सीता राम शर्मा ” चेतन “
वर्ष 2024 को श्रीराम वर्ष कहा जाना चाहिए और तेजी से बदलते, विकास पथ पर आगे बढ़ते भारत को इसी वर्ष खुद में जो एक बड़ा बदलाव करना चाहिए, वह है अपने राष्ट्रीय अभिवादन शब्द या नारे में ! मेरी दूसरी बात स्वाभाविक रूप से जिज्ञासा का विषय हो सकती है क्योंकि पहली बात, 2024 को तो यूं भी अघोषित रुप से पूरे भारत ने श्रीराम वर्ष के रुप में मनाने का मन बना लिया है !
जैसे वाराणसी में काशी विश्वनाथ काॅरीडोर बनने के बाद कई बार बनारस गए करोड़ों भारतीय लोग भी फिर से वाराणसी गए और जाने को उत्सुक हैं ठीक वैसे ही इस वर्ष के प्रारंभिक महीने जनवरी की ऐतिहासिक 22 तारीख को अयोध्या में बने अपने आराध्य भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर में उनकी प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद भारत के कोने-कोने से लोग अयोध्या में बने चिर-प्रतीक्षित भव्य श्रीराम मंदिर में विराजे अपने परम आराध्य भगवान श्रीराम के दर्शन करने जाएंगे । बहुत संभव है कि किसी एक वर्ष में एक धार्मिक या पर्यटन स्थल जाने वाले सर्वाधिक लोगों का रिकार्ड इस वर्ष अयोध्या नगरी के नाम हो जाए । इसलिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के साथ भारत सरकार को भी भारत अर्थात हर भारतीय के मन और उसकी आस्था का पूरा ध्यान और सम्मान रखते हुए इस दिशा में एक नहीं हर संभव कई कदम उठाने चाहिए । यूं तो मैं किसी भी तरह की सरकारी मुफ्तखोरी की नीति के सख्त खिलाफ हूं पर इस संदर्भ में मेरे इस एक सुझाव को अपवाद मानते हुए सरकार को मेरे इस सुझाव पर ध्यान देना चाहिए और वह सुझाव यह है कि यदि संभव हो तो 22 जनवरी के बाद पूरे वर्ष 2024 के लिए भारत के हर राज्य की राजधानी से अयोध्या में अपने आराध्य के दर्शन हेतु जाने वाले दर्शनार्थियों के लिए प्रतिदिन या फिर कम से कम सप्ताह में एक दिन एक विशेष ट्रेन के परिचालन की सुगम व्यवस्था करनी चाहिए, संभव हो तो यह सेवा मुफ्त या फिर कम किराये पर उपलब्ध हो ।
अब बात मेरे दूसरे विचार के संदर्भ में, वह यह है कि विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत और स्वाभिमानी, जागरूक और कर्तव्यनिष्ठ भारतीयों के भारत के निर्माण के लिए सरकार को एक अभिनव, सार्थक और दूरदर्शी पहल करनी चाहिए, जिसका मुख्य आधार और लक्ष्य हर भारतीय में राष्ट्रप्रेम और भारतीयता का राष्ट्रबोध, निष्ठा और कर्तव्यबोध उत्पन्न करना, उसका विकास करना और बनाए रखना होगा । जिस पहल का लाभ भारत के हर बाल, युवा और वृद्ध मन-मस्तिष्क को हर दिन हर पल राष्ट्रप्रेम का प्रेरणास्रोत बनकर अनवरत मिलता रहेगा । वह अत्यंत प्रभावी प्रेरणास्रोत वाली पहल होगी – एक नया राष्ट्रीय अभिवादन शब्द !
स्पष्ट कर दूं कि यहां राष्ट्रीय अभिवादन शब्द का अर्थ सिर्फ सरकारी व्यवस्था या कर्मियों के अभिवादन से नहीं, सार्वजनिक आम भारतीयों की दिनचर्या के अभिवादन शब्द से है ! जो फिलहाल सरकारी, प्रशासनिक, अधिकारियों, कर्मचारियों में जय हिंद के अभिवादन शब्द के रुप में प्रचलित है तो आम भारतीयों में नमस्ते, नमस्कार, प्रणाम, राम-राम, राधे-राधे, गुड मॉर्निंग, गुड आफ्टरनून, गुड इविनिंग जैसे कई अभिवादन शब्दों में । मुझे लगता है भारत के एक सौ चालीस करोड़ से ज्यादा भारतीय नागरिक यदि अपने संयुक्त, संगठित और एकीकृत भारतीय होने के बोध के साथ ” जय माँ भारती ” जैसे राष्ट्रीय वंदनीय शब्द को अपना सार्वजनिक राष्ट्रीय अभिवादन शब्द बनाएं तो यह भारत के मानसिक धरातल पर एक क्रांतिकारी और परिणामदायी पहल होगी !
बहुत संभव है कि वर्तमान राष्ट्रीय परिस्थितियों में ऐसे विचार और ऐसी पहल का भी देश में कुछ लोग विरोध करें या उपहास उड़ाएं पर बहुत गंभीरतापूर्वक विचार किया जाए तो एक राष्ट्र और राष्ट्रीय एकता, एकरुपता और एकजुटता के लिए इसके परिणाम चमत्कारिक और सफलतादायी सिद्ध होंगे ! यहां यह तर्क दिया जा सकता है कि सरकार ऐसी पहल सिर्फ सरकारी संस्थानों में ही कर सकती है, जो सही भी है, पर हमें यह ज्ञात होना चाहिए कि सरकार और सरकार से जुड़े लोगों के काम और अच्छी बातों का जनता में भी व्यापक प्रभाव पड़ता है । पिछले कुछ वर्षों में ही सरकारी स्तर पर चलाए गए स्वच्छता अभियान का परिणाम पूरे देश ने बखूबी महसूस किया है ! सरकार इस दिशा में भी ऐसा करे तो निश्चित तौर पर बेहतर होगा । ऐसा हो, एक सजग और चिंतनशील भारतीय होने के नाते ऐसे मेरे विचार हैं और प्रयास भी ! यह कैसे और कितना संभव है, यह तो फिलहाल भविष्य के गर्भ में है ! भारत और हर भारतीय की मानसिक स्थिति में राष्ट्रप्रेम, राष्ट्रबोध और राष्ट्रीय एकता के बीज उगें और विशाल वृक्ष का रुप धारण करें, यही मेरी आत्मीय इच्छा है और आकांक्षा भी ! शुभेच्छु !