- अंतरिम बजट पारित होते ही सांसद कूच करेंगे अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों की ओर …
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
लोकसभा चुनाव से पूर्व आहूत संसद का वर्तमान बजट सत्र,अंतरिम बजट को पारित कराने की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद समाप्