अशोक मधुप
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आरोप लगाया है कि बीते सोमवार को मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने उन्हें शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने की साजिश रची।आरोप है कि एयरपोर्ट जाते समय सत्तारूढ़ सीपीएम की छात्र शाखा, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के कुछ सदस्यों ने राज्यपाल के वाहन को टक्कर मारी। कार के शीशे पर प्रहार किए।यह घटना सोमवार को तब हुई जब राज्यपाल नई दिल्ली जाने के लिए तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जा रहे थे। स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने उन पर काले झंडे लहराए और तीन स्थानों पर उनकी कार को रोकने की कोशिश की।एक जगह गवर्नर कार से बाहर निकले तो प्रदर्शनकारी भाग लिए। गवर्नर खान ने दिल्ली में मीडिया से कहा कि मुख्यमंत्री विजयन की संलिप्तता के बूते उन्हें शारीरिक नुकसान पहुंचाने के लिए एक ठोस प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह घटना कोई हादसा नहीं थी, बल्कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाने के लिए जानबूझकर ऐसा किया गया। खान ने कहा, ” मैं तीन बार प्रदर्शनकारियों के बीच आया और ध्यान देने वाली बात यह है कि इन प्रदर्शनकारियों को पुलिस जीपों में लाया गया था और घटना के बाद उन्हें इन जीपों में वापस ले जाया गया।उन्होंने कहा, ”सरकार मुझे डराने के लिए ऐसा कर रही है, लेकिन मैं डरने वाला नहीं हूं। राज्यपाल का यह आरोप बहुत गंभीर है,क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री पर साजिश रचने का आरोप है, इसलिए केंद्र सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। उन्हें राज्यपाल के आरोप की किसी केंद्रीय एजेंसी से या केंद्रीय आयोग से जांच करानी चाहिए। साथ ही राज्यपाल को अपने स्तर से अतिरिक्त सुरक्षा देनी होगी ताकि आगे से ऐसा न हो।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री और राज्य सरकारों के बीच विवाद नया नही हैं।मुख्यमंत्री और सरकार चाहतीं है कि वे राज्य को अपनी मर्जी से चलाएं। जो चाहें करें।राज्यपाल संविधान के अनुरूप कार्य करने को कहते हैं। अपने पद के मद मुख्यमंत्री ये बर्दाश्त करने को तैयार नही होते की कोई उनके काम में अडंगा लगाए। यही टकराव का बड़ा कारण है। यदि मुख्यमंत्री ये समझ लें। अपनी सीमा जानलें तो कोई विरोध न हो। हालाकि कई जगह राज्यपाल भी मनमानी पर उतरें हैं। वह विधान सभा द्वारा पारित प्रस्ताव स्वीकृति की प्रतीक्षा में कई− कई माह से रोके हैं। इस पर सर्वोच्च न्यायालय भी कई बार नाराजगी जता चुका है।
केरल सरकार द्वारा कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति की गई। जब की इस नियुक्ति का अधिकार राज्यपाल का है। सुप्रीम कोर्ट ने 30 नवम्बर 2023 मुख्यमंत्री द्वारा की कन्नूर विश्व विद्यालय के राज्यपाल की नियुक्ति को अनाचार तथा अवैध दख्ल का दोषी करार दिया । कार्ट ने निर्णय में यहां तक कहा गया कि मुख्यमंत्री ने कानून का मजाक उड़ाया है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा समेत तीन जजों की खण्डपीठ ने कुलपति गोपीनाथ रवींद्रन की नियुक्ति को अवैध बताया तथा निरस्त कर दिया।