संविधान को आत्मार्पित करने की आवश्यकता: डॉ. व्यस्त

  • तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के कॉलेज ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज में संविधान दिवस पर संविधान की मूल भावना पर अतिथि व्याख्यान

रविवार दिल्ली नेटवर्क

  • संविधान आजादी और खुशहाली के वादे का दस्तावेज: प्रो. हरबंश दीक्षित
  • बतौर अतिथि वक्ता प्रो आनंद कुमार सिंह ने भी की कार्यक्रम में शिरकत
  • विधि विद्यार्थियों ने अतिथियों से सवाल पूछे और अपनी जिज्ञासाएं शांत कीं
  • लॉ के छात्रों को संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा रखने की शपथ भी दिलाई

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के कॉलेज ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज में संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर संविधान की मूल भावना पर अतिथि व्याख्यान में सदस्य विधान परिषद, उत्तर प्रदेश डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त ने बतौर मुख्य वक्ता और रक्षा-अध्ययन के विभाग प्रभारी प्रो आनंद कुमार सिंह ने बतौर अतिथि वक्ता विधि विद्यार्थियों को भारतीय संविधान में अंर्तनिहित मूल भावना की विस्तार से जानकारी दी। इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत सभी अतिथियों ने मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। विधि संकाय के डीन प्रो हरबंश दीक्षित ने अतिथियों का बुके देकर अभिनंदन किया। प्राचार्य प्रो. सुशील कुमार सिंह ने वोट ऑफ थैंक्स दिया, जबकि संचालन डॉ. माधव शर्मा ने किया। अंत में विद्यार्थियों को संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा रखने की शपथ भी दिलाई गई।

मुख्य वक्ता डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त ने भारतीय लोकतंत्र को दुनिया का सबसे मजबूत लोकतंत्र बताते हुए कहा, भारतीय संविधान हर भारतीय की भावना का मूल है। संविधान के तीन शब्द- अधिनियमित, अंगीकृत और आत्मार्पित कर हम संविधान के प्रति अपनी सच्ची निष्ठा और श्रद्धा को व्यक्त कर सकते हैं। अतिथि वक्ता प्रो आनंद कुमार सिंह ने रक्षा और सुरक्षा शब्दों की व्याख्या के साथ ही संविधान की मूल अवधारणा की विस्तार से विवेचन की। इस दौरान विधि विद्यार्थियों ने सवाल पूछे और अपनी जिज्ञासाएं शांत कीं। डीन प्रो. हरबंश दीक्षित ने कहा, संविधान आजादी और खुशहाली के वादे का दस्तावेज है। संविधान हमें सपने देखने और उसके मुताबिक समाज निर्माण करने की आजादी और जज्बे की भावना प्रदान करता है। कार्यक्रम में विधि विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अमित वर्मा, श्री अक्षय भार्गव के संग-संग शिक्षक और शोधार्थी समेत लॉ कॉलेज के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।