किया था, जो फाइनल मुकाबले में आस्ट्रेलिया के ही हाथों 6 विकेटों से ही मिली हार के साथ ही टूटा। हालांकि रोहित शर्मा की इस टीम ने विश्व कप के कुल 11 मैचों में कई ऐसे रिकॉर्ड तोड़े तथा कुछ नए मुकाम हासिल किए, जिनका भारत को लंबे समय से इंतजार था। सबसे बड़ा रिकॉर्ड तो लगातार 10 मैचों में जीत दर्ज कराने का ही रहा। यह भारत का किसी भी आईसीसी विश्व कप में सर्वाधिक बार लगातार जीत का नया रिकार्ड है। इससे पहले 2003 और 2015 में भारत ने लगातार 8 जीत हासिल की थी। हालांकि किसी एक टूर्नामेंट में सर्वाधिक 11 जीत का रिकॉर्ड आस्ट्रेलिया के नाम है, जिसने 2003 और 2007 में यह रिकॉर्ड बनाया था। भले ही आस्ट्रेलियाई टीम इस बार विश्व चैम्पियन बनी है लेकिन जिस प्रकार भारतीय टीम विश्व कप में शुरूआत से ही न सिर्फ लगातार जीत रही थी बल्कि सभी मुकाबलों में लगातार बहुत बड़े अंतर से जीतते हुए विपक्षी टीमों का मनोबल भी बुरी तरह से तोड़ने में सफल होती रही, उसे देखते हुए कहना गलत नहीं होगा कि इस बार के विश्व कप की सबसे मजबूत टीम भारतीय टीम ही थी। कभी जिस भारतीय टीम की बल्लेबाजी को ‘फैब फाइव’ के नाम से जाना जाता था, इस बार उसी भारतीय टीम की गेंदबाजी ने लगातार 10 मैचों में सफलता दिलाने में शानदार भूमिका निभाई। पूरे विश्व कप के दौरान मोहम्मद शमी, मोहम्मद सिराज और जसप्रीत बुमराह सबसे खतरनाक पेस और सीम अटैक के बेताज बादशाह के रूप में उभरे जबकि रविन्द्र जडेजा तथा कुलदीप यादव की जोड़ी सबसे खतरनाक स्पिन बॉलर्स के रूप में दुनिया के सामने आई। एक ओर जहां रिकी पोंटिंग ने इसे भारत का सर्वकालीन सबसे खतरनाक बॉलिंग अटैक बताया, वहीं इंग्लैड के पूर्व क्रिकेटर नासिर हुसैन ने इन्हें ‘फैब फाइव’ के नाम से संबोधित किया।
पहले मैच में भारत ने आस्ट्रेलिया को 6 विकेटों से हराया था। उसके बाद दूसरे मैच में अफगानिस्तान को 8 विकेटों से और तीसरे मैच में पाकिस्तान को तो न केवल 7 विकेटों से धूल चटाई बल्कि पूरी पाकिस्तानी टीम को 31वें ओवर में ही समेट दिया था। चौथा मैच भारत ने बांग्लादेश के खिलाफ 7 विकेटों से जीता, पांचवें मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ 4 विकेटों से जीत हासिल की। छठा मैच इंग्लैंड से 100 रनों से जीता, सातवें मैच में तो भारत ने श्रीलंका को केवल 55 रनों पर ही आउट करते हुए 302 रनों से मैच जीता। 8वें मैच में दक्षिण अफ्रीका को 243 रनों से, 9वें मैच में नीदरलैंड्स को 160 रनों से और 10वें मैच (सेमीफाइनल) में न्यूजीलैंड को 70 रनों से हराकर विश्व कप में लगातार बड़ी जीत हासिल की। पूरे विश्व कप टूर्नामेंट में मोहम्मद शमी ने सबसे ज्यादा 24, जसप्रीत बुमराह ने 20, रविन्द्र जडेजा ने 16, कुलदीप यादव ने 15 और मोहम्मद सिराज ने 14 विकेट लिए। तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी के लिए यह विश्व कप यादगार बन गया। दरअसल विश्व कप की शुरुआत में शमी भारतीय टीम के इलेवन में शामिल नहीं थे, उनके स्थान पर टीम प्रबंधन द्वारा शार्दुल ठाकुर को प्राथमिकता दी गई थी लेकिन जब शमी को विश्व कप में खेलने का मौका मिला तो पहले ही मैच में पांच विकेट झटककर उन्होंने हर किसी को आश्चर्यचकित कर दिया था। न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में शमी ने 7 विकेट लिए। हालांकि शमी ने विश्व कप के 11 में से केवल मैच ही खेले और इनमें 24 विकेट लेकर भारतीय टीम को नई ऊंचाई पर पहुंचाया। विश्व कप में आईसीसी की वनडे रैंकिंग में शुभमन गिल ने भी पाकिस्तान के बाबर आजम से आगे निकलकर शीर्ष स्थान हासिल किया।
