प्रधानमंत्री मोदी का नेट-जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने का विजन भारत के हरित भविष्य के लिए है अत्यंत महत्वपूर्ण

  • सौर ऊर्जा के उपयोग से जीवाश्म ईंधन पर घटेगी निर्भरता, नेट-जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य होगा प्राप्त 
  • ‘राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस’ पर डॉ. राजेश्वर सिंह ने नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को पूरा करने में सौर ऊर्जा की उपयोगिता पर दिया बल

रविवार दिल्ली नेटवर्क

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर गुरुवार को भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर​ सिंह ने नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने तथा जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को ​घटाने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेट-जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने के विजन को भारत के हरित भविष्य में योगदान के लिए महत्वपूर्ण बताया। पीएम मोदी द्वारा भारत का 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए डॉ. राजेश्वर सिंह ने सौर ऊर्जा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत सौर ऊर्जा से समृद्ध है। अपनी भौगोलिक स्थिति और जलवायु के कारण भारत में हर साल लगभग 300 धूप वाले दिन होते है और 5,000 ट्रिलियन किलोवाट के बराबर सौर ऊर्जा प्राप्त करता है। यह देश में लगभग 750 गीगावॉट सौर ऊर्जा की अनुमानित क्षमता प्रदर्शित करता है।

सौर ऊर्जा के महत्व को रेखांकित करते हुए डॉ. राजेश्वर सिंह ने बताया कि भारत इस प्रचुर संसाधन का उपयोग करके जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को काफी हद तक कम कर अपने नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम कर सकता है। भारत की नेट-जीरो उत्सर्जन महत्वाकांक्षाएं न केवल जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि देश के सतत और समावेशी विकास के लिए भी वरदान हो सकती हैं।

नेट-जीरो उत्सर्जन से होने वाली संभावित जीडीपी में वृद्धि एवं सृजित होने वाली नौ​करियों की ओर ध्यानाकर्षित करते हुए डॉ. राजेश्वर सिंह ने बताया कि शोध के अनुसार 2050 का नेट-शून्य लक्ष्य भारत की जीडीपी को 7.3 प्रतिशत (470 बिलियन डॉलर या 39 लाख करोड़) बढ़ा सकता है और 2032 तक लगभग 2 करोड़ अतिरिक्त नौकरियां पैदा कर सकता है। उन्होंने कहा कि इससे 2060 तक परिवार ऊर्जा लागत में 9.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर (80.5 हजार करोड़) बचा सकते हैं।