दीपक दुआ
भारत के विभिन्न हिस्सों में हो रहे किस्म-किस्म के ढेरों फिल्म समारोहों में से विरले ही हैं जो बाल-सिनेमा की बात करते हैं। वैसे भी अपने यहां बच्चों के सिनेमा को लेकर न तो सरकारी स्तर पर और न ही फिल्मकारो, मीडिया या दर्शकों के स्तर पर कोई खास गंभीरता देखने को मिलती है। ऐसे में हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद में संपन्न हुए अहमदाबाद इंटरनेशनल चिल्ड्रन फिल्म फेस्टिवल के 5वें संस्करण में जुटीं दसियों उम्दा देसी-विदेशी फिल्मों और हजारों दर्शकों का जमावड़ा न सिर्फ बाल-सिनेमा के भविष्य के प्रति सुनहरी उम्मीदें जगाता है बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि यदि ईमानदारी से प्रयास किए जाएं तो वे एक न एक दिन रंग बिखेरते ही हैं।
बच्चों के सिनेमा को बढ़ावा देने और बच्चों तक अच्छी फिल्मों को पहुंचाने के मकसद से 2019 में शुरू हुए इस फिल्म फेस्टिवल में इस साल 24 देशों से 90 से भी अधिक फिल्में आईं जिनमें से काफी सारी फिल्मों को चुन कर तीन दिन चले इस समारोह में दिखाया गया। ईरान से आई मुतर्जा रहीमी की फिल्म ‘बलित’ से इस समारोह की शुरुआत हुई। इस मौके पर वरिष्ठ अभिनेता पवन मल्होत्रा भी मौजूद थे। कई देशों में सराही जा चुकी इस फिल्म को अहमदाबाद के दर्शकों ने भी खूब प्यार दिया। समारोह के दूसरे दिन ‘जोमन’, ‘प्रवास’, ‘बस नंबर 7’, ‘एनकाउंटर’, ‘लाइट्स’ जैसी लगभग 16 फिल्मों को प्रदर्शन किया गया। अहमदाबाद के प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थान ‘अहमदाबाद मैनेजमैंट एसोसिएशन’ के विशाल ऑडिटोरियम में शहर के कई स्कूलों के हजारों बच्चों ने इन फिल्मों को देखा और वहां मौजूद उन फिल्मों के निर्देशकों व कलाकारों से भी मुलाकात की। साथ ही इसी दिन दो मास्टर क्लास भी आयोजित की गईं। ‘दृश्यों के जरिए कहानी कहने’ की कला पर फिल्मकार पंकज रॉय ने बात की और ‘फिल्मों को कैसे महसूस किया जाए’ विषय पर फिल्म समीक्षक दीपक दुआ व राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्म निर्देशक मनीष सैनी ने चर्चा की।
अच्छे सिनेमा को सराहा देने के लिए बने ‘पे तमाशा’ द्वारा आयोजित इस फिल्म समारोह के तीसरे दिन निर्देशक मनीष तिवारी की सफल हिन्दी फिल्म ‘चिड़ियाखाना’ के अलावा कुल दस फिल्मों को दिखाया गया। समारोह के अंत में जब गुजराती फिल्म ‘मारा पप्पा सुपरहीरो’ दिखाई गई तो सभागार में इतने अधिक दर्शक थे कि उनमें से कइयों को जमीन पर बैठ कर फिल्म देखनी पड़ी। समापन समारोह में कई फिल्मों को पुरस्कार भी दिए गए। सर्वश्रेष्ठ फिल्म व सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के दो पुरस्कार ईरानी फिल्म ‘बालित’ को मिले। सर्वश्रेष्ठ बाल-कलाकार का पुरस्कार ‘प्रवास’ के विशाल ठक्कर व ‘मारा पप्पा सुपरहीरो’ की भव्या सिरोही को दिया गया। अपनी लघु फिल्म ‘जोमोन’ के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार लेने के लिए जापान से आईं फूमी निशिकावा बहुत उत्साहित दिखीं। गोल्डन काइट अवार्ड हिन्दी फिल्म ‘चिड़ियाखाना’ को मिला जिसे लेने के लिए निर्देशक मनीष तिवारी वहां मौजूद थे। इस समारोह में भाग लेने के लिए बंगलुरु से अभिनेता मंजूनाथ नायकर आए हुए थे जिन्हें दर्शकों की पुरानी पीढ़ी लोकप्रिय टी.वी. धारावाहिक ‘मालगुडी डेज’ के बाल-नायक स्वामी के लिए पहचानती है। मंजूनाथ ने कहा कि इस तरह के समारोह पूरे देश में होने चाहिएं ताकि बच्चों के लिए अच्छा सिनेमा बना रहे लोगों की कोशिशों को बल मिले और साथ ही बच्चों को अच्छा सिनेमा देखने को मिलता रहे।