अशोक मधुप
विदेशों विशेषकर अमेरिका और कनाडा से आई खबरें बहुत ही अच्छी हैं। भविष्य को लेकर आशा जगाने वाली खबरें हैं। खबर हैं कि कनाडा में भारतीय राजदूत के विरूद्ध प्रदर्शन करने वालों का वहां मौजूद भारतीयों ने जमकर विरोध किया। परिणाम स्वरूप प्रदर्शनकारियों को खालिस्तान के झंडे छोडकर भागना पडा। अमेरिका में खालिस्तान समर्थकों ने अमेरिका में भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू के साथ बदतमीजी की कोशिश नाकाम रही। संधू को अमेरिका में बसे सिखों ने न केवल सम्मानित किया बल्कि उनकी बातों को भी ध्यान से सुना। माना जा रहा है कि गुरपतवंत सिंह पन्नू के इशारे पर इस घटना को अंजाम दिया गया है।एक बात और भारत ने देश की गुरपतवंत सिंह पन्नू की संपत्तियों को हाल ही में जब्त किया है। यह कार्य तो बहुत पहले करना चाहिए था।
गुरपतवंत सिंह पन्नू के खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस की अमेरिका में भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू के साथ धक्का मुक्की करने की चाल फेल हो गई। खालिस्तानियों ने गुरुपर्व पर अमेरिका के न्यूयार्क शहर में स्थित गुरुद्वारे में भारतीय राजदूत के साथ धक्का मुक्की की कोशिश की लेकिन उनकी यह चाल वहां मौजूद सिखों ने फेल कर दी। यही नहीं इन सिखों ने भारतीय राजदूत को सम्मानित भी किया। गुरुद्वारे के अंदर ही संधू का सिख समुदाय के लोगों ने जोरदार स्वागत किया गया था। इस कार्यक्रम के दौरान भारतीय राजदूत ने अफगानिस्तान से सुरक्षित तरीके से सिखों को निकालने का जिक्र किया और कहा कि सरकार हमेशा उनके साथ खड़ी है।
कनाडा के सरे शहर में स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर के बाहर खालिस्तानियों ने श्रद्धालुओं को परेशान किया । जमकर बवाल मचाया। वहां कनाडा में भारत के राजदूत गए हुए थे। जब हिंदू उनका विरोध करने आगे आए तो वो लोग भाग गए।यह घटना 26 नवम्बर की है।खालिस्तानियों के हंगामे और श्रद्धालुओं को परेशान करने की खबर पर हिंदू मंदिर के बाहर इकट्ठा हो गए और खालिस्तानियों का विरोध किया। हिंदुओं ने हाथों में भगवा झंडे ले रखे थे। इन लोगों ने यहाँ साथ में तिरंगा भी लहराया और देशभक्ति वाले गीत चलाए।खालिस्तानियों की बेइज्जती करने के लिए भीड़ ने नारे भी लगाए। इसी घटना के वायरल वीडियो में खालिस्तानियों को गालियाँ भी पड़ती दिख रही हैं। एक वीडियो में भीड़ खालिस्तानियों के खिलाफ उल्टे –सीधे नारे भी लगा रही है।अपना विरोध होते देश ये एक डेढ़ दर्जन के आसपास खालिस्तान समर्थक अपने झंडे छोड़कर गायब हो गए।इन अतिवादियों का आरोप है कि कनाडा के हरदीप सिंह निज्जर की हत्या भारत ने कराई।
खालिस्तान समर्थकों का जो अमेरिका और कनाडा में जो विरोध अब हुआ, वह तो बहुत पहले होना चाहिए था। शुरूआत में ही विरोध होने लगता तो वे ऐसा करने के हौंसले नही कर पाते। लंदन में भारतीय हाई कमीशन में तोड़फोड़ की घटना के विरोध नई दिल्ली में सिखों का प्रदर्शन हुआ था। बड़ी तादाद में सिख ब्रिटिश हाई कमीशन के बाहर जुटे और खालिस्तानियों की हरकत का विरोध किया।
इसी तरह का विरोध उन देशों में भी होना चाहिए था , जहां कुछ खालिस्तानी खुराफात कर रहे हैं। अमेरिका गुरूद्वारे में सिख समाज ने इन खालिस्तानी का विरोध किया। ऐसा ही अन्य जगह भी सिख समाज को करना चाहिए था। उनकी चुप्पी इशारा करती है कि वह खालिस्तान के समर्थन में हैं , जबकि ऐसा है नहीं। कुछ ही सिरफिरे इस तरह की हरकत कर रहे हैं।1980 के आसपास भी ऐसी ही गलती हुई थी। पंजाब में बढ़ते खालिस्तानी आंदोलन का विरोध नही हुआ था। स्वर्ण मंदिर में भिंडरावाले के बसने का गुरूद्वारा प्रबंध समिति और सिख समाज को विरोध करना चाहिए था। उस समय की उनकी चुप्पी सेना को आपरेशन तक पहुंच गई।
