कानून के राज का विस्तार करे भारत !

सीता राम शर्मा ” चेतन “

2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने यूं तो देश और देशवासियों के विकास के कई बड़े और महत्वपूर्ण काम किए हैं पर देश में कानून का राज स्थापित करने हेतु नये कानून बनाने का जो अत्यंत आवश्यक और महत्वपूर्ण काम इस सरकार ने पिछले दिनों किया है, वह निःसंदेह मोदी सरकार का सबसे बड़ा काम कहा और माना जा सकता है । संभव है कि कुछ लोग इस बात से असहमत हों, क्योंकि अलग-अलग सोच और विचारधारा वाले लोगों के दृष्टिकोण में इस सरकार का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण काम अलग-अलग होगा । किसी के लिए वह सबसे बड़ा काम सरकार द्वारा अपने घर में शौचालय निर्माण का होगा, किसी के लिए सरकार द्वारा उनके आवास का निर्माण, किसी के लिए उज्जवला योजना, मुफ्त राशन योजना, नल से जल योजना या स्टार्टअप तो किसी के लिए कश्मीर से धारा 370 का निरस्त होना या फिर अयोध्या में बाधा मुक्त भगवान श्रीराम के मंदिर का निर्माण होगा ! पर व्यापक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में सामूहिक, सार्वजनिक और राष्ट्रीय दृष्टिकोण से यदि हमें इस सरकार के सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और बड़े एक काम का चयन करना हो तो वह होगा इन नये कानून के विधान और निर्माण का ! कारण यह कि इससे देश के हर एक नागरिक को अपने सुरक्षित, शांतिपूर्ण और समृद्ध जीवन को जीने की राह में व्यापक सहयोग मिलेगा । गौरतलब है कि किसी भी मनुष्य के लिए अपने नीजि जीवन को सफलतापूर्वक जीनें में दो बातें सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है । एक – अपने कुशल व्यक्तित्व के निर्माण योग्य बाह्य वातावरण का मिलना और दूसरा – बाह्य संकट की स्थिति में उन संकटों से त्वरित मुक्ति की सरल सुविधाओं का सहज उपलब्ध होना और यदि उसे ये दोनों सुविधाएँ उसके जीवन अधिकार के रुप में उपलब्ध हों तो इससे बेहतर और क्या होगा । भारत की वर्तमान सरकार के द्वारा बनाए गए नये कानून हर भारतीय को अपने मानवीय जीवन को कुशलतापूर्क जीने हेतु इन दो मूल सुविधाओं से संपन्न बनाने में सहयोग करेंगे इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए ।

वर्तमान राष्ट्रीय और वैश्विक परिस्थितियों में दुनिया के अधिकांश लोगों के सामने आज जो सबसे बड़ा संकट है, वह अपने जीवन को शांतिपूर्ण और सुरक्षित तरीके से जीने का है । वर्तमान समय में हर व्यक्ति के निजी जीवन में बाह्य जगत का हस्तक्षेप बहुत तेजी से बढ़ा है, वह हस्तक्षेप चाहे उनके आसपास के अनैतिक लोगों और अव्यवस्था का हो या फिर वैश्विक वैमनस्यता और शत्रुता के माहौल का, दोनों ही स्थिति में इनसे सुरक्षित रखने का काम उसकी राष्ट्रीय न्यायिक व्यवस्था करती है । समस्या अपराधी रिश्तेदार, पड़ोसी और लोगों की हो या फिर कई तरह की सामाजिक बुराईयों, अव्यवस्थाओं और षड्यंत्रकारी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय शत्रुओं की, इनसे बचाए रखने और निजात दिलाने का शत-प्रतिशत काम उसकी न्यायिक व्यवस्था ही करती है । जिस देश समाज की न्यायिक व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त और कारगर होती है वहां हर तरह की सामाजिक, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बुराईयों, अराजक शक्तियों और अव्यवस्थाओं से मुक्त निर्भीक, उत्कृष्ट और विकास योग्य वातावरण सुलभ होता है, जो विकसित मानवीय जीवन, समाज और राष्ट्र की पहली जरूरत है । भारत में स्वतंत्रता के बाद उत्कृष्ट न्यायिक व्यवस्था की कमी ने देश का सबसे ज्यादा नुकसान किया है । प्रशासनिक और राजनीतिक भ्रष्टाचार से लेकर कई तरह की पारिवारिक-सामाजिक-आर्थिक अपराध, उग्रवाद, अलगाववाद और आतंकवाद जैसी तमाम समस्याओं का मूल कारण हमारी न्यायिक व्यवस्था का असक्षम, शिथिल, निष्क्रिय और पथभ्रष्ट होना रहा है । जिसका मूल कारण इसका संवैधानिक रुप से त्रुटिहीन और कमजोर होना भी था, जिसे अब नये कानून में दूर करने का प्रयास किया गया है । इस नये कानून के लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद देश के सर्वोच्च नेतृत्व के साथ कई संविधान विशेषज्ञों का भी यह मानना है कि इन कानूनों के अस्तित्व में आने के बाद राष्ट्रीय और सामाजिक व्यवस्था में व्यापक बदलाव आएगा और देश में कानून का राज स्थापित होगा । संभव है कि इनमें भी कुछ कमियां हो या फिर देश में पूर्ण रूप से कानून का राज स्थापित करने के लिए कुछ और क्षेत्र से जुड़े कानूनों में भी सुधार और कुछ नये नियम कानून बनाने की आवश्यकता पड़े, पर वर्तमान सामाजिक, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समस्याओं तथा षड्यंत्रों को देखते हुए बाल और महिला अपराध के साथ देश विरोधी ताकतों और षड्यंत्रों की स्थिति को जानते समझते हुए इनसे संबंधित जो नये कानून बनाए गए हैं उनसे इन कानूनों के बूते कानून का राज स्थापित करने के तमाम दावे सही और असंदिग्ध महसूस होते हैं । निःसंदेह बनाए गए नये कानूनों के प्रभावी ढंग से लागू होने के बाद देश में कानून का राज स्थापित होगा ।

