समराज चौहान
‘ऊर्जस्वी’ प्रेरक आलेखों का संग्रह एक महत्वपूर्ण और बेहतरीन पुस्तक बनकर उभरी है। इस पुस्तक के पीछे लेखक का एक अपनी एक मनोस्थिति मौजूद है। पुस्तक के कुछ अंश इस प्रकार है— मनुष्य अत्यंत संवेदनशील प्राणी है। बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक जीवन जीने के लिए भावनाओं से ही आपसी रिश्तों के अपनेपन प्यार और सामाजिक संबंधों की अभिव्यक्ति होती है। रिश्तेंं नई भावनाओं पर टिकी होती है।यही वजह है कि नृपेन्द्र अभिषेक नृप द्वारा रचित पुस्तक ‘ऊर्जस्वी’ इस सदी की सबसे बेहतरीन एवं महत्वपूर्ण पुस्तकों में से मुझे एक लगी।पुस्तक पढ़ने का कीड़ा मेरे अंदर बचपन से रहा है और आज भी उपन्यास हो चाहें कोई भी महत्वपूर्ण पुस्तक कुछ ही दिनों में चट कर जाता हूँ। अब उन आदतों में ऊर्जस्वी का भी प्रभाव विद्यमान हो जाएगा। यही कारण है कि उन्हीं आदतों को पँख देने के लिए ऊर्जस्वी भी दस्तक दे चुकी है।इस पुस्तक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस पुस्तक का शब्द विन्यास शब्दों में माधुर्य और प्रमाणिकता के साथ यथार्थ के धरातल पर उतारा गया है।यह पुस्तक नई सुबह की ताजगी की एहसास कराती है। यह पुस्तक सभी वर्ग के लोगों के लिए बेहतरीन पुस्तक है। इंसान के नैतिक मूल्यों को स्थापित करने में उच्च संस्कार विकसित करने में हमारी काफी मददगार साबित हो सकती है। कर्मठशील लेखक मित्र को ऐसे ही भविष्य में बेहतरीन कार्य करते जाने के लिए अग्रिम शुभकामनाएं देता हूँ।
पुस्तक: ऊर्जस्वी
लेखक: नृपेन्द्र अभिषेक नृप
प्रकाशन: स्वेतवर्णा प्रकाशन, नयी दिल्ली
मूल्य: 199 रुपये
पृष्ठ- 115 पेज