भारत के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली ने तो इस विश्व कप में कुछ ऐसे रिकॉर्ड भी बना डाले, जिन्हें तोड़ना असंभव सा लगता है। विश्व कप में ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ अवार्ड भी उन्होंने अपने नाम किया। विश्व कप में यह अवार्ड जीतने वाले वे तीसरे भारतीय खिलाड़ी बने हैं। उनसे पहले यह अवार्ड सचिन तेंदुलकर और पूर्व दिग्गज ऑलराउंडर युवराज सिंह को मिला था। सचिन ने विश्व 2003 और युवराज ने विश्व कप 2011 में यह अवार्ड जीता था। वैसे कोहली पूरे विश्व कप में एक अलग ही टच में नजर आए। उन्होंने 11 मैचों में 95.62 के औसत और 90.31 के स्ट्राइक रेट से न केवल 765 रन बनाए बल्कि तीन शतकीय और 6 अर्धशतकीय पारियां भी खेली। फाइनल में भले ही भारतीय टीम पराजित हो गई लेकिन उस मैच में भी कोहली अर्धशतक बनाने में सफल हुए। कोहली ने उस मुकाबले में 63 गेंदों में 4 चौकों के जरिये 54 रन बनाए। सेमीफाइनल में तो उन्होंने ऐतिहासिक शतक जड़ा था, जिसके साथ ही वे 50 वनडे शतक लगाने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बन गए थे। मुम्बई के खचाखच भरे वानखेड़े मैदान पर खेले गए विश्व कप के सेमीफाइनल मैच में सचिन तेंदुलकर और डेविड बेकहम जैसे खिलाड़ियों के सामने विराट कोहली ने महान् क्रिकेटर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को पीछे छोड़ते हुए वनडे फॉर्मेट में सर्वाधिक शतक लगाने वाले बल्लेबाज होने का रिकॉर्ड बनाया था। इसके अलावा वे विश्व कप के किसी भी एक संस्करण में सर्वाधिक रन जुटाने वाले खिलाड़ी भी बन गए हैं। उनसे पहले कोई भी खिलाड़ी एक सीजन में 700 का आंकड़ा पार नहीं कर सका था। सचिन तेंदुलकर ने 2003 के विश्व कप में सबसे ज्यादा 673 रन बनाए थे लेकिन विराट ने इस टूर्नामेंट में 11 मैचों में 765 रन बनाकर सचिन का एक विश्व कप में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड तोड़ते हुए इस मामले में भी नया कीर्तिमान बनाया। अब किसी भी एक विश्व कप में उनसे ज्यादा रन किसी और खिलाड़ी के नहीं है। इन 11 मैचों में विराट के 3 शतक और 6 अर्धशतक शामिल हैं। वह सेमीफाइनल और फाइनल में 50 से ज्यादा रन लेने वाले भी पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं। भले ही विश्व कप के फाइनल में हारकर एक बार फिर भारत का विश्व विजेता बनने का अधूरा रह गया और निसंदेह इससे समूचे भारत के क्रिकेट प्रेमियों को धक्का भी लगा लेकिन किसी भी खेल में हार-जीत तो चलती ही रहती है। वैसे भी क्रिकेट को ‘क्रिकेट बाइचांस’ यूं ही नहीं कहा जाता। दरअसल यह ऐसा खेल है, जिसमें कब एक ही गेंद पूरे मैच का पासा पलट दे, दावे के साथ कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता। अतः भारतीय टीम को विश्व कप में लगातार मिली सफलताओं और असफलताओं का बारीकी से विश्लेषण करते हुए इस कठिन घड़ी में धैर्य के साथ ऐसी प्रतियोगिताएं जीतने की कला सीखनी होगी और बुलंद हौंसलों के साथ एक और नया इतिहास रचने की ओर आगे बढ़ना होगा।
(लेखक 33 वर्षों से पत्रकारिता में निरन्तर सक्रिय वरिष्ठ पत्रकार हैं)