सीता राम शर्मा ” चेतन “
नववर्ष मंगलमय हो ! 2024 का नववर्ष मनुष्यता के उत्सव का हो, उल्लास का हो, हर्ष का हो, विकास का हो, दानवता से दूरी और मानवता में पूर्ण विश्वास का हो, यही आत्मीय इच्छा-आकांक्षा है और हार्दिक शुभकामनाएं भी ! भारत के लिए तो यह वैश्विक नववर्ष इक्कीसवीं सदी के विशेष उत्सव, उल्लास और हर्ष का होते हुए रामवर्ष के उत्कर्ष के रूप में मनाया जाएगा, मनाया जाना चाहिए भी, इसमें किसी को कोई संदेह ना होगा और ना ही होना चाहिए । वैश्विक दृष्टिकोण से भी नववर्ष 2024 कई मायने में इस सदी का विशेष वर्ष सिद्ध होगा, इसकी प्रबल संभावनाएं हैं ।
समय, अतीत, वर्तमान और भविष्य की स्थिति-परिस्थिति और उसके कालखंड का संपूर्ण सत्य यही है कि अतीत अपरिवर्तनीय होता है जबकि वर्तमान, अतीत और वर्तमान की सूझबूझ तथा गतिविधियों से सर्वाधिक प्रभावित संचालित और क्रियान्वित होता है तो भविष्य भी अतीत और वर्तमान की सूझबूझ और गतिविधियों से ही गढ़ा और संवारा जाता है ! बात वर्ष 2024 को लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अतीत, वर्तमान और भविष्य की करें तो यह लगभग स्पष्ट दिखाई देता है कि संभवतः यह वर्ष इस सदी का सर्वाधिक महत्वपूर्ण वर्ष सिद्ध होगा ! भारत के लिए वर्ष 2024 दो विशेष कारणों से बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण दिखाई देता है । एक – यह वर्ष भारत की मूल शक्ति, आध्यात्मिक उर्जा के पुनर्जागरण का होगा और दो – भारत में इसी वर्ष इस सदी का सर्वाधिक महत्व वाला लोकसभा चुनाव संपन्न होगा । आध्यात्मिक पुनर्जागरण का आशय इस वर्ष भारतीयों के परम आराध्य भगवान श्रीराम के मंदिर के पुनर्निर्माण के भव्य राष्ट्रीय उत्सव मनाए जाने के साथ भारत के कुछ अन्य सर्वाधिक विवादित धर्म स्थलों को लेकर भी आने वाले सामूहिक, अदालती, सही, न्यायसंगत और सकारात्मक फैसलों से है ! बेहतर होगा कि ये फैसले भारतीयों द्वारा सामूहिक रूप से मिल बैठकर ले लिए जाएं । दूसरी तरफ भारतीय आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण का लाभ भारतीय राजनीतिक और धार्मिक नेतृत्व के द्वारा वैश्विक भलाई के लिए भी होगा, इसकी भी प्रबल संभावनाएं हैं ! रही बात भारत के लिए वर्ष 2024 के दूसरे महत्व के रूप में इस वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव की, तो इस बात में रत्तीभर भी संदेह नहीं है कि यह चुनाव भारत के वर्तमान और भविष्य को लेकर इस सदी का सर्वाधिक महत्वपूर्ण, प्रभावशाली और परिणामदायी चुनाव सिद्ध होगा, जो भारत की राजनीतिक दशा और दिशा बदलने के साथ संपूर्ण राष्ट्र और बहुत हद तक विश्व की भी दशा और दिशा को बदल देगा ! आशा है भारतीय जनमानस इस चुनाव में अपने तमाम व्यक्तिगत स्वार्थों से उपर उठकर, पूर्ण रूपेण सजग और विवेकशील होकर अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए देश में भ्रष्टाचार, जातिवाद, परिवारवाद और पापी तुष्टीकरण की रीति-नीति से मुक्त एक ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, पारदर्शी, शक्तिशाली और राष्ट्रहित वाली सरकार पुनः बनाएंगे ! यहां इस अत्यंत महत्वपूर्ण बात का उल्लेख करना एक बार फिर अत्यंत आवश्यक है कि भारत में इस वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में सारी राष्ट्रीय षड्यंत्रकारी शक्तियों से ज्यादा अतंरराष्ट्रीय षड्यंत्रकारी शक्तियां अपना जोर लगाएंगी, जिसे हर भारतीय को जानना समझना आवश्यक है । भारत का बढ़ता वैश्विक रुतबा भारतीय मित्र दिखते वैश्विक शक्तिशाली देशों की भी आंखों में खटक रहा है और वे जानते हैं कि यदि भारत में यही शक्तिशाली नेतृत्व बना रहा तो वह उनके वैश्विक प्रभुत्व, विशेषकर उनकी स्वार्थी और षड्यंत्रकारी नीतियों और कार्यों के लिए बाधक सिद्ध होगा । हालांकि इन शक्तिशाली देशों में कुछ देश ऐसे भी हैं जो आपसी प्रतिस्पर्धा, शत्रुता और शक्ति संतुलन के लिए ही सही भारत और वर्तमान भारतीय सत्ता नेतृत्व के साथ हैं ।
