प्रो. नीलम महाजन सिंह
सभी पाठकों, पत्रकारों, सह कर्मियों को, तहे दिल से नववर्ष: 2024 की शुभकामनाएं! हैप्पी न्यू यिईर! मेरा आप सब के परिवार को स्नेह व आशीर्वाद। भारत एक लोकतांत्रिक व्यवस्था है। वर्ष 2023 का आंकलन करना भी आवश्यक है। केंद्र में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों या कुछ कार्य पूरे ना करने का अध्ययन ज़रूरी है। ‘सोशल कॉन्ट्रैक्ट’ के भागीदार के रूप में, नागरिक, सरकारों को ऐसी सेवाएं प्रदान करने का काम सौंपते हैं, जो वे व्यक्तिगत रूप से नहीं कर सकते। हालांकि, सरकारी जवाबदेही इस कॉन्ट्रैक्ट में, स्वाभाविक रूप से ‘गारंटी’ के अधीन है। ऐसे जटिल परिदृश्य में प्रभावशाली राजनैतिक नेतृत्व महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मज़बूत व प्रभावी नेतृत्व का उदाहरण माना जाता है, जो अपने वादों को पूरा करने का प्रयास करते हैं। सभी पूर्व प्रधान मंत्रियों के योगदान को स्वीकारना चाहिए। हाल ही के विधानसभा चुनावों में, पीएम नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के विशिष्ट इतिहास को याद किया। उन्होंने कहा, “राज्य का अतीत ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है, जहां लोगों ने अपने वचन पर कायम रहने के लिए अपने जीवन तक का बलिदान दिया है”। नरेंद्र मोदी ने ‘मोदी यानी हर गारंटी, पूरे होने’ का नारा दिया! ‘मोदी की गारंटी’ आम जन की आकांक्षाओं के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बन रही है। इसका प्रमाण, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में
भारतीय जनता पार्टी की शानदार जीत है। दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रचलित, ‘आख़िरी पायदान पर खड़े व्यक्ति की सेवा करने के दृढ़-संकल्प’, को मोदी सरकार के कार्यों को दर्शाया गया है। इसरो द्वारा चंद्रयान की सफ़लता व जी-20 का सफल आयोजन, भी 2023 की विशेष उपलब्धियां हैं। इस पर राजनीतिक विवाद नहीं करना चाहिए। फिर आयोधया में राम मंदिर निर्माण व 22 जनवरी 2024 को उद्घाटित करने का श्रेय भी नरेंद्र मोदी सरकार को है। ‘मोदी की गारंटियों’ का विस्तार सबसे बुनियादी ज़रूरतों तक फैलना चाहिए। भारत की ब्रिटेन के साम्राज्यवाद से आज़ादी के लगातार 65 सालाना जश्नों के बावजूद, देश में ज़्यादातर लोग अभी भी जीवन यापन के लिए बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। राष्ट्र के निर्माण का कार्य, हर सरकार का प्रयास होता है। प्रशांत किशोर ने नरेंद्र मोदी के प्राचार अभियान में, ‘हर हर मोदी, घर घर मोदी’, ‘चाय पे चर्चा’ आदि जैसे नारों से, आम जनमानस को प्रभावित किया। आम जन बुनयादी चिंताओं से दूर, सपने देखने का साहस करने लगा। कुछ उपलब्धियां तो प्रमाणित हैं, जैसे कि भारत का वह बदलाव, जो 60 के दशक में खाद्यान्न का शुद्ध आयातक होने से, आज दुनिया के सबसे बड़े अनाज निर्यातकों में से एक बन गया है। हाल के वर्षों में, खाद्यान्न की पहुंच में सुधार व वंचित लोगों के लिए ‘खाद्य सुरक्षा कवच’ के विस्तार में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। हालाँकि यूपीए सरकार के समय में ‘नैशनल फूड सिक्युरिटी बिल’, सर्व समिति से पारित हुआ था। मध्य प्रदेश के रतलाम की रैली में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “कोविड के दौरान, गरीबों की सबसे बड़ी चिंता यह थी कि वे अपने बच्चों को क्या खिलाएंगे? तब मैंने फैसला किया कि मैं किसी भी गरीब को भूखा नहीं सोने दूँगा, इसलिए भाजपा सरकार ने ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ शुरू की”। इस योजना के तहत 80 करोड़ भारतीयों को राशन मिल रहा है। देश के अन्नदाताओं, किसानों को ‘पीएम-किसान योजना’ के माध्यम से अहम समर्थन दिया गया है, जो 11 करोड़ से अधिक किसानों को लाभान्वित कर रहा है। अध्ययनों के अनुसार, वर्तमान सरकार के तहत 13.5 करोड़ लोग ‘गरीबी से बाहर’ निकले हैं। