विनोद तकियावाला
दिल्ली ऐतिहासिक महरोली स्थित जहाज महल में सुदूर पूर्वोतर राज्य कलाकारों नें संगीतमय सुरमय वातावरण समा बाँधा ‘ इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का भव्य आयोजन जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से सम्पन्न हुआ
श्रृष्टि के आदिकाल से जल का अपना महत्व है। तभी तो किसी ने कहा कि जल है तो जीवन है। हमारे शास्त्र में वर्णित है कि जल के बिना यह जीवन संभव नही है। मानव सभ्यता के विकाश क्रम में आज हम यह भुल गए। वह भी आज के वैज्ञानिक युग में जब हम जमीन से चाँद पर पहुँच गए। लेकिन दुःख की बात यह है आज भी हम जल के महत्व व संसाधन के प्रति जागरूक नही है। अर्न्तराष्टीय संगठन व समाज के प्रति जागरूक बुद्धिजीवी वर्ग का मानना है कि अगर हम जल के संरक्षण के प्रति जागरूक नही हुए तो अगला विश्व युद्ध जल के लिए होगा।पीने योग्य स्वच्छ जल का संकट नें इतना विकराल रूप धारण कर लिया है। इसका मुख्य कारण अतिवृष्टि व कम बर्षा का माना जा रहा है। दिन प्रतिदिन भुगर्म स्तर गिरते जा रहा है।
समस्या इतना गंभीर है कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की चिन्ता करनी पडी।इसके लिए प्रधान मंत्री मोदी जी के नेतत्व में केन्द्र सरकार में एक अलग से जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया है।हर घर जल नल योजना,नमामि गंगे, कैच दे रेन आदि विशेष परियोजना पर कार्य किया है। इसी क्रम में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा 01दिसंबर, 2023 को दिल्ली के महरौली स्थित शम्सी तालाब के जहाज महल में ‘जल इतिहास उत्सव’ का भव्य आयोजन किया गयाIइस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जल विरासत स्थलों के संरक्षण के प्रति जन जागरूकता बढ़ाना था।आम लोंगो में स्वामित्व की भावना पैदा करने के पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ ऐसी विरासत संरचनाओं का जीर्णोद्धार करना है।सर्व विदित रहे कि यह उत्सव 15 नवंबर,2023 से 30 नवंबर, 2023 तक देश भर के विभिन्न जिलों में 75 ‘प्राकृतिक जल विरासत संरचनाओं’ में आयोजित किए गए,जो कि “जल विरासत पखवाड़ा” के सफल समापन का प्रतीक है।
भारत में जल विरासत स्थल जल शक्ति मंत्रालय ने आजादी का अमृत महोत्सव के भाग के रूप में पूरे देश में 75 ‘प्राकृतिक जल विरासत संरचनाओं’ की पहचान करने के लिए आर आर मिश्रा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। वर्तमान मेंआर आर मिश्रा सेवा निवृत हो चुके है।
राज्यों,केंद्र शासित प्रदेशों ,केंद्र सरकार की एजेंसियों और आम नागरिकों से कुल 421 साइटों के नामांकन प्राप्त हुए थे जिनमें से कुल 75 साइटों का चयन किया गया था I
इन स्थलों का चयन,5 जनवरी 2023 को भोपाल,मध्य प्रदेश में जल पर पहले अखिल भारतीय राज्य मंत्रियों के सम्मेलन के दौरान किया गया था।इनमें 7राजस्थान से,7तमिलनाडु से, 6 मध्य प्रदेश से,5 गुजरात से,4 उत्तर प्रदेश से थे। दिल्ली के महरोली स्थित इस संरक्षित सम्पदाओं में से एक है।
आज हम आपको दिल्ली के ऐतिहासिक महत्व के सैर करने का निमंत्रण ऐसे समय दे रहे है जब आप भाग दौड़ की इस जिन्दगी में कुछ सकून के कुछ यहाँ आ कर बितायें।हमे तो यह स्वर्णिम अवसर अनुभव सिंह ‘ डिप्ट्री डायरेक्टर के सोजन्य से मिला।अनुभव सिंह जो एक कर्मठ लगनशील व युवा अधिकारी पत्र सुचना ब्यूरों भारत सरकार में कार्यरत है।आप को बता दे कि वे अभी जल शक्ति मंत्रालय ‘ रेल मंत्रालय के पी आई बी में सेवा दे रहे है।