अब बात वर्ष 2024 में संभावित वैश्विक घटनाक्रमों की, तो इस संदर्भ में भी दो बातों पर गौर करना आवश्यक होगा । एक – अतीत से चले आ रहे अन्तरराष्ट्रीय विवादों और प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष युद्धों की और दूसरी – इसी वर्ष दुनियाभर के कुछ दूसरे महत्वपूर्ण देशों में भी होने वाले चुनावों की । अतीत से चले आ रहे युद्धों में वैश्विक मानवता के लिए संकट बने रुस-यक्रेन युद्ध की बात करें या फिर इजराइल-फिलिस्तीन ( हमास ) युद्ध की, दोनों ही युद्ध वास्तव में द्विपक्षीय युद्ध ना होकर बहुपक्षीय युद्ध हैं । अर्थात कहा जा सकता है कि प्रत्यक्ष दिखाई देते इन द्विपक्षीय युद्धों में अप्रत्यक्ष रूप से कई स्वार्थी, षड्यंत्रकारी देशों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है, जिसे समय रहते यथाशीघ्र वैश्विक समुदाय को जानने समझने की जरूरत है । वैश्विक मानवता की भलाई के लिए जारी इन दोनों युद्धों की समाप्ति हेतु समय रहते वैश्विक समुदाय को भी आगे आने की जरूरत है अन्यथा इस बात में कतई संदेह नहीं कि इन छोटे दिखाई देते युद्धों का दायरा कभी भी एक बड़ी और भयावह मानवीय अंतरराष्ट्रीय तबाही में तब्दील हो सकता है । इस परिप्रेक्ष्य में वर्तमान समय का सबसे बड़ा वैश्विक दुर्भाग्य और संकट यह भी है कि वैश्विक शांति का एक मात्र सर्वोच्च जिम्मेवार वैश्विक संस्थान संयुक्त राष्ट्र अपने दायित्व में पूरी तरह असफल सिद्ध होने के बावजूद भी खुद को परिष्कृत और सक्षम बनाने के कोई विशेष प्रयास करता नहीं दिखता ! आशा की जानी चाहिए कि 2024 में वैश्विक जनमानस और उसके नेतृत्व सामूहिक रूप से इस प्रमुख वैश्विक संस्थान में भी कुछ नितांत आवश्यक सुधार लाएंगे या फिर इस वैश्विक संस्थान को ही पूरी तरह नकारा और महत्वहीन मानकर किसी दूसरे नये प्रभावशाली और सक्षम वैश्विक संगठन के निर्माण की ओर आगे बढ़ेंगे ! मुझे व्यक्तिगत रूप से ऐसा लगता है कि आने वाले समय में भारतीय नेतृत्व को इस बात पर वैश्विक विमर्श की शुरुआत करने का प्रयास करना चाहिए । इसका परिणाम संयुक्त राष्ट्र में त्वरित सुधार के रूप में सामने आए या फिर भविष्य के एक नये संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन के निर्माण में, प्रभावी और सार्थक परिणाम आएगा अवश्य !
अब बात अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण से वर्ष 2024 के दूसरे महत्व की, जो इस वर्ष विश्व के कुछ महत्वपूर्ण देशों में होने वाले चुनावों को लेकर है । गौरतलब है कि भारत के साथ 2024 का वर्ष अंतरराष्ट्रीय चुनावों का भी महत्वपूर्ण वर्ष सिद्ध होगा । 2024 में दुनिया की लगभग आधी आबादी वाले देशों में चुनाव होंगे । जिनमें भारत के साथ अमेरिका, रुस, ब्रिटेन, बंग्लादेश, ताइवान, मैक्सिको, ईरान, इंडोनेशिया, वेनेजुएला, दक्षिण अफ्रीका के साथ ऑस्ट्रिया, बेल्जियम जैसे कई युरोपीय देशों में भी चुनाव संपन्न होंगे । अर्थात लगभग आधी दुनिया में चुनाव होंगे और जिसका व्यापक प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ेगा क्योंकि चुनाव होने वाले कुछ देशों का प्रभाव अकाट्य रुप से पूरी दुनिया पर है, यह सत्य पूरी दुनिया जानती है ।
अंत में अंतिम बात यह कि 2024 का वर्ष निःसंदेह भारत और वैश्विक भविष्य को सर्वाधिक प्रभावित करने वाला इस सदी का महत्वपूर्ण वर्ष सिद्ध होगा, पर एक भारतीय होने के नाते हर एक भारतीय नागरिक को इस पूरे वर्ष में ना सिर्फ खुद को एक सजग, संवेदनशील, जागरूक, जिम्मेवार और दूरदर्शी भारतीय होने के दायित्वबोध और कर्तव्यबोध से परिपूर्ण रखना होगा बल्कि इस पूरे वर्ष में खुद को, अपने समाज को और सच कहें तो संपूर्ण राष्ट्र को राममय बनाकर संपूर्ण विश्व की भलाई का प्रार्थी और सारथी बनने का हर संभव प्रयास करना होगा । ऐसा हो इसी शुभकामना के साथ पुनः सभी सुधी पाठकों और बंधु-बांधवों को नववर्ष की हार्दिक बधाई और अशेष शुभकामनाएं !