भारत फिर जू. पुरुष हॉकी विश्व कप के सेमीफाइनल में जर्मनी से 1-4 से हारा

  • भारत की जू. टीम को दर्जन भर पेनल्टी कॉर्नर पर गोल न कर पाना भारी पड़ा
  • सुदीप का गोल व गोलरक्षक के आधा दर्जन बचाव भारत की जू. टीम के काम न आए
  • भारत की जूनियर टीम एक बार फिर कांसे के भिड़ेगी

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : स्ट्राइकर सुदीप चिरिमाको की धार व रफ्तार दिखा दागे एक गोल, गोलरक्षक मोहित के आधा दर्जन से ज्यादा बेहतरीन बचावों के बावजूद दर्जन भर पेनल्टी में से एक को गोल में तब्दील न कर पाना भारत को छह बार की चैंपियन जर्मनी के खिलाफ जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप के पहले सेमीफाइनल में बृहस्पतिवार को भारी पड़ा। स्ट्राइकर बेन हैेशबाख के मौकों की भुनाने की बानगी दिखा दागे दो और पॉल ग्लैनडर के दूसरे पेनल्टी कॉर्नर तथा फ्लोरियन स्पर्लिंग के खेल खत्म होने से मात्र दो मिनट पहले दागे बेहतरीन मैदानी गोल की बदौलत इतिहास की सबसे कामयाब टीम जर्मनी की जूनियर टीम ने भारत की जूनियर टीम को लगातार दूसरी बार 4-1 से हरा कुल नौवीं बार फाइनल में स्थान बना लिया। जर्मनी की जूनियर टीम टीम ने मैच में मिले दोनों पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदला और यही उसकी सेमीफाइनल में जीत का सबब रहा। शुरू के दो क्वॉर्टर में भारत और बाद के दो क्वॉर्टर में जर्मनी की जूनियर टीम हावी रही। जर्मनी की जूनियर टीम ने मौकों को भुनाने की कला की बानगी दिखाते हुए यह अहम सेमीफाइनल जीता। भारत की जूनियर टीम की टीम की जर्मनी से अपने घर में 2021 के संस्करण में सेमीफाइनल में मिली 2-4 की हार का हिसाब चुकता करने की हसरत एक बार फिर अधूरी रही। सुदीप चिरिमाको ने दूसरा क्वॉर्टर खत्म होने से पांच मिनट पहले जोरदार रिवर्स हिट जमाई लेकिन जमाई लेकिन जर्मनी की जूनियर टीम के गोलरक्षक जोशुआ ओनवेकवुई ननजी ने रोक भारत की जूनियर टीम को बढ़त लेने से रोक दिया। भारत की जूनियर टीम एक बार फिर कांसे के भिड़ेगी।

भारत की जूनियर टीम ने यदि शुरू के दो क्वॉर्टर में मिले दस में से तीन पेनल्टी कॉर्नर को भी गोल में बदल दिया होता तो वह 1-2 से पिछडऩे के बजाय हाफ टाइम तक कम से 4-2 की बढ़त ले सकती थी ऐसा नहीं हुआ वह एक बार फिर बड़े इम्तिहान में फेल हो गई। 2001 और 2016 की चैंपियन भारत की जूनियर टीम अब एक बार फिर कांसे के लिए भिड़ेगी।भारत की जूनियर टीम की हार में चीफ कोच सीआर कुमार की रणनीति पर सवाल उठेगा क्योंकि उनके पास टीम को मिले दर्जन भर पर पेनल्टी कॉर्नर पर जर्मनी की जूनियर टीम के बचावों के सामने कोई प्लान ‘बी’ नहीं था।

भारत जूनियर टीम की अग्रिम पंक्ति में सुदीप चिरिमाको, सौरभ आनंद कुशवाहा , अरिजित सिंह हुंदल और कप्तान उत्तम सिंह ने शुरू से तेज हमलों की रणनीति अपना कर पहला क्वॉर्टर में शुरू के दस मिनट में ही जर्मनी के खिलाफ चार पेनल्टी कॉर्नर अर्जित किए लेकिन इन्हें गोल में तब्दील नहीं कर पाए। बेन हैशबाख ने खेल के रुख के उलट लियाम हॉल्डरमैन और माइकल स्टर्टहाफ के प्रयास पर डी में मिली गेंद को तेजी से फ्लिक कर गोल में जर्मनी को मैच के आठवें मिनट में 1-0 की बढ़त दिला दी। बराबर तेजी से आगे बढ़ कर हमले बोलने वाले आदिवासी स्ट्राइकर सुदीप चिरिमाको ने तीन मिनट बाद डी के भीतर सौरभ आनंद कुशवाहा से मिली गेंद पर रिवर्स हिट से गोल कर भारत को एक-एक की बराबरी दिला दी। सुदीप चिरिमाको और सौरभ ने बराबर दूसरे क्वॉर्टर में तेज हमले बोले और शुरू में ही भारत की जूनियर टीम को मैच का पांचवां पेनल्टी कॉर्नर दिलाया लेकिन इसे परोक्ष गोल में बदलने की अमनदीन लाकरा की कोशिश नाकाम रही। भारत की जूनियर टीम को दूसरा क्वॉर्टर खत्म होने से तीन मिनट पहले लगातार तीन पेनल्टी कॉर्नर और मिले लेकिन जर्मनी की जूनियर टीम के रशर ने लगातार रोहित के फ्लिक का कोण भांपकर उन्हें अपने गोल पर शॉट न लेने देकर उनकी अपनी टीम को बढ़त दिलाने की कोशिश नाकाम कर दी। दूसरा क्वॉर्टर खत्म होने से ठीक मिनट पहले सुनील जोजो की गलती से मिले मैच के पहले पेनल्टी कॉर्नर पर पीर हिनरिख के शॉट को भारत के गोलरक्षक मोहित ने रोका लेकिन लौटती गेंद को बेन हेशबाख ने संभाल तेज शॉट जमा गोल कर जर्मनी को 2-1 से आगे कर दिया। बस यहीं से सेमीफाइनल में जर्मनी की जूनियर टी मने मैच पर ऐसी पकड़ बनाई कि भारत की जूनियर टीम को सेमीफाइनल में वापसी का कोई मौका ही नहीं मिल पाया। पॉल ग्लैनडर ने तीसरा क्वॉर्टर खत्म होने से चार मिनट पहले मैच में दूसरे पेनल्टी कॉर्नर पर तेज फ्लिक से गोल में बदल कर जर्मनी की जूनियर टीम को 3-1 से आगे कर उसकी मैच पर मजबूत पकड़ बना दी। भारत की जूनियर टीम को इससे ठीक पहले उत्तम सिंह के प्रयास पर मैच का 11 वां पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन इस पर बॉबी सिंह धामी के तेज फ्लिक को जर्मनी की जूनियर टीम के गोलरक्षक जोशुआ ओनवेकवुई ननजी से अच्छा पूर्वानुमान लगाते हुए रोक कर बेकार कर दिया और इसके बाद और एक पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन यह भी बेकार गया। फ्लोरियन स्पर्लिंग के खेल खत्म होने से मात्र दो मिनट पहले हॉकी की कलाकारी दिखा कर बेहतरीन मैदानी गोल कर जर्मनी को 4-1 से आगे कर उसकी जीत और फाइनल में स्थान पक्का कर दिया।