गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजस्थान में जब भी कोई नई सरकार बनती है तों उसके सामने पार्टी के संकल्प पत्र को लागू करने और अन्य राजनीतिक एवं प्रशासनिक चुनौतियां के साथ ही एक बड़ी चुनौती आदर्श आचार संहिता भी होती है जिसके चलते लोकसभा आम चुनाव से पहले नई सरकार को काम करने का बहुत कम मौका मिलता है। इस बार भी प्रदेश के नए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को भी कमोबेश इस चुनौती का सामना करना पड़ेगा। यही कारण है कि उन्होंने प्रदेश के ब्यूरोकेट्स को पहली बैठक में ही भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र को अक्षरत लागू करने तथा सौ दिनों की कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए है। उन्होंने अफसरों से यह भी कहा है कि प्रदेश की योजनाएं पच्चीस वर्षों के दीर्घ कालीन विकास रोडमैप पर आधारित होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री शर्मा अपने नई दिल्ली दौरे के दूसरे दिन भी बहुत सक्रिय रहें और उन्होंने उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित केंद्रीय सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राज मार्ग मंत्री नितिन गडकरी से भी भेंट की। नितिन गडकरी से हुई मुलाकात में उन्होंने प्रदेश की सड़क परियोजनाओं पर भी विस्तार से चर्चा की।
मुख्यमंत्री शर्मा चाहते है कि वे प्रदेश के विकास एक ऐसा रोडमैप तैयार करें जिसमें पार्टी के संकल्प पत्र की सभी बातों को भी समय बद्ध तरीके से पूरा किया जा सके अन्यथा लोकसभा चुनाव एवं इसके बाद स्थानीय निकायों तथा पंचायती राज के चुनावों के लिए लगने वाली आदर्श चुनाव सांहिता विकास के मार्ग में रोड़ा बन सामने आती ही रहेंगी हालाकि उन्हे नहीं तो रोका जा सकता है और नहीं नजर अंदाज किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री शर्मा के सामने सबसे पहले अपने मंत्रिपरिषद का गठन करना मंत्रियों को उनके विभागों का वितरण करने के साथ प्रदेश की अफसर शाही में भी बड़े पैमाने पर बदलाव करने की चुनौती है। इसके साथ ही प्रदेश की सभी पच्चीस लोकसभा सीटों पर पिछली दो बार की तरह अपनी पार्टी भाजपा को विजयश्री दिलाने की भारी चुनौती भी है। इसके पूर्व चुनावी संकल्प पत्र में जनता से किए वादों को पूरा करने और उन्हें जमीनी हकीकत पर उतारना भी जरूरी है।साथ ही उन्हें श्रीगंगानगर की एक विधानसभा सीट श्री करणपुर से भी पार्टी उम्मीदवार को जिताना होगा।
राजस्थान भौगोलिक दृष्टि से देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। प्रदेश की लंबी सीमाएं पाकिस्तान से लगी हुई है। इन अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से प्रायः घुसपेठ मादक द्रव्यों की आवाजाही आदि की समस्याएं है जिन्हे प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में देखने और उन पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार को वांछित सहयोग करने की जिम्मेदारी भी अब उनके कन्धों पर है। प्रदेश की माली हालत को पटरी पर लाना भी है । ऐसी स्थिति में उन्हें विरासत में राज से ज्यादा कांटों का ताज मिला है इसे इंकार नहीं किया जा सकता।
नए मुख्यमंत्री शर्मा के सामने लोकसभा की सभी 25 सीटों पर विजय की रणनीति बनाने के लिए पार्टी संगठन के साथ नजदीकीसे काम करने के साथ जातीय और क्षेत्रीय संतुलनों को साधने के लिए भी काफी कसरत और माथा पच्ची करनी होंगी।
मुख्यमंत्री शर्मा अपेक्षाकृत युवा है और उन्हें संगठन ने काम करने का लंबा अनुभव है। इसी कारण उन्होंने सरपंच से मुख्यमंत्री तक का लंबा सफर पूरा किया है और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व विशेष कर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके चाणक्य माने जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उनकी दक्षताओं को पहचान कर राजस्थान की जिम्मेदारी दी है। देखना है वे अपने सामने आने वाली विभिन्न अग्नि परीक्षाओं किस ढंग से पूरा करते है और कैसे राजस्थान जैसे विशाल प्रदेश को आदर्श राज्य एवं देश का नम्बर वन प्रदेश बनाते है?