अशोक मधुप
कैसे हो कैदियों की सुरक्षा।आज न कैदी जेल में सुरक्षित है, न न्यायालय में ,न ही पुलिस कस्टेडी में।हर कैदी को जीवन के जीने का अधिकार है। शासन की जिम्मेदारी है कि उसे पूरी सुरक्षा दें।
वह पुलिस हिरासत में हो या जेल मे पूरी तरह सुरक्षित रहे। सुरक्षित महसूस करे,किंतु आज इसके विपरित नजारा है। और जेल की तो बात क्या देश की सबसे सुरक्षित धनबाद की झारखंड और दिल्ली की तिहाड़ जेल में कैदी कत्ल हो रहे हैं।पुलिस कस्टेडी में कैदियों की सरेआम हत्या हो रही है। न्यायालय परिसर में ही नही, न्यायधीश के कक्ष तक में कैदी कत्ल हो जाते हैं।सवाल यह है कि इन कैदियों की सुरक्षा कैसे हो।इनकी हत्याओं पर कैसे रोक लगेॽ
यूपी के अंबेडकर नगर के कुख्यात शूटर अमन सिंह की धनबाद जेल में हत्या हो गई है। रविवार दस दिसंबर को दोपहर तीन बजे अमन सिंह को नौ गोली मारी गई। अमन सिंह धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर की हत्या के मामले में वहां जेल में बंद था। कुख्यात बदमाश मुन्ना बजरंगी के लिए भाड़े पर हत्या करने वाला शूटर अमन सिंह यूपी का राजे सुल्तानपुर थाना क्षेत्र के जगदीशपुर कादीपुर गांव का रहने वाला था। अमन के करीबी आशीष रंजन और छोटू ने उसकी हत्या की जिम्मेदारी ली है। अमन सिंह पर कुल नौ गोली दागी गईं। इसमें से छह गोली लगी है। तीन गोली निशाने पर नहीं लगी थी। इससे इसकी संभावना बढ़ गई है कि एक से अधिक ने मिलकर गोली मारी है। लापरवाही बरतने वाले जेलर मो. मुस्तकीम अंसारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित एवं स्थानांतरित करते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई चलाने का निर्देश दिया गया है। अमन की हत्या में प्रयुक्त पिस्टल पुलिस ने धनबाद जेल से बरामद कर ली है। जेल से दो पिस्टल बरामद हुई है। अब सवाल यह उठ रहा है कि जेल में इतनी तगड़ी व्यवस्था होने के बावजूद जेल में हथियार पहुंचा कैसा?घटना के बाद तलीशी में जेल से आठ की हजार नगदी समेत आधा दर्जन मोबाइल बरामद हुए जबकि दो दिन पहले जेल की तलाशी में सुब कुछ ठीक−ठाक मिला था। झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने धनबाद जेल में बंद कुख्यात अपराधी अमन सिंह की गोली मारकर हत्या करने के मामले में स्वत: संज्ञान लिया है। खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है।चीफ जस्टिस की अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा हैअदालत ने राज्य सरकार से घटना को लेकर पूछा कि जेल में हथियार कैसे पहुंच गए। जेल की सुरक्षा में चूक का कारण क्या है।
दिल्ली की राजधानी की अति सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड़ जेल में भी कैदी सुरक्षित नही हैं। इस जेल में गैंगवार में अप्रेल− मई 2023 के 18 दिन में दो कैदी कत्ल कर दिये गए। सीसीटीवी कैमरों से लैस हाई सिक्योरिटी सेल में घुसकर चार बदमाशों ने दिल्ली-एनसीआर के कुख्यात गैंगस्टर सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया की बेरहमी से हत्या कर दी। जितेंद्र मान उर्फ गोगी गैंग से जुड़े बदमाशों ने हाई सिक्योरिटी सेल की पहली मंजिल की ग्रिल काटी। इसके बाद बेडशीट के सहारे नीचे उतरकर आरोपियों ने टिल्लू के कमरे में ग्रिल के सरिये से बनाए गए सुए से धावा बोल दिया। हाथ में सुए लिए सभी बदमाशों ने टिल्लू पर एक के बाद एक 90 से अधिक वार किए। जब तक जेल प्रशासन को पता चला तब तक बहुत देर हो चुकी थी।हमले के दौरान टिल्लू को बचाने आया रोहित नाम का कैदी भी जख्मी हो गया। जेल प्रशासन टिल्लू और रोहित दोनों को नजदीकी डीडीयू अस्पताल ले गया, जहां टिल्लू को मृत घोषित कर दिया गया। टिल्लू की दिन-दहाड़े हुई हत्या के बाद तिहाड़ जेल की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है। विदेश में बैठे गैंगस्टर गोल्डी बरार ने फेसबुक पोस्ट कर हत्याकांड की जिम्मेदारी ली है।उसने अपने पोस्ट में लिखा है कि उन्होंने टिल्लू की हत्या कर जितेंद्र मान उर्फ गोगी की हत्या का बदला ले लिया है 14 अप्रैल 2023 को जेल नंबर तीन में प्रिंस नामक कैदी की बॉबी, अता-उर-रहमान और विनय नामक कैदियों ने बेरहमी से हत्या कर दी थी। यह हत्या भी गैंगवार का नतीजा बताई गई थी।