कनाडा और अमेरिका में हाल में खालिस्तान समर्थकों की छोटी मोटी कार्रवाई उनकी हताशा बताती है।भारत में कुछ कर पाने में असमर्थ विदेशों में बसे चंद अतिवादी झल्लाएं है। वे यह बताना चाहते हैं कि खालिस्तान का मुद्दा मरा नही। जबकि सच्चाई अब सब समझ रहे हैं । उधर कनाडा भारत पर लगाए अपने आरोप पर घिरता जा रहा है।कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडोने आरोप लगाया था कि कनाडा नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के राजनयिक का हाथ है। हरदीप सिंह निज्जर भारत से फरार अपराधी खालिस्तानी अतिवादी है। इस आरोप पर तनातनी बढ़ने के बाद भारत ने कई बार कनाड़ा से इस हत्या के सुबूत मांगे किंतु कनाडा ऐसा नही कर सका।आतंकी निज्जर की हत्या के मामले में भारत सरकार नें कनाडा की सुरक्षा एजेंसियों और एनएसए के अन्य अधिकारियों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया था, लेकिन जब भारत अपने अधिकारियों को कनाडा भेजने का निर्णय किया तब उसने भारतीय टीमों को वीजा देने से इनकार कर दिया गया।
दरअसल, भारत सरकार यह पता करने के लिए एक टीम को कनाडा भेजना चाह रही थी कि निज्जर की हत्या पर भारत के खिलाफ कनाडाई लोगों की क्या राय है? भारतीय सरकार का कहना है कि कनाडा को हमारी टीमों को आने की अनुमति देनी चाहिए और दिखाना चाहिए कि उनके पास हमारे खिलाफ क्या सबूत है, लेकिन वे हमारे कई बार के अनुरोधों के बावजूद वीजा जारी नहीं किया।
भारत के एनएसए डोभाल और उनके कनाडाई समकक्ष ने आतंकवाद मुद्दे पर चर्चा की। डोभाल ने कनाडा में बैठे उपद्रवियों और आतंकवादियों के बारे में स्पष्ट जानकारी दी। डोभाल ने अपने समकक्ष को भारत के विभिन्न एजेंसियों और राज्य के पुलिस के वांटेडों की सूची और एलआर की भी सूची दी थी।
एसए डोभाल ने बताया कि, ‘भारत समय-समय पर कनाडा के साथ समय-समय पर खुफिया जानकारी साझा की और वांटेडों के ठिकानों की जानकारी भी उपलब्ध कराई.’ उधर कनाडा के एनएसए ने भारत पर आतंकी निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था, हालांकि डोभाल ने कहा कि अगर उसके हत्या में भारत का हाथ है तो एफआईआर या कोई स्पष्ट सबूत जारी करे।उमेश डोभाल ने कहा कि अगर हमारे तरफ से कोई दोषी निकला तो कड़ी कारवाई करेंगे, लेकिन कनाडाई कभी कोई सबूत पेश नहीं कर सके. भारत ने कहा कि कैनेडियन ये सब सिर्फ फेक नैरेटिव क्रिएट करने के लिए कर रहे हैं.कनाडा कभी भी आतंकी मामलों में जांच में कभी सहयोग क्यों नहीं किया, जहां कनाडा से हमले हुए थे. बताया जा रहा है कि वीडियो और ऑडियो सबूत जानने के बावजूद एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई. कनाडा की धरती से आए दिन हिंदुओं को धमकियां मिलती रहती हैं, लेकिन वे पुन्नू को गिरफ्तार नहीं करते..ऐसा क्यों? भारत ने ये भी कहा कि निज्जर की मौत गैंगवार में हुई थी, जो कनाडा में इन आतंकवादी समूहों को पनाह देने का ही परिणाम है।
कनाडा सा ही मामला अमेरिका का है । अमरिका ने सार्वजनिक रूप से न कह भारत के उच्चाधिकारियों से कहा कि उनके नागरिक की एक भारतीय द्वारा हत्या की कोशिश की गई।भारत और अमेरिका इस मामले की मिलकर जांच कर रहे हैं। अमेरिका ने शोर मचाकर भारत से संबंध खराब करने नही चाहे। उसे भारत को अपने हथियार बेचने हैं। वह भारत की जरूरत महसूस करता है।
एक बात और आज भारत कमजोर नही है। अमेरिका हो या ब्रिटेन या फ्रांस सभी को भारत की जरूरत है। भारत इनसे खुलकर कहे कि भारत के आतंकवादी पालकर भारत से मित्रता नही चलेगी। मित्रता करनी है तो रूस की तरह साफ और सीधी होनी चाहिए। आपके देश में कोई भारत विरोधी बसता है तो उसे भारत को सौंपना होगा।
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)