नृपेन्द्र अभिषेक नृप
कभी सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत के लिए यह साल उपलब्धि भरा रहा है। एक तरफ अंतरिक्ष में चंद्रयान -3 को दक्षिणी ध्रुव पर सफ़लता पूर्वक लंच किया और सूर्य मिशन यानी आदित्य एल 1 को भी सफलता पूर्वक लंच कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है तो वहीं इतिहास में पहली बार भारत ने जी 20 की बैठक को दिल्ली में सफलता पूर्वक आयोजित कर अपना लोहा मनवाया है। इस सबके साथ ही आर्थिक क्षेत्र में भी भारत ने कोरोना से पिछड़ी हुई अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने की ओर कदम बढ़ाया है। इस साल भारत ने आर्थिक मोर्चे पर कई उपलब्धियां हासिल की है। साल 2023 में देश की अर्थव्यवस्था एक नए मुकाम की ओर बढ़ रही है। भारत को विकासशील देश से विकसित देश बनाने की यात्रा शुरू हो गई है। वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद जीडीपी और महंगाई के मोर्चे पर साल 2023 में भारत का प्रदर्शन सराहनीय रहा है।
वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के विशाल परिदृश्य में, भारत अपनी तीव्र वृद्धि और नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के अटूट दृढ़ संकल्प के साथ खड़ा है। अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और 1.4 अरब से अधिक लोगों की आबादी के साथ, भारत एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरा है, जो लगातार वैश्विक मंच पर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहा है। 2023 एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है क्योंकि भारत की जीडीपी में बढ़ोतरी हुई है, जिससे वैश्विक आर्थिक दौड़ में अग्रणी के रूप में इसकी स्थिति मजबूत हुई है। विश्व बैंक के ताजा भारत विकास अपडेट (आईडीयू) के अनुसार, चुनौतीपूर्ण वैश्विक वातावरण के मुकाबले भारत लगातार लचीलापन दिखा रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर बैंक की अग्रणी छमाही रिपोर्ट, आईडीयू का मानना है कि महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, भारत वित्त वर्ष 2022-23 में 7.2 प्रतिशत की दर के साथ सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में एक है। भारत की विकास दर जी-20 देशों के बीच दूसरे स्थान पर है और उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में औसतन लगभग दोगुनी है। इस लचीलेपन की वजह मजबूत आर्थिक मांग, मजबूत सार्वजनिक बुनियादी ढांचा निवेश और मजबूत वित्तीय क्षेत्र हैं। बैंक ऋण विकास वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही के 13.3 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में बढ़कर 15.8 प्रतिशत हो गया है। विश्व बैंक के अनुसार ही केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.4 प्रतिशत से घटकर 5.9 प्रतिशत रहने के अनुमान के साथ विश्व बैंक को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय मजबूती जारी रहेगी। सार्वजनिक ऋण के जीडीपी के 83 प्रतिशत पर स्थिर रहने की उम्मीद है।
जी 20 से क्या मिला अर्थव्यवस्था को?
इसमें नई दिल्ली घोषण पत्र को सभी सदस्य देशों ने भारत की अध्यक्षता में मंजूरी प्रदान कर दी। साथ ही एक आर्थिक कॉरिडोर पर भी सहमति बनी। सभी महाद्वीपों में आर्थिक एकीकरण और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप इकोनॉमिक गलियारे के लॉन्च की भी घोषणा हुई है। इस पहल में संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, फ्रांस, इटली, जर्मनी और अमेरिका शामिल हैं। इसे चीन के बी आर आई के काउंटर में देखा जा रहा है। इसके लिए मोदी ने कहा कहा कि मज़बूत कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर मानव सभ्यता के विकास का मूल आधार हैं। आज जब हम कनेक्टिविटी का इतना बड़ा इनिशिएटिव ले रहे हैं, तब हम आने वाली पीढ़ियों के सपनों के विस्तार के बीज बो रहे हैं। साथ ही भारत में आयोजित जी 20 सम्मेलन के दौरान भारत से यूरोप तक नया स्पाइस कॉरिडोर या आर्थिक कनेक्टिविटी कॉरिडोर बनाने पर भी सहमति बनी जो एक तरह से चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट का तोड़ है।
कैसी रही जीडीपी की स्थिति:
ऐसा नहीं है कि भारत में आर्थिक रूप से चुनौती नहीं थी लेकिन इसके बाबजूद भी भारत ने साल 2023 में अपनी मजबूत वृद्धि दर बनाए रखने में सफल रहा है।जीडीपी पर रेटिंग एजेंसी एस एंड पी के आंकड़ों से सकारात्मक से भी संदेश मिला है। एसएंडपी ने वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाकर 6.4 प्रतिशत कर दिया है जो कि एक सकारात्मक संदेश है। वर्ष 2024 के लिए भारत के आर बी आई ने मौजूदा और अगले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। सरकार के मुताबिक मार्च 2023 को समाप्त वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत की अर्थव्यवस्था 7.2 फीसदी की दर से बढ़ी। भविष्य की बात करें तो विश्व बैंक का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत की जीडीपी विकास दर 6.3 प्रतिशत रहेगी। अपेक्षित नरमी मुख्य रूप से चुनौतीपूर्ण बाहरी स्थितियों और घटती मांग के कारण है। हालांकि, सेवा क्षेत्र की गतिविधियों के 7.4 प्रतिशत की विकास दर के साथ मजबूत बने रहने की उम्मीद है और निवेश वृद्धि भी 8.9 प्रतिशत पर मजबूत बने रहने का अनुमान है।
महंगाई के लिए कैसा रहा साल?