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है; परंतु राह अभी बहुत लंबी है! एक ओर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का ‘गरीबी हटाओ’, ‘रोटी, कपड़ा व मकान’ जैसे नारे अभी पूर्ण रूप से सिद्ध नहीं हुए हैं। वंचितों के लिए पीएम मोदी की चिंता, उनके वर्षों के सार्वजनिक जीवन-अनुभव व देश व्यापक यात्राओं से उपजी है। परिणामस्वरूप, पीएम नरेंद्र मोदी के अनुसार, उनकी सरकार ने गरीबों को सेवाओं की ‘घर-घर डिलीवरी’ को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में, सेवाभाव के साथ शुरू किया है। हाल ही में शुरू की गई ‘विकसित भारत – संकल्प यात्रा’ इसकी सूचक है। यह यात्रा ग्रामीण भारत की जटिल वास्तविकताओं से गुज़रेगी, इसलिए इस यात्रा का उद्देश्य ‘आख़िरी छोर’ तक पहुंचना है व लोगों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करना है, जिनसे वे लाभान्वित हो सकते हैं। 25 जनवरी 2024 तक 2.55 लाख ग्राम पंचायतों व 3,600 शहरी स्थानीय निकायों को कवर करने की योजना के तहत यह पहल, देश के गरीबों, माताओं व बहनों, किसानों तथा देश के युवाओं के लिए ‘मोदी की गारंटी’ है। जम्मू-कश्मीर-लद्दाख राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बना कर, धारा 370 व 35-A को हटा कर, सर्वोच्च न्यायालय के संविधानिक बेंच के, जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजय खन्ना, जस्टिस बीआर गावई व जस्टिस सूर्यकान्त ने, सर्व सम्मति से नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले को सही करार देते हुए, सभी याचिकाओं को रद्द कर दिया है। यह मोदी सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धी है। फ़िर आरएसएस व भाजपा कार्यकर्ता इसे ‘मोदी की गारंटी’ के नारे में परिवर्तित कर चुके हैं। विजय यात्रा के आरंभ में बोलते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने ‘पीएम आवास योजना’ के तहत 4 करोड़ से अधिक घरों को मंज़ूरी दी है व यह सभी के लिए आवास की दिशा में ‘अनूठी गारंटी’ है। आसान लक्ष्यों को चुनने के बजाय, लंबे समय से अटके मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना व ‘वेलफेयर सरकार’ को वास्तविक प्रयास करने चाहिए। जो गांव पहले गुमनामी में जीने को अभिशप्त थे, उनका शत-प्रतिशत विद्युतीकरण इस सोच का उदाहरण है। पानी; भारत में करोड़ों परिवारों के लिए काल्पनिक था। आज़ादी के कई सालों बाद भी बीमारी व स्वास्थ्यगत मुश्किलों के दौरान पानी ढोने में महिलाएं आगे हैं। महिलाओं को भारत के विकास में समान भागीदार बनने के लिए सरकारों को प्रोत्साहन पैकेज देना। मोदी सरकार का जल-जीवन मिशन इसका प्रमाण है। पी.एम. ने कहा, “आज 13 करोड़ से अधिक नल-जल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं, जिससे कवरेज एक दशक पहले के केवल 17% से 70% परिवारों तक पहुंच गई है”। स्वच्छता संकट का खामियाजा भुगतने में भी महिलाएं अग्रिम रहीं हैं। 2014 से पहले, गांवों में स्वच्छता कवरेज केवल 40% था, जबकि ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के रूप में सरकार के जीवंत प्रोत्साहन के बाद, देश 100% खुले में शौच मुक्त है। ‘उज्ज्वला योजना’ के तहत 10 करोड़ एलपीजी कनेक्शन स्वीकृत होने के साथ; धुआं रहित रसोई की ‘सरकार की गारंटी सैचुरेशन’ के करीब है। भारत के लगभग 100% गांवों में एलपीजी कनेक्शन हैं। सत्ता में आने के बाद से ‘हेल्थकेयर’ की रूपरेखा को फिर से परिभाषित करने को दृढ़ संकल्पित किया गया है। ‘आयुष्मान भारत’, ‘पीएम जन आरोग्य योजना’ हर साल 55 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को 5 लाख रुपये तक मुफ़्त स्वास्थ्य सेवाओं की गारंटी दे चुका है। इस योजना के तहत लगभग 27.38 करोड़ आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं। ‘आउट-ऑफ-पॉकेट’ खर्च को कम करने की कड़ी में, ‘जन औषधि केंद्र’, न्यूनतम 75% की छूट पर सस्ती, गुणवत्तापूर्ण दवाएं प्रदान कर रही हैं, जिससे 23,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है। ‘चाइल्ड इम्यूनाइज़ेशन’ ने 6 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में लगभग 100% व 17 राज्यों में 90% तक अपनी पहुंच बढ़ा दी है। ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’, ‘बालिका शिशु की देखभाल’; हमारा मंत्र होना चाहिए। ‘बेटा बेटी एक समान’ की सोच जागृत करनी चाहिए। कन्या के जन्म का उत्सव मनायें जाने का आग्रह किया गया है। हमें अपनी बेटियों पर बेटों की तरह ही गर्व होना चाहिए। ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ की शुरूआत, प्रधान मंत्री ने पानीपत, हरियाणा में की थी। ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना से पूरे जीवन-काल में शिशु लिंग अनुपात में कमी को रोकने में मदद मिली है। जन धन, आधार व मोबाइल (JAM) की सोच, आगामी वर्षों के लिए बुनियादी काम करेगा। इसी दिशा मे, ‘महिला आरक्षण बिल’ को सभी दलों का समर्थन मिला (ऐआईएमआईएम के अतिरिक्त)। ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के तहत, विकास आपूर्ति-उन्मुख रहा है। भारतीय उद्यमियों के हौसले बुलंद करने की आवश्यकता है। इसे पोषित-पल्लवित करने की ज़रूरत है, ताकि हम नौकरी चाहने वाले देश से आगे बढ़कर नौकरी देने वाला देश बनें। नरेंद्र मोदी की एनडीए सरकार उद्यमशीलता को बढ़ावा देने पर फोकस कर रही है। ‘मेक इन इंडिया’ पहल भारत में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने पर आधारित है; ना ही सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग उत्पादन, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी। ‘मेक इन इंडिया’ उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस ’आदि महत्वपूर्ण हैं। उत्तर प्रदेश में गंगा तट पर स्थित वाराणसी से सांसद निर्वाचित होने के बाद पीएम मोदी ने कहा था, “मां गंगा की सेवा करना मेरे भाग्य में है”। गंगा नदी का न सिर्फ़ सांस्कृतिक व आध्यात्मिक महत्व है बल्कि देश की 40% आबादी गंगा नदी पर निर्भर है। भारत ने 18,000 गांवों में बिजली पहुंचाने का महत्वाकांक्षी मिशन तय किया है। एक मोबाइल ऐप और एक वेब डैशबोर्ड के जरिए विद्युतीकरण किए जा रहे गांवों के आंकड़े जनता के लिए उपलब्ध हैं। पस्त पड़ चुकी विकास दर, भारी महंगाई व उत्पादन में कमी के दौर से उबरते हुए एनडीए सरकार ने मैक्रो-इकनॉमिक फंडामेंटल्स को मज़बूत किया है। ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’; सिंचाई की सुविधाएं सुनिश्चित कर उपज को बढ़ाएगी। इस योजना के अनुसार, यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक खेत को किसी ना किसी तरह के सुरक्षात्मक सिंचाई के साधन उपलब्ध हों। देश हित में पारदर्शित व भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन पिछले दशक में देखे गये हैं। एनडीए सरकार ने शिक्षा व कौशल विकास को बढ़ावा, शिक्षा की गुणवत्ता व उसकी पहुंच बढ़ाने के लिए ठोस उपाये किए हैं । ‘प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी कार्यक्रम’ के माध्यम से सभी शिक्षा ऋणों व छात्रवृत्तियों के प्रशासन की निगरानी, पूर्ण रूप से आईटी आधारित ‘वित्तीय सहायता प्राधिकरण’ की स्थापना भी की गई है। सारांशार्थ यह कहना कठिन है कि, दुनिया के अत्याधिक आबादी वाले देश, भारत को प्रबल, समर्पित, गतिशील देश का निर्माणकार्य आसान नहीं है। फ़िर भी सभी राजनैतिक दलों को वैचारिक मतभेद दूर रख कर, भारतीयों के जीवन में आशा की किरण को प्रज्वलित करना चाहिए। नव वर्ष की पुन: शुभकामनाएं!
(वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, दूरदर्शन व्यक्तित्व, सॉलिसिटर फॉर ह्यूमन राइट्स संरक्षण व परोपकारक)