गोपेंद्र नाथ भट्ट
राजस्थान सहित पाँच प्रदेशों मध्य प्रदेश छत्तीस गढ़ तेलंगाना और मिजोरम के विधान सभा चुनावों की रविवार को सवेरे आठ बजे से मतगन्णना के साथ ही ईवीएम में कैद उम्मीदवारों के भाग्य की मशीनें खुलेगी और दोपहर होते-होते चुनाव परिणामों के सर्वेक्षणों और नेताओं के दावों की हकीकत सामने आ जायेंगी।
जहाँ तक राजस्थान का सवाल है प्रदेश की सात करोड़ जनता की ज़ुबान पर एक ही बात सुनी जा रही है कि प्रदेश में चुनाव परिणाम के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का साम्राज्य बचेगा अथवा राजस्थान में राजेस्थान वाली पार्टी का राज आयेगा । देश में भौगोलिक लिहाज से सबसे बड़े रेगिस्तान प्रधान प्रदेश राजस्थान में इस बार हाथ का वर्चस्व रहेगा या कमल की ख़ुशबू फ़ेलेगी यह देखना अब महज़ कुछ घण्टों की बात है।
देश भर की विभिन्न ऐजेंसियों और मीडिया घरों ने अपने-अपने एग्जीट पोल्स जारी कर कांग्रेस और भाजपा की जिज्ञासाओं को और अधिक बढ़ा दिया हैं।कुछ एग्जीट पोल्स ने राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी और कुछ ने कांग्रेस के पक्ष में अनुमान बताए है लेकिन प्रदेश में काँटे की टक्कर वाली सीटों के बारे में कोई भी सटीक भविष्य वाणी नही कर पाया है और इस बार प्रदेश में पिछलें विधान सभा चुनाव के मुक़ाबले मात्र 0.74 प्रतिशत मतदान ही बढ़ने से जनता के मिज़ाज को कोई समझ नही पा रहा है और इसका पटाक्षेप ईवीएम मशीनों के खुलने पर ही होंगा और यदि काँटे की टक्कर वाली करीब तीस सीटों पर पलड़ा किसी एक पक्ष की ओर झुकता है तों एग्जीट पोल्स के अनुमान धरे के धरे रह जायेंगे।राजनीतिक पण्डित ज़मीनी हकीकत को उजागर करते हुए बता रहें है कि इस बार चुनाव परिणाम चौंकाने वाले होंगे और कोई आश्चर्य नही कई बड़े उलट फेर होने से चुनाव में कई दिग्गज भी धराशायी हों सकते हैं।
इधर कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत,प्रदेश प्रदेश प्रभारी सूखजिंदर सिंह रंधावा,प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ,पूर्व उप मुख्य मंत्री सचिन पायलट आदि नेता कांग्रेस के स्पष्ट बहुमत का दावा कर रहें है वही कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने एक बयान में राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा में नेक टू नेक फ़ाइट बताई है।उधर भाजपा की ओर से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी पी जोशी, प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और केंद्र में राजस्थान के मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत अर्जुन राम मेघवाल कैलाश जोशी आदि ने भाजपा को प्रचण्ड बहुमत मिलने की बात कही है। दूसरी ओर बसपा की सुप्रीमो मायावती और आर एल पी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने कहा है कि प्रदेश में हमारे सहयोग के बिना कोई सरकार नही बन पायेंगी।
एग्जीट पोल्स के बाद कांग्रेस और भाजपा के नेता अपने-अपने बाग़ियों और सम्भावित जीतने योग्य निर्दलियों से भी निरन्तर सम्पर्क में जुट गए है और दोनों ओर से विधायकों की बाड़ाबन्दी की तैयारियाँ भी शुरू हो गई है। भाजपा नेता डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने तो इस बारे में बक़ायदा बयान भी जारी किया है।
इधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की सक्रियता और राज भवन में राज्यपाल कलराज मिश्र से उनकी मुलाक़ातों की भी चर्चा है।
चुनाव परिणाम से पहले नेताओं के अपने अपने इष्ट देवताओं के देवरों पर धोक देना भी सभी की चर्चाओं में हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होंगा कि इस बार राजस्थान में हर पाँच वर्ष में सरकार बदलने का रिवाज इस बार भी क़ायम रहेगा अथवा वर्तमान सरकार का ही राज बना रह कर एक नए इतिहास की रचना कायम होंगी?