उस समय भी तिहाड़ की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हुए थे।हत्या, हत्या के प्रयास व अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर गोगी गैंग के चार बदमाश दीपक उर्फ तितर (31), योगेश उर्फ टुंडा (30), राजेश (42) और रियाज खान (39) को औपचारिक रूप से इस मामले में गिरफ्तार कर लिया है।सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया (33) वर्ष हत्या, हत्या के प्रयास, मकोका, पुलिस टीम पर हमला और बलवा करने के करीब 11 मामलों में 2016 से जेल में बंद था। वह तिहाड़ जेल नंबर-8 के हाई सिक्योरिटी सेल में ग्राउंड फ्लोर पर था। जेल प्रशासन पुलिस को बताया कि मंगलवार सुबह उसकी सेल खोलने की तैयारी चल रही थी। इस बीच करीब 6.10 बजे पहली मंजिल पर बंद चारों कैदी दीपक उर्फ तितर, योगेश उर्फ टुंडा, राजेश और रियाज खान ने उस पर हमला बोल दिया। सेल में ही मौजूद कैदी रोहित ने टिल्लू को बचाने का प्रयास किया तो आरोपियों ने उस पर भी हमला किया। आरोपियों का इरादा भांपकर रोहित को जान बचाकर वहां से भाग गया।
ये जेल ये हालात हैं।ऐसी ही स्थिति कमोबेश न्यायालय परिसर की है। 24 सितंबर 2021 को दिल्ली के रोहिणी कोर्ट रूम में टिल्लू गैंग के शूटरों ने जितेंद्र मान उर्फ गोगी की हत्या कर दी थी।जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान टिल्लू गैंग के दो शूटरों को मार गिराया था। 16 अगस्त 2022 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले का न्यायालय परिसर के गेट पर बदमाशों ने हरियाणा से पुलिस कस्टडी में आये लखन नामक कैदी की अंधाधुंध फायर कर हत्याकर दी थी।इससे पहले भी इसी न्यायालय परिसर में राका नाम के एक बदमाश की कचहरी में हत्या की गई थी।19 दिसंबर 2019 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर की एक दोहरे हत्याकांड के आरोपी शहनवाज अंसारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या उस समय की गई जब आरोपी को बिजनौर जिला कोर्ट में सीजेएम के सामने पेश किया गया था। गोली लगने से शहनवाज अंसारी की मौके पर ही मौत हो गई। आज तो हालत यह है कि पुलिस अभिरक्षा में आते −जाते कैदी भी सुरक्षित नहीं। 13 अप्रेल 2023 में प्रयागराज में मेडिकल के भारी पुलिस अभिरक्षा में अस्पताल लाते माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या की गई।20 दिसंबर 2021 को राजस्थान के जोधपुर पेशी से लौट रहे एक आरोपी सुरेश सिंह को पुलिस कस्टडी में ही बदमाशों ने गोलियों से भून दिया।
तिहाड़ जेल में आरोपियों ने उस ब्लैक स्पाट को चुना जहां सीसीटीवी कैमरे नही हैं।दरअस्ल अपराधी बहुत चतुर हैं।उन्हें पता है कि कहां कैमरे लगे हैं,कहां नहीं।यक्ष प्रश्न यह भी है कि कैमरे लगी तिहाड़ जेल में कैदी सरिए को घिस पर सुंआ बनाते रहे और जेल प्रशासन को पता ही नही चला।
कैदियों के साथ जेल में पहले बहुत मारपीट और अमानवीय व्यवहार होता था।उनके मानवाधिकार को देखते हुए जेल में कैमरे लगाये गए।कैमरे लगने के बाद क्यों ऐसी घटनांट होती हैं, ये जेल स्टाफ और जले प्रशासन की लापरवाही साबित करने के लिए काफी है।
इन सब घटनाओं को देखते हुए आज जरूरत है कि जेल,पुलिस अभिरक्षा और न्यायालय परिसर में कैदियों की सुरक्षा पर फिर से मंथन हो।विशेषज्ञ बैठें और मंथन करें कि कैसे कैदियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएं। जेल में गैंगवार रोकने के लिए यह भी सुनिश्चित किया जाए कि एक जेल में दो प्रति स्पर्धी गैंग रहें। जेल आते −जाते कैदियों के सुरक्षा घेरे में कोई बाहरी व्यक्ति प्रवेश न करें।कैदियों के मीडिया के बात करने पर सख्ती से रोक हो।न्यायालय परिसर में भी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। यह ध्यान रहे कि कस्टेडी में कैदी की सुरक्षा की जिम्मेदारी,पुलिस, प्रशासन,न्यायपालिका के साथ सरकार की भी है। गिरफ्त में आने के बाद बड़े से बड़ा चौकस कैदी भी सुरक्षा के लिए प्रशासन पर निर्भर हो जाता है,ऐसे सुरक्षा में लापरवाही उसके कत्ल कराने के लिए जिम्मेदार होती है।
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)