अंत में आदतन बात कानून के राज को लेकर व्यापक परिप्रेक्ष्य में संपूर्ण विश्व में कानून के राज की व्यवस्था बनाने की । यह सर्वमान्य सत्य है कि वर्तमान समय भूमंडलीकरण का है, जिसमें संपूर्ण विश्व एक घर-परिवार की तरह हो गया है । अच्छाईयां हो या बुराईयां, उसके ज्ञान और प्रभाव के वैचारिक विस्तार को पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचने में अब ज्यादा देर नहीं लगती । फिर बुराईयों को रोकने का जो महत्वपूर्ण काम है वह कोई भी देश सिर्फ और सिर्फ कानून के राज से ही संभव कर सकता है । फिलहाल बात बड़ी वैश्विक समस्या बन चुके आतंकवाद, विस्तारवाद और युद्धोन्माद की, जो चाहे विश्व के किसी भी हिस्से में पनपता है, उसका प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष प्रभाव पूरे विश्व अर्थात हर एक देश और उसके हर एक नागरिक को प्रभावित करता है । वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों और समस्याओं के दृष्टिकोण से देखें समझें तो एक राष्ट्र की ऐसी समस्या से उसके समीपस्थ और दूरस्थ देशों के बहुतायत निर्दोष नागरिकों के जान माल की भी क्षति होती है । अतः आशय स्पष्ट है कि एक जिम्मेवार वैश्विक मानव और राष्ट्र के नाते विश्व के हर एक सजग जिम्मेवार नागरिक और राष्ट्र को वैश्विक हित में संपूर्ण विश्व में भी कानून का राज स्थापित करने की दिशा में अपने प्रयास करने चाहिए । फिलहाल एक आम भारतीय नागरिक होने के नाते वैश्विक स्तर पर कानून का राज स्थापित करने की जरूरत पर यदि गंभीरतापूर्वक विचार किया जाए तो यह अत्यंत कष्टदायक कटु सत्य आसानी से समझा जा सकता है कि कैसे हमारे देश में आतंक मचा चुके दुर्दांत आतंकवादी और आर्थिक अपराधी विदेशों में जाकर सुरक्षित और सम्मानित जीवन जीते हैं और हम एक राष्ट्र के रुप में उस राष्ट्र के त्रुटिपूर्ण संवैधानिक नियम कानून के कारण लाचार बने रहते हैं ! यदि एक बड़े और दुर्दांत राष्ट्रीय अपराधी को लेकर इतनी विवशतापूर्ण स्थिति है तो व्यक्तिगत बड़े अपराधों के अपराधियों के विदेश भाग जाने पर उन्हें दंड दिलाना कितना मुश्किल है, यह सहज ही समझा जा सकता है । बात यदि अंतरराष्ट्रीय युद्धों और अपराधों की अथवा उनके शांतिपूर्ण निदानों की करें तो वर्तमान वैश्विक दौर में जब कई राष्ट्रों में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष युद्धों का दौर जारी है, कुछ भी कहना मुश्किल है । अतः सारांश यही है कि भारत में जब हम कानून के राज को स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं तो उसे आधार बनाकर हमें संपूर्ण विश्व को भी यह संदेश देना चाहिए कि आइए, हम विश्व के सुरक्षित भविष्य के लिए भी लोकतांत्रिक रुप से एक सर्वमान्य, सर्वव्यापी और सर्व प्रभावी वैश्विक कानून बनाकर पूरे विश्व में भी कानून का राज स्थापित करने का प्रयास करें । हालाकि विश्व में भी हमारे देश की तरह कानून के राज का विरोध करने वाले भयभीत और षड्यंत्रकारी लोगों और शक्तियों की कमी नही है बावजूद इसके सफलता को निश्चित मान कर हमें इसके लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए । शुरुआत हमारे नये कानून में आतंकवाद को परिभाषित करने की तर्ज पर उसे वैश्विक स्तर पर भी परिभाषित करवाने से की जा सकती है । ऐसा होगा, इसी आशा और विश्वास के साथ फिलहाल शब्दों को विराम देते हुए भारतीय नेतृत्व को उसके इस बड़े काम के लिए हार्दिक बधाई और अशेष शुभकामनाएँ !