पीएम मोदी के लिए हनुमान साबित होते धामी

सुनील तिवारी

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए रामभक्त हनुमान से कम नहीं है. जिस प्रकार हनुमान जी प्रभु श्रीराम के प्रिय थे उसी प्रकार सीएम धामी पीएम मोदी के प्रिय हैं. जिस प्रकार भगवान राम अपने प्रिय हनुमान को जो भी कार्य सौंपते थे उसे पूरा किये बिना हनुमान जी विश्राम नहीं करते थे, ठीक उसी प्रकार सीएम धामी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सौंपे गए कार्य को बिना पूरा किये हुए नहीं रुकते. ताजा दृष्टान्त हम सिल्क्यारा टनल हादसे का ले सकते हैं, जहाँ पर सीएम धामी ने सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को जब तक सुरक्षित नहीं निकाल लिया तब तक चैन से नहीं बैठे. यह कोई एक दृष्टान्त नहीं है बल्कि ऐसे अनेक दृष्टान्त है जब सीएम धामी ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सौंपे गए कार्य को बड़ी शिद्दत के साथ पूरा किया है. याद करिये वह घड़ी जब 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी थी उस समय प्रदेश में भाजपा की स्थिति बहुत ही ख़राब थी. उस समय 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सारे सर्वे में भाजपा पिछड़ी हुई नजर आ रही थी. लेकिन इसके बावजूद भी सीएम पुष्कर सिंह धामी भाजपा के लिए संकट मोचक बनकर उभरे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा को जिताने की जो जिम्मेदारी उन्हें सौंपी थी उसे उन्होंने स्वयं की सीट हारकर भी पूरा किया. धामी की इसी समर्पण की वजह से पीएम मोदी ने दोबारा उन्हें सीएम की कुर्सी सौंपी थी. देश में समान नागरिक संहिता लागू करना पीएम मोदी का प्रमुख सपना रहा है. सीएम धामी ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए कमेटी का गठन करके पीएम मोदी के लिए भी यूसीसी की राह काफी आसान कर दी. उत्तराखंड से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लगाव जगजाहिर है. वे उत्तराखंड को अपना घर एवं उत्तराखंड के लोगों को अपना परिवार मानते हैं. इसी वजह से उन्होंने उत्तराखंड के विकास की जिम्मेदारी अपने प्रिय पुष्कर सिंह धामी को सौंपी हुई है. धामी भी उत्तराखंड के विकास हेतु लगातार प्रयासरत हैं. पीएम मोदी ने कहा था कि 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का होगा. सीएम धामी पीएम मोदी के उसी सपने को साकार करने के लिए अनवरत प्रयासरत हैं. उत्तराखंड के विकास के लिए सीएम धामी की समर्पण भावना को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे वे कह रहे हो कि- राम काजु कीन्हें बिनु मोहिं कहाँ बिश्राम .