गोपेन्द्र नाथ भट्ट
भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही जिन तीन प्रदेशों में विधान सभा चुनाव जीते है उनमें से छत्तीसगढ़ में मंत्रिपरिषद का विस्तार होने के बाद अब सोमवार को मध्य प्रदेश और उसके बाद बुधवार 27 दिसंबर को राजस्थान की बारी बताई जा रही है। संयोग से मध्य प्रदेश और राजस्थान में नई सरकार के शपथ ग्रहण में भी दो दिनों का ही अंतराल था ।
प्रायः हिंदू रीति रिवाजों और मुहूर्त में विश्वास रखने वाली भगवा पार्टी भाजपा ने इस बार अपने सारे पुराने मिथक तोड दिए है। श्राद्ध पक्ष में टिकट वितरण से शुरू हुआ भाजपा विधानसभा चुनाव अभियान का यह सिलसिला इस बार मलमास में जाकर रुकने वाला है। भाजपा आगामी लोकसभा आम चुनाव की तैयारियों के लिए एक कदम भी रुकना नही चाहती और इसके लिए उसने सारी पुरानी मान्यताओं को तोड़ आगे बढ़ने की ठान ली है। यही कारण है कि भाजपा अपनी नई सरकारों में नए मंत्रियों को शामिल कर उन्हें क्रिसमस और नए वर्ष का तोहफा दे रही है। फिर मलमास की समाप्ति के बाद नए वर्ष में अयोद्धा के ऐतिहासिक भव्य राम मंदिर का शुभारम्भ सबके लिए सबसे बड़ा बोनस साबित होने वाला है।
राजस्थान मे विगत पंद्रह दिसंबर को मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के नेतृत्व में नई सरकार के गठन के बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर जयपुर से दिल्ली तक अटकलों का बाजार चल रहा है। इसी मध्य अब यह खबर आ रही है कि 27 दिसंबर बुधवार को जयपुर के राज भवन में नए मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह होंगा।
बताया जा रहा है कि भजन लाल शर्मा मंत्रिपरिषद के पहले विस्तार में करीब 15 नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जायेगी। जिनमें कुछ मंत्रियों को केबिनेट मंत्री,कुछ को स्वतंत्र प्रभार का राज्य मंत्री और बाकी को राज्य मंत्री का दर्जा दिया जाएगा। शर्मा के मंत्रीमंडल में अभी मुख्यमंत्री और दो उप मुख्यमंत्रियों दीया कुमारी एवं डॉ प्रेम चंद बैरवा सहित कुल तीन मंत्री है और नियमानुसार विधानसभा की कुल दौ सौ सीटों के पंद्रह प्रतिशत के हिसाब से तीस मंत्री ही बनाए जा सकते है लेकिन बताया जाता है कि भाजपा में उच्च स्तर पर हुए विचार विमर्श के अनुसार अभी मंत्री परिषद में आधे से कुछ अधिक संख्या में ही मंत्री बनाए जाएंगे और शेष स्थानों को लोकसभा आम चुनाव के बाद भरा जाएगा।
मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा पिछले गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद जयपुर लौटे थे। बताया जा रहा है कि पार्टी के इन शीर्ष नेताओं से हुई मुलाकातों में भजनलाल मंत्रिपरिषद में शामिल किए जाने वाले विधायकों के प्रस्तावित नामों पर फाइनल मुहर लग गई हैं।
विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार भजनलाल मंत्रिपरिषद में भी छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की तरह अनुभवी और युवा मंत्रियों का समिश्रण देखा जा सकेगा। पहली बार विधायक बने विधायकों को भी मंत्री बनाया जायेगा।मंत्रिपरिषद में जिन नामों को शामिल किए जाने का अनुमान है उसमें पार्टी के कद्दावर नेता डॉ किरोड़ी लाल मीणा का नाम सबसे ऊपर बताया जा रहा है। इसके अलावा वरिष्ठ विधायकों में कालीचरण सराफ,मदन दिलावर, जोगेश्वर गर्ग, अनिता भदेल,प्रताप सिंह सिंघवी,पुष्पेंद्र सिंह राणावत,गजेन्द्र सिंह खींवसर, श्रीचन्द कृपलानी, अजय सिंह क्लिक, ओटा राम देवासी,बहादुर सिंह कौली,के के चौधरी,सिद्धि कुमारी, भेराराम सियोल, डॉ जसवन्त यादव,बाबू सिंह राठौड़,दीप्ति माहेश्वरी,फूल सिंह मीणा, कैलाश चंद वर्मा, डॉ विश्व नाथ मेघवाल,हीरा लाल नागर,संजय शर्मा, शत्रुघ्न गौतम, सुमित गौदारा,जगत सिंह, कल्पना देवी आदि को भी शामिल किया जा सकता हैं। पहली बार चुनाव जीत कर आए विधायकों में सबसे चर्चित बाबा बालकनाथ के साथ ही महंत प्रतापपुरी के अलावा कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़,गोपाल शर्मा,जितेंद्र गोठवाल, डॉ शैलेश सिंह,जवाहर सिंह बेडम, जेठा लाल व्यास, झाबर सिंह खर्रा,डॉ मंजू माघवार,देवेन्द्र जोशी , सन्दीप शर्मा,नौक्षिम चौधरी,विश्वराज सिंह मेवाड़,ताराचंद जैन, हेमन्त मीणा आदि नाम चर्चाओं में हैं।
बताया जा रहा है कि शपथ ग्रहण समारोह राज भवन जयपुर में होंगा। जायज है इसके लिए राजभवन में सोमवार से आवश्यक तैयारियां शुरू हो जायेगी।
भाजपा आगामी कुछ महीनों के ही होने वाले लोकसभा चुनाव के इंडिया गठबंधन को करारा जवाब देने के लिए सोशल इंजीनियरिंग में जुट गई है। भाजपा ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान की नई सरकारों के गठन के लिए एक जैसे फार्मूले को लागू किया है और तीनों प्रदेशों में मुख्यमंत्री के नए चेहरे देने के साथ ही दो दो उप मुख्यमंत्रियों के साथ ही मंत्रिपरिषद के युवा और अनुभव का मिश्रण रख सटीक सोशल इंजीनियरिंग का प्रयोग किया जा रहा है। भाजपा अब प्रधान मंत्री की गारंटियों और बूथ मेनेजमेंट के द्वारा अपने पक्ष्मे पच्चास प्रतिशत से अधिक वोट डलवाने की आक्रामक नीति अपना कर विधान सभा चुनाव में मिली विजय की हैट्रिक को पी एम मोदी के नेतृत्व में लोकसभा में भी लगातार तीसरी विजय में बदलने की दिशा में अपने अश्वमेध रथ को आगे बढ़ाना चाह रही है।
देखना है उत्तर भारत के तीन हिंदी भाषी प्रदेशों में नव गठित सरकारें भाजपा और प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के भरोसे पर कितनी अधिक खरा उतरेंगी?