- हम दुनिया की शीर्ष टीमों के खिलाफ अपना कौशल दिखाने को बेताब
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : ओडिशा की १६ बरस की तेज तर्रार स् ट्राइकर सुनीलिता टोपो बुधवार से सांतियागो (चिली) में शुरु हो रहे एफआईएच जूनियर हॉकी विश्व कप २०२३ में फुलबैक प्रीति की अगुआई में शिरकत करने जा रही भारतीय महिला हॉकी टीम की सबसे कम उम्र की खिलाड़ी हैं। सुनीलिता भारत की ओर से दुनिया के सबसे बड़े मंच पर खेल कर अपने कौशल को दिखाने के लिए बेहद रोमांचित हैं। सुनीलिता टोपो भी ओडिशा की उसे हॉकी उर्वर अंचल सुंदरगढ़ से आती हैं जिसने भारत को हॉकी इंडिया के मौजूदा अध्यक्ष चार ओलंपिक में भारत की नुमाइंदगी कर चुके फुलबैक दिलीप टिर्की जैसे बेहतरीन फुलबैक और नमिता टोपो, दीप ग्रेस एक्का जैसी बेहतरीन हॉकी खिलाड़ी दी हैं।
सुनीलिता ने भारतीय जूनियर महिला हॉकी टीम के लिए इसी साल जूनियर महिला एशिया कप में खेल कर आगाज किया। मात्र केवल १६ बरस की होने के बावजूद २०२३ में सुनीलिता के शानदार खेल के कारण उन्हे भारतीय सीनियर महिला हॉकी शिविर के लिए भी बुलावा आया। सुनीलिता बताती हैं, ‘ मैं एफआईएच जूनियर महिला हॉकी विश्व के लिए भारतीय जूनियर टीम का हिस्सा बन फख्र महसूस कर रही हूं। मेरे यह जूनियर महिला हॉकी विश्व कप बड़े मंच पर अपने देश की नुमाइंदगी का मौका है। हमारी जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम में कई ऐसी बेहतरीन खिलाड़ी हैं,जिन्होंने बीते एक बरस में देश के लिए बेहतरीन प्रदर्शन किया है। हमें देश के लिए विभिन्न टूर्नामेंट में खेल कर बेशकीमती अनुभव मिला। हमें पूरा भरोसा है कि इस अनुभव के साथ हम जूनियर महिला हॉकी विश्व कप में अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन कर पाएंगी। हम जूनियर महिला हॉकी विश्व कप में दुनिया की शीर्ष टीमों के खिलाफ अपना कौशल दिखाने को बेताब हैं। हम जूनियर महिला हॉकी विश्व कप में सकारात्मक नतीजों के साथ पदक जीतने को बेताब हैं।’
सुनीलिता ने साई ट्रेनिंग सेंटर (एसटीसी) में हॉकी खेलने शुरू की, जहां की लड़कियों के वहीं रहकर हॉकी सहित कई खेलों के प्रशिक्षण की व्यवस्था है। २०१८ में सुनीलिता को हॉकी खेलते हुए कंधे में चोट लग गई लेकिन तब सपोर्ट स्टाफ उनकी मदद को आगे आया और उन्हें बताया कि चोट से कैसे बचा जा सकता है। ओडिशा की गुजरात २०२२ के राष्ट्रीय खेलों में हॉकी में बढिय़ा प्रदर्शन के बाद सुनीलिताा का राष्ट्रीय हॉकी शिविर के लिए चयन हुआ।
सुनीलिता टोपो बताती हैं। ‘जब मैने अपने गांव के उत्सव में जब पहली बार महिलाओं को हॉकी खेलते देखा तभी उसे हॉकी की बाबत मालूम पड़ा। मैंने तब अपने पिता को हॉकी खेलने की इच्छा की बाबत बताया। मेरे पिता ने तब उन्होंने मेरा परिचय मेरे गांव के करीब के एक कोच से कराया। जब मैंने पहले पहल हॉकी खेलना शुरू किया तब मेरे पास हॉकी खेलने के लिए ढंग की हॉकी स्टिक नहीं थी। तब मुझे बांस से बनी हॉकी से हॉकी खेलनी पड़ी। तब हॉकी खेलने के मेरे जुनून को जानकर मेरे करीब के रिश्तेदार मेरी मदद को आए और हॉकी खेलने के लिए हॉकी स्टिक जैसा जरूरी सामान मुहैया कराया।’