निर्णय में कहा गया कि निर्देशानुसार राज्यपाल ही विश्वविद्यालय का कुलाधिपति होता है। यहां सुप्रीम कोर्ट ने कहा भी कि राज्य शिक्षा मंत्री आर बिन्दु का परामर्श कुलाधिपति पर अनिवार्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में केरल राजभवन की वह विज्ञाप्ति का भी उल्लेख किया जिसमें राज्यपाल ने लिखा था : ”श्री रवींद्रन की नियुक्ति का निर्णय स्वयं मुख्यमंत्री तथा उनकी उच्च शिक्षा मंत्री श्रीमती आर बिन्दु ने किया था।” राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा भी था कि पिनराई विजयन राजभवन आये थे और कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति का अनुरोध किया था। बिन्दु भी दो बार लिखकर आग्रह कर चुकी हैं। अंतत: सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ”राज्य के अनुचित हस्तक्षेप” के आधार पर डा. गोपीनाथ रवींद्रन को वीसी के रूप में फिर से नियुक्त करने वाली 23 नवम्बर, 2021 की अधिसूचना को रद्द कर दिया था। अदालत ने कन्नूर विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर जोर देते हुए कहा कि कन्नूर विश्वविद्यालय अधिनियम 1996 और यूजीसी क़ानून संस्थान को राज्य सरकार के हस्तक्षेप से बचाने के लिए बनाए गए थे। इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि चांसलर, विश्वविद्यालय में एक महत्वपूर्ण भूमिका रखता है और वह स्वतंत्र रूप से कार्य करता है। वह अपनी विवेकाधीन शक्तियों के प्रयोग में राज्य सरकार की सलाह से बाध्य नहीं है।
सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद राज्यपाल ने प्रदेश सरकार द्वारा अन्य विश्वविद्यालयों में नियुक्त कुलपति की नियुक्ति भी निरस्त कर दी। इतना ही नहीं केरल उच्च न्यायालय ने भी केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज एंड ओशियन स्टडीज के कुलपति के रूप में डॉ रिजी जॉन की नियुक्ति को रद्द कर दिया। अदालत ने नियुक्ति को अवैध करार देते हुए कहा कि इस प्रक्रिया में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा निर्धारित दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया गया। यूजीसी शिक्षा मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है जो देश भर में उच्च शिक्षा संस्थानों के कामकाज की देखरेख करता है।
लगता है कि केरल के मुख्मंत्री और सत्ताधारी वामपंथी दल इस सब से नाराज है। विश्वविद्यालयों में उनके सदस्य कुलपति नहीं बन पा रहे,इससे वे गुस्से में हैं। वे इसके लिए राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खां को जिम्मेदार मानते हैं।उनका आरोप है कि राज्यपाल विश्वविद्यालयों का भगवाकरण कर रहे हैं। इसीका वह विरोध कर रहे है। राज्यपाल को काले झंडे दिखा रहे हैं।
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के काफिले पर राजधानी तिरुवनंतपुरम में कम्युनिस्ट छात्र संगठन ‘स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया’ के हमले के बारे में हमले से पहले राज्य खुफिया विभाग राज्यपाल ने तीन चेतावनियाँ जारी की थीं।ये चेतावनियाँ 24 घंटे के अंतराल में जारी की गई थी। इसमें काले झंडे वाले प्रदर्शन और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ संभावित हमले की चेतावनी दी गई। यही नहीं, सोमवार 11 दिसंबर, 2023 दोपहर को जारी आखिरी रिपोर्ट में विरोध प्रदर्शन के संभावित जगहों का भी जिक्र किया गया। स्टेट इंटेलिजेंस ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि राज्यपाल को अतिरिक्त सुरक्षा दी जानी चाहिए, लेकिन पुलिस के आला अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज कर दिया था।इसके अलावा, खुफिया विभाग को पता चला कि राज्यपाल का ट्रैवल रूट शहर के पुलिस आयुक्त को गुप्त रखने के निर्देश दिए गए थे। खुफिया विभाग का दावा है कि पुलिस एसोसिएशन के लीडर ने इसे सोमवार सुबह एसएफआई (SFI)को लीक कर दिया । पहली खुफिया रिपोर्ट में सोमवार को सिफारिश की गई कि राज्यपाल के लिए हवाई अड्डे तक जाने के लिए नियमित रास्ते के इतर एक और रास्ता भी तय किया जाना चाहिए। रविवार शाम को सिटी पुलिस कमिश्नर ने इसे गुप्त रखने के लिए ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारियों को वायरलेस संदेश भेजा था।सोमवार सुबह दूसरी इंटेलिजेंस रिपोर्ट में विरोध तेज होने की तरफ भी इशारा किया गया था। दोपहर में दी गई तीसरी रिपोर्ट में खुफिया एजेंसी ने यह भी बताया था कि पलायम अंडरपास और पेट्टा सहित तीन जगहों पर विरोध प्रदर्शन की संभावना हैं। इसके साथ ही यह सुझाव दिया गया कि राज्यपाल की सुरक्षा चाक-चौबंद रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया जाना चाहिए। खुफिया विभाग का कहना है कि पुलिस अधिकारियों ने रिपोर्ट के मुताबिक न कोई सावधानी बरती और न ही अतिरिक्त सुरक्षा उपाय किए।
इस प्रकरण में कांग्रेस नेता शशि थरूर ने केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की कार पर एसएफआई के कार्यकर्ताओं के कथित हमले को लेकर मंगलवार को राज्य की एलडीएफ नीत सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि कम्युनिस्ट शासन में पुलिस सत्तारूढ़ दल की ज्यादतियों में सहभागी बनी हुई है।केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद ने कहा, ‘‘कम्युनिस्ट शासन के तहत पुलिस अराजकता की एजेंट रही है, सत्तारूढ़ पार्टी की सबसे भीषण ज्यादतियों में शामिल रही है। उन्होंने राज्यपाल पर हमले की अनुमति दी, जबकि मुख्यमंत्री के खिलाफ शांतिपूर्ण छात्र प्रदर्शनकारियों के साथ दुर्व्यवहार की अनुमति दी। शर्मनाक।’’केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि केरल में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई है।
उधर गवर्नर आरिफ मुहम्मद खान ने सार्वजनिक तौर से ऐलान किया कि राज्य में कानून-व्यवस्था के हालात खराब हो गए हैं। राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान ने कहा,“वे नाराज हैं क्योंकि मुख्य सचिव द्वारा केरल उच्च न्यायालय के समक्ष एक हलफनामे में वित्तीय स्थिति के बारे में बताए जाने के बाद, मैंने इस पर एक रिपोर्ट मांगी है। मुख्यमंत्री को यह कहते हुए सुना गया कि सरकार को राज्यपाल द्वारा पूछे गए सभी सवालों का जवाब देने की जरूरत नहीं है। किसी सीएम ने कभी ऐसी बात नहीं कही। खान का कहना है कि ,“केरल में, संवैधानिक मशीनरी का पतन शुरू हो गया है।
गवर्नर के विरूद्ध प्रदर्शन ,गवर्नर के विरूद्ध प्रदर्शन हमलावरों का उनकी कार तक पंहुचना ,गवर्नर की कार रोकना और कार के शीशे पीटना गंभीरतम मामला है।गवर्नर यह भी कहते हैं कि हमलावर पुलिस की गाड़ियों से आए उनकी कार को रोका। उनके कार से उतरने पर पुलिस के वाहनों से भाग गए। यह भी सूचनाएं हैं कि राज्यपाल के रूट की जानकारी एक पुलिस एसोसिएशन के पदाधिकारी से प्रदर्शनकारियों का पहुंची । वैकल्पिक मार्ग से जाने की सलाह पर भी ध्यान नही दिया गया ।केंद्र को चाहिए कि पूरे मामले का गंभीरता से ले। गवर्नर आरिफ मुहम्मद खान की सुरक्षा सुनिश्चित करे। इस पूरे प्रकरण की केंद्रीय न्यायिक आयोग से जांच कराए।आयोग से एक माह में रिपोर्ट से और आयोग द्वारा दिए सुझाव पर कार्र्वाई सुनिश्चित करे। राज्यपाल की सुरक्षा की चूक के जिम्मेदार पर भी कठोर कार्रवाई हो।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)