गोपेन्द्र नाथ भट्ट
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात की राजधानी गांधीनगर के महात्मा मंदिर सभागार में बुधवार को भव्य वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट का उद्घाटन किया। वाइब्रेंट गुजरात के आयोजन का यह लगातार दसवां वर्ष है। दुनिया भर में रहने वाले गुजराती प्रवासियों के लिए यह आयोजन मोदी ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में वर्ष 2003 में शुरू किया था और आज यह और अधिक भव्य स्वरूप ले चुका है।
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपैयी के कार्यकाल में 9 से 11जनवरी 2003 तक नई दिल्ली में पहला प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की परम्परा शुरू की गई थी। दरअसल 9 जनवरी की तिथि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की दक्षिणी अफ्रीका से स्वदेश भारत लौटने की तारीख है। भारत लौट कर उन्होंने सैकड़ों वर्षों की अंग्रेजी हकुमत से भारत को आजाद कराने के लिए स्वतन्त्रता आन्दोलन का नेतृत्व किया था। भारत में प्रवासी भारतीय दिवस वर्ष 2005 तक प्रति वर्ष 9 से 11 जनवरी और वर्ष 2006 से प्रति वर्ष 7 से 9 जनवरी तक मनाया जाने लगा। राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में बकायदा इसका अलग से एक सचिवालय बना हुआ है और कालांतर में एक पृथक प्रवासी भारतीय भवन भी बनाया गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में देश का फली बार प्रधान मंत्री बनने के बाद 2015 में यह संशोधन किया कि देश में अब प्रवासी भारतीय दिवस हर वर्ष के स्थान पर हर दूसरे वर्ष मनाया जायेगा और इसका आयोजन राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के बाहर भी बारी बारी से देश के अलग अलग प्रदेशों में आयोजित होंगा। इस संशोधन के बाद सबसे पहले 2015 में प्रधानमंत्री मोदी के गृह प्रदेश गुजरात के गांधी नगर से इसकी शुरुआत की गई । पिछले वर्ष प्रवासी भारतीय दिवस मध्य प्रदेश के खूबसूरत शहर इंदौर में आयोजित हुआ था। प्रवासी भारतीय दिवस के प्रति विभिन्न देशों में रहने वाले भारतीयों में जबर्दस्त क्रेज है और इससे उन्हें दोहरी नागरिकता सहित अन्य कई लाभ भी मिलने शुरू हुए है। साथ ही उन्होंने अपने पैतृक देश भारत में करोड़ों खरबों रु के निवेश करने में भी गहरी रुचि दिखाई है।
भारत में प्रवासी भारतीय दिवस के अब तक 17 आयोजन हो चुके है जिनमें सर्व प्रथम 2003 से 2005 में 9 से 11 जनवरी तक राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में, 2006 में 7 से 9 जनवरी तक देश की वाणिज्यिक राधानी महाराष्ट्र के मुंबई में , 2007 में आंधप्रदेश के हैदराबाद में ,2008 में नई दिल्ली में,2009 में तमिलनाडु के चेन्नई में, 2010 एवं 2011में नई दिल्ली, 2012 में राजस्थान की राजधानी जयपुर में, 2013 में कैरल के कोच्चि में,2014 में नई दिल्ली में,2015 में गुजरात की राजधानी गांधीनगर में, 2017 में कर्नाटक के बेंगलुरु में 2019 में उत्तर प्रदेश के वाराणसी 2021 में कोविड के कारण वर्चुअली ढंग से तथा 2023 में मध्य प्रदेश के इंदौर में प्रवासी भारतीय दिवस के भव्य कार्यक्रम आयोजित हुए हैं।
शायद बहुत कम लोगों को मालूम होंगा कि भारत सरकार द्वारा 2003 में देश में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन शुरू करने से बहुत पहले 1998-2003 के मध्य राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सर्वप्रथम जयपुर में प्रवासी राजस्थानी सम्मेलन का आयोजन किया था जिसकी चर्चा सारे देश और दुनिया में हुई थी। उसके बाद राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में प्रवासी भारतीय दिवस का पहला आयोजन हुआ और एक बार राजस्थान को भी उसकी मेजबानी करने का सुअवसर मिला,लेकिन वाइब्रेंट गुजरात की तरह राजस्थान में प्रवासी राजस्थानियों के सम्मेलन अनवरत रूप से मनाने का सिलसिला नही चल पाया है। अशोक गहलोत ने अपने कार्यकाल में दो तीन ऐसे आयोजन ही किए है और वसुंधरा राजे ने भी रिसर्जेंट राजस्थान नाम से ऐसे आयोजन किए थे लेकिन इन आयोजनों की निरंतरता कभी नही रही है। हालांकि प्रदेश के मुख्यमंत्री और मंत्री गण देश विदेश के विभिन्न शहरों में बसे प्रवासियों के निमंत्रण पर उनके द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेते रहे हैं।
इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि पूरे विश्व में सबसे अधिक प्रवासी भारतीय राजस्थान के है और देश दुनिया के हर कोने में उनकी उपस्थिति बनी हुई है। देश प्रदेश से दूर होने के बावजूद ये आज भी अपनी मातृ भूमि और जन्म भूमि से जुड़े हुए है तथा अपने स्तर पर अपने अपने जन्म स्थलों और मातृ भूमि पर समाज सेवा के कार्य और सामाजिक सार्वजनिक कार्यों में निवेश करते है। पूरी दुनिया में मारवाड़ी के नाम से मशहूर प्रवासी राजस्थानी जहां भी रहते है उन इलाकों के सर्वांगीण विकास में भी अपना योगदान देते है। साथ ही वाइब्रेंट गुजरात जैसे आयोजनों में भी सक्रिय रूप से भाग लेकर यथा संभव निवेश पूंजी भी लगाते है।
राजस्थान भारत का भोगौलिक दृष्टि से सबसे बड़ा प्रदेश है। यहां विकास की असीम संभावनाएं है। पश्चिम राजस्थान में प्राकृतिक तेल,गैस और मीठे पानी के अकूत भंडार मिल रहे है और बाड़मेर जोधपुर मार्ग पर हजारों करोड़ रु की लागत से पचपदरा में तेल रिफाइनरी और पेट्रो कॉम्पलेक्स का निर्माण हो रहा है। इससे कई सहायक उद्योग धंधे और रोजगार की असीम संभावनाएं इस इलाके को एशिया का दूसरा दुबई देने को आतुर है। इसी प्रकार पश्चिम राजस्थान में सोलर और विंड एनर्जी की भी अपार संभावनाएं है और यह इलाका विश्व का सबसे बड़ा सोलर ऊर्जा उत्पादन का हब बनने की क्षमता रखता हैं।
राजस्थान में खनिज संपदाओं के भी अपार भंडार है। साथ ही मार्बल ग्रेनाइट इमारती पत्थर आदि में देश में अग्रणी प्रदेश है। इन पर आधारित कई उद्योगों की संभावनाएं अभी भी बनी हुई है जोकि सही दिशा और अंजाम के इंतजार में है। इसके अलावा प्रदेश का हस्तशिल्प और हथकरघा और कई उत्पाद एवं व्यंजन आदि विश्व प्रसिद्ध है।
विश्व पर्यटन मानचित्र पर राजस्थान का अपना एक विशिष्ठ स्थान है। हेरिटेज की असंख्य विरासते प्रदेश को ओपन आर्ट गैलेरी की संज्ञा दिलाती है। पर्यटन के लिए आधारभूत ढांचे का विकास करने की जरूरत को देखते हुए निवेश की अपार संभावनाएं है। प्रदेश में जिस संख्या में देशी विदेशी सैलानी आते है उसके मुकाबले में होटलों और ठहरने के कमरों की संख्या बहुत कम है। सड़क रेल और हवाई परिवहन आदि क्षेत्रों में भी विकास की जरूरत है। दरअसल पर्यटन और खान एवं खनिज तथा पेट्रोलियम उद्योग प्रदेश की इकोनॉमी का मुख्य आधार है। रेगिस्तान प्रधान राजस्थान पाक से सटी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगा हुआ है। भूमिगत और सतही पानी की कमी के कारण राजस्थान देश के पहाड़ी और सीमावर्ती प्रदेशों की तरह विशेष राज्य का दर्जा पाने का अधिकारी है। इससे प्रदेश के सर्वांगीण विकास को बल मिलेगा।
इस पृष्ठभूमि में राजस्थान की नई भाजपा सरकार के नए मुखिया भजन लाल शर्मा को प्रदेश में हर वर्ष प्रवासी राजस्थानियों के सम्मेलन आयोजित करने की परम्परा शुरू करने की पहल करनी चाहिए। इससे प्रदेश को द्विगुणित लाभ होंगे तथा प्रवासियों के साथ भावनात्मक संबंधों में भी और अधिक अभिवृद्धि होगी। प्रदेश के नए उद्योग मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ जोकि स्वयं एक युवा और उत्साही नेता है, प्रवासी राजस्थानियों के सम्मेलन के आयोजन को अपनी प्राथमिकता सूची में रखते है तो इसमें कोई शक नही है कि प्रदेश को विभिन्न क्षेत्रों में निवेश का लाभ मिलेगा।
देखना है प्रदेश की नई सरकार अपने पड़ोसी प्रदेश गुजरात की तरह प्रवासियों के सम्मेलन आयोजित कराने की दिशा में क्या पहल करती है?