‘सुरंग में समा गया लोकतंत्र!’

अभिषेक यादव 

पिछले तकरीबन एक पखवाड़े से ,भारत ने क्रिकेट का महाकुंभ देखा.. लोकतंत्र का उत्सव देखा,कई फिल्में रिलीज हुई ,सैकड़ो राजनितिक वादे हुए….! पर 41 भारतीय नागरिक कुछ सुन समझ नहीं पाये …..! नही वह दिव्यांग नही ! जरा सोचिए..

मात्र एक दिन के लिए किसी भी शख्स को जो जो ‘फौजी’ नहीं …..जो एक सामान्य मजदूर है ! यह अलग बात है कि हमारे ‘कमांडो’ कुछ भी कर सकते हैं…! हमारे ‘वैज्ञानिक’ चांद पर भी जा सकते हैं! हमारा ‘डिजास्टर मैनेजमेंट’ जबरदस्त काम करता है!

जरा सोचिए… मजदूर के बारे में…..जो शायद किसी ऐसी झोपड़ी में पैदा हुआ हो जहां कभी बिजली पानी की सुविधा न हो…वह अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए बहुत दूर आ गया…इतना दूर आ गया कि आज उसी जगह पर है जहां बिजली पानी भी उसको बहुत मुश्किल उपलब्ध है….चारों ओर राजनितिक शोर है….. विश्व कप में भारत की हार का मातम है…..कुछ …फिल्में फ्लॉप है ….सिलेब्रिटीज को बहुत दुख है….उससे भी बड़ी दुख: की बात यह…. विश्व गुरु बनने की दिशा में अग्रसर….भारतीय नेता…एक बार भी…अपनी चुनावी रैलियां में…सेलिब्रिटीज अपने इंस्टाग्राम के तथाकथित’रेलों’में…एक बार भी मजदूरों के लिए प्रार्थना नहीं कर पाए……!

एक महान शायर का एक शेर याद आ रहा है….. “तुम ‘आसमा’ की बुलंदियों से जरा जल्द उतर आना …हमें कुछ ‘जमीन’ के ‘मसाइलो’ पर बात करनी है… !”

हमारा देश बहुत महान है…..हम भारत मां के उपासक हैं…..हर धर्म का व्यक्ति यहां राष्ट्रीयता से भरा है…. मीडिया है ……! माफी चाहूंगा ,इसमें कोई ‘तंज’ नहीं है.. लेकिन एक बार भी …..एक बार भी….किसी ने…

मतलब किसी ने भी…..अपने तथाकथित ‘कॉन्टैक्ट’ जो ‘यह सुनो’ के माध्यम से करते हैं….! उसमे मजदूर के लिए दुआ की हो …….!

फिर एक प्रसिद्ध शायर का शेर याद आ रहा है ….”सरहद, पर बहुत तनाव है क्या….. सुनो आसपास कहीं चुनाव है क्या…!”

ऐसा तो नहीं 41 में कोई भी वहां से नहीं आता जहां चुनाव है..! नहीं ,नहीं आप गलत समझ रहे हैं….. भारत सरकार ने अपनी पूरी ताकत लगाई है….इंजीनियरों ने अपनी पूरी जान झोंक दी है…!

परंतु प्रश्न मात्र यहां भावुक संदेश का है….कोई भी नेता…. कोई भी अभिनेता… किसी भी माध्यम से दे सकता था…भारत जीतेगा…. हमारे भाई हमें मिलेंगे…जंग जारी है..

एक मशहूर फिल्म के डायलॉग ‘जब तक तोड़ेंगे नहीं ….तब तक छोड़ेंगे नहीं’ …!

इंसानी हौसले से बड़ा कोई पहाड़ नहीं….!

आशा है कि 3 दिसंबर को जब लोकतंत्र के महा उत्सव में सभी नेता, अभिनेता, अपनी मेहनत की समीक्षा करेंगे ‘स्पेशल 41’ केे साथ ‘स्पेशल 4100 ‘ से ज्यादा को भी याद करेंगे …जो पत्थर से भी खोद लाए जिंदगी…!