दिल्ली के जहाज महल व शम्शी तालब के इतिहास पर एक नजर डालते है।यह ऐतिहासिक स्थान दिल्ली रेलवे स्टेशन से 18 किमी और कुतुब कॉम्प्लेक्स से 2.5 किमी की दूरी पर,जहाज महल दिल्ली के महरौली में हौज़-ए- शम्सी के उत्तरपूर्वी कोने पर स्थित है। पुरात्व के जानकारों के अनुसार दिल्ली जहाज महल का निर्माण 15वीं सदी के अंत/16वीं सदी की शुरुआत में लोदी वंश के शासन के समय और उत्तरी भारत में मुगल साम्राज्य के शासनकाल की शुरुआत में किया गया था। क्योंकि यह हौज़-ए-शम्सी के तट पर स्थित है और विशाल झील की सतह पर तैरते हुए जहाज़ जैसा प्रतीत होता है। इसे जहाज महल कहा जाता है ।जहाज़ महल के केंद्र में एक आयताकार आंगन है और किनारों पर गुंबददार कक्ष हैं जिन्हें कई डिज़ाइनों से खूबसूरती से सजाया गया है।महल की मुख्य विशेषताएं इसकी जटिल नक्काशीदार छतरियां और नीली टाइलों से अलंकृत गुंबददार मंडप हैं।जहाज़ महल संभवतः एक खाई से घिरा हुआ था,लेकिन पूरी तरह से सूख गया।दक्षिणी छोर पर सीढ़ियों की एक उड़ान संभवतः लकड़ी के पुल के माध्यम से जहाज महल तक जाती है। दुःखद बात है कि ड्रॉ ब्रिज का लकड़ी का तख्ता लंबे समय से गायब हो गया है और वर्तमान में प्रवेश द्वार पूर्वी तरफ से है,जहां जहाज महल तक पहुंच प्रदान करने के लिए खाई का हिस्सा ढक दिया गया है।स्मारक के चारों ओर अतिक्रमण ने पूर्व में मुख्य प्रवेश द्वार के मुखौटे को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है।जहाज महल की पश्चिमी दीवार पर एक मेहराब की मौजूदगी से पता चलता है कि इमारत का यह हिस्सा वास्तव में एक मस्जिद थी।जहाज़ महल के बगल में हौज़-ए-शम्सी नामक एक विशाल झील है,जिसे 1230 में सुल्तान इल्तुतमिश ने खुदवाया था।किंवदंती के अनुसार, इल्तुतमिश ने सपने में इस्लामी पैगंबर को देखा था,जो पंखों वाले घोड़े पर सवार थे और उन्होंने सुल्तान को एक पानी की टंकी खोदने का निर्देश दिया था।अगले दिन इल्तुतमिश ने उस स्थान का दौरा किया और पैगंबर के घोड़े के खुर के निशान पाए।इल्तुतमिश ने टैंक खुदवाया था और टैंक के केंद्र में उसने पैगंबर के घोड़े के खुर के निशान वाले पत्थर का एक मंडप बनवाया था।मूल रूप से 4.9 एकड़ क्षेत्र में फैला यह टैंक आज आकार में छोटा हो गया है।झील के दक्षिण पश्चिम कोने पर एक गुंबददार मंडप खडा है।
जहाज महल स्मारक के चारों ओर अतिक्रमण ने पूर्व में मुख्य प्रवेश द्वार के अग्र भाग को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है,हालांकि पश्चिम और दक्षिण से भी प्रवेश द्वार है।महल से दक्षिण में एक बड़ा पार्क दिखाई देता है, जहाँ 2 ताजी हवा की तलाश में बच्चों और बुजुर्गों की अक्सर भीड़ लगी रहती है।हैरानी की बात यह है कि स्थानीय लोगों के बीच इसकी लोकप्रियता के साथ-साथ कला और संस्कृति के लिए इसकी वर्तमान प्रासंगिकता के बावजूद यह स्मारक खराब स्थिति में है। प्रमुख पुनर्स्थापन कार्य किया जा रहा है, हालाँकि पुरानी भवन निर्माण व हस्तकला के उस युग की जटिल चिनाई(कच्चे माल, संरचना,मिश्रण आदि की गिनती नहीं)को दोहराना पुरुणोद्वार करना मुश्किल लगता है।
अगर आपको अपने पुर्वजो व ऐतिहासिक पुरात्वों व सैर सपाटा के शौकनी है तो आप स्वयं यहाँ पर जा सकते है।यहाँ परिवार ‘ बन्धुवान्धवों के साथ आ सकते है तो आप को बता दें कि यहाँ नीजी बाहन ‘ सार्वजनिक बाहत या मेट्रो से आ सकते है।कुतुब मीनार और छतरपुर निकटतम मेट्रो स्टेशन हैं, जहाँ पर स्मारक दोनों में से किसी एक से15 मिनट की पैदल दूरी पर है।यात्रा के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा है,क्योंकि यहाँ के प्रातःकालीन (ब्रेकफास्ट)नाश्ते में गरमा गर्न जलेबी और पूड़ी जैसे महरौली के पाक व्यंजनों का आनंद ले सकते है।मै आप पहले अगाह करना चाहुँगा कि यहाँ पर आप को जेबकतरों से सावधान रहना होगा,क्योंकि इस क्षेत्र में कभी-कभी काफी भीड़ हो सकती है।ऐतिहासिक जहाज महल के पास सम्सी तालाब है। जिसके पानी में जहाज महल की प्रतिविम्ब भी सुर्य देव की कृपा से मिल सकती है।यहाँ तालाब लेन,आम बाग,खांडसा कॉलोनी,महरौली समय सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक आनंद ले सकते है।