आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत किसान भागीदारी, प्राथमिकता हमारी’ अभियान का शुभारम्भ, प्रधानमंत्री ने की प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की पहल

प्रमोद शर्मा

नईदिल्ली :कृषि भवन नई दिल्ली में वर्चुअल माध्यम से आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय व अन्य मंत्रालयों के सहयोग से ‘त 25 से 30 अप्रैल 2022 तक चलने वाले ‘किसान भागीदारी, प्राथमिकता हमारी’ अभियान का शुभारम्भ किया।

इस अभियान के अंतर्गत किसानों के लिए क्षेत्रीय स्तर पर देशव्यापी कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं, जिसमें कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग द्वारा देश के प्रत्येक कृषि विज्ञान केंद्र पर कृषि मेला व प्राकृतिक खेती पर प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया।
देशभर के 731 कृषि विज्ञान केंद्रों व अन्य कृषि संस्थानों में मेलों के माध्यम से लाखों किसान, कई सांसद व अन्य जनप्रतिनिधि एवं वैज्ञानिक शामिल हुए।

केंद्र सरकार छोटे किसानों को बड़ा बनाने के लिए अनेक योजनाओं व कार्यक्रमों के माध्यम से निरंतर कार्य कर रही है। प्रधानमंत्री जी ने आम लोगों से आत्मनिर्भर भारत व न्यू इंडिया के निर्माण में भागीदार बनने का आव्हान किया है, जिसके लिए ऐसे अभियान व कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता आएगी।

केवीके सहित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने काफी कुशलता से बहुतेरे अनुसंधान किए हैं, जो भारतीय कृषि को सतत आगे बढ़ा रहे हैं। किसानों को अपनी कृषि भूमि पर इन अनुसंधानों का प्रयोग करते हुए बीजों की नई विकसित किस्मों का उपयोग करना चाहिए। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की पहल की है, इसे अपनाना चाहिए। प्रधानमंत्री सूक्ष्म सिंचाई योजना का लाभ लेते हुए खेती में पानी की बचत करना चाहिए। ड्रोन जैसी टेक्नालाजी का उपयोग खेती में करना चाहिए। प्रकृति का सिद्धांत है कि जो समय के साथ चलते हुए अच्छे परिवर्तन को उपयोगिता के साथ स्वीकार करता है, वहीं प्रगति करता है। छोटे किसानों को कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) से जुड़ना चाहिए, ताकि सामूहिक रूप से कृषि कार्य होने से उन्हें सुविधाएं मिलें, व्यापक लाभ हों।

केवीके व कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (ATMA) विकसित प्रौद्योगिकियों को किसान समुदाय तक ले जाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। केवीके कृषि प्रगति में अग्रणी हैं, जिनका किसानों से सीधा संपर्क रहता है। वर्ष 2021-22 में कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र के उत्पादों का निर्यात लगभग चार लाख करोड़ रु. हुआ, जिसमें किसानों का योगदान सराहनीय है। किसानों के अथक परिश्रम, वैज्ञानिकों की कुशलता तथा सरकार की किसान हितैषी नीतियों के सद्परिणाम सामने आ रहे हैं और किसानों की आमदनी भी सतत बढ़ रही है, जो बात आज विभिन्न केवीके में उपस्थित किसानों से संवाद के दौरान भी प्रकट हुई है। अलग-अलग क्षेत्रों में किसानों की आय दोगुना से लेकर दस गुना तक बढ़ी है। यह अत्यंत उत्साहजनक है व अब हम कृषि क्षेत्र की प्रगति की बहुत महत्वपूर्ण यात्रा की तरफ बढ़ रहे हैं।

एक कालखंड था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री कहते थे- दिल्ली से केंद्र की स्कीम के 100 रु. भेजे जाते है, जो नीचे पहुंचते 15 रु. ही रह जाते हैं, लेकिन मोदी जी की सरकार में पूरी राशि नीचे हितग्राही तक पहुंचती है, जिसका उदाहरण है पीएम किसान सम्मान निधि, जिसमें किसानों को छह हजार रु. सीधे बैंक खातों में पहुंचाए जा रहे हैं। यह मोदी सरकार की पारदर्शिता का अनुपम उदाहरण है, यह स्कीम दुनिया में अभिनव है। दलहन-तिलहन-आयल पाम मिशन, किसान क्रेडिट कार्ड, दस हजार एफपीओ, एक लाख करोड़ रु. का एग्री इंफ्रा फंड जैसी अनेक योजनाएं है। इस अवसर पर मैं देश की आजादी के 100 बरस होने तक खेती को पूरी तरह उन्नत और किसानों को समृद्ध बनाने में सरकार के साथ चलने का आव्हान करता हूँ।