महंगाई एक ऐसा विषय है जिससे सीधे लोगों तक का संबंध रहता है। आकड़ों की बात करें तो महँगाई दर में कभी वृद्धि तो कभी कमी दिखती रही है। केंद्र सरकार और आरबीआई प्रतिबद्धता के साथ महंगाई दर को साल 2023 में अधिकतर समय पर आरबीआई के बैंड चार से छह प्रतिशत के बीच बनाए रखने में सफल रहा। मौसम की चुनौतियों के कारण खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण चिंता जरूर बढ़ी पर सरकार और आरबीआई के कदमों से इसे संतोषजनक दायरे में लाने में सफलता मिली। इन सबके बावजूद भी लोगों के लिए महंगाई बड़ा मुद्दा रही और लोगों ने सरकार की आलोचना करना जारी रखा।
आने वाला साल भारत के लिए चुनौतीपूर्ण रहने की भी आशंका है। महंगाई को लेकर हमारी चिंताएं बरकरार हैं। उच्च खाद्य कीमतें, विशेष रूप से दालों और अनाजों में दोहरे अंक की वृद्धि, जिनकी सीपीआई खाद्य टोकरी में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है, चिंताजनक हैं। इसके अलावा, तेल की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। खाद्य और ईंधन की कीमतों से मुद्रास्फीति ऊंची रहने की संभावना है।
बेरोजगारी में कहाँ रहा भारत?
भारत में प्रतियोगी छात्रों में बेरोजगारी का मुद्दा काफी हॉट मुद्दा बना रहा है। वैसे तो सरकारी नौकरी में वैकेंसी के लिए इस साल भी प्रतियोगी परीक्षाओं में भीड़ रही है लेकिन इन सब के बावजूद सरकार आंकड़ों में बेरोजगारी दर कम करने में सरकार सफल रही। एनएसएसओ की ताजा आवधिक श्रम बल रिपोर्ट देश में 15 साल से अधिक उम्र के नागरिकों में बेरोजगारी दर 3.2 प्रतिशत दर्ज की गई यह छह साल में सबसे कम है। पिछले साल बेरोजगारी दर 4.1 प्रतिशत थी। वहीं 2020-21 में यह दर 4.2 प्रतिशत, 2019-20 में 4.8 प्रतिशत और 2018-19 में 5.8 और 2017-18 में 6 प्रतिशत थी। रिपोर्ट ने यह भी बताया कि गांवों में बेरोजगारी कम है। यहां 2017-18 में 5.3 प्रतिशत बेरोजगारी थी, 2022-23 में यह महज 2.4 प्रतिशत रह गई। शहरों में इसी दौरान बेरोजगारी दर 7.7 प्रतिशत से घट कर 5.4 प्रतिशत पर आई।
विदेशी मुद्रा भंडार में भी रही वृद्धि
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी वृद्धि दर्ज की गई। 15 दिसम्बर तक आरबीआई के ताजा आंकड़ों के अनुसार कुल विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 615.971 अरब डालर हो गया है। यह विदेशी मुद्रा भंडार का 20 महीने का उच्च स्तर है। इसके साथ ही स्वर्ण भंडार 44.6 करोड़ डालर बढ़कर 47.577 अरब डालर पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा बाजार में आरबीआइ के हस्तक्षेप और मूल्यांकन में बदलाव से विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावित हुआ है।
सीबीडीसी का सफल रहा प्रयोग ?
इसी साल भारत में पहली डिजिटल करेंसी यानी सीबीडीसी आरबीआई की ओर से लॉन्च की गई है। देश के चुनिंदा शहरों कें सीबीडीसी की लॉन्चिंग के बाद इसके प्रति लोगों में उत्साह दिखा। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपये के सीमापार लेन-देन के उपयोग से लागत में दो से तीन फीसदी की बचत होती है। केंद्रीय बैंक ने डिजिटल रुपये के दो वर्जन – सीबीडीसी-थोक और सीबीडीसी-रिटेल जारी करने का प्रस्ताव दिया है। सीबीडीसी-थोक को चुनिंदा वित्तीय संस्थानों तक सीमित पहुंच के लिए डिज़ाइन किया गया है, जबकि सीबीडीसी-रिटेल का उपयोग निजी क्षेत्र, गैर-वित्तीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों सहित सभी द्वारा किया जा सकता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था का कैसा रहेगा आने वाला साल?
आईएमएफ के अनुमान के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था 2027 तक जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी, क्योंकि इसकी जीडीपी 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर जाएगी। 2047 तक भारत एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा रखता है। हमारे अनुमान के अनुसार, भारत को 2027 में अपने पहले मील के पत्थर तक पहुंचने के लिए कम से कम 6.5% की वृद्धि की आवश्यकता होगी और 2047 में दूसरे तक पहुंचने के लिए लगभग 8% -9% की वृद्धि की आवश्यकता होगी। अर्थव्यवस्था में उछाल यह विश्वास पैदा करता है कि देश, कम से कम अल्पावधि में, संभवतः ये संख्याएँ प्राप्त हो जाएँगी। लंबे समय में निरंतर, तेज़ विकास पथ के लिए पहले कुछ वर्षों की गति महत्वपूर्ण होगी।
अर्थव्यवस्था में भारत के लिए यह साल सकारात्मकता ले कर आया है क्योंकि कोरोना के बाद से जो लगातार दुनिया की अर्थव्यवस्था निचले पायदान पर चली गई थी, उसमें भारत भी शामिल था। लेकिन विश्व बैंक के अनुसार अन्य देशों के अपेक्षा भारत में तीव्र गति से अपने अर्थव्यवस्था को रिकवर किया है। पूरी संभावना है कि आने वाला साल भारत के अर्थव्यवस्था के लिए और भी बेहतर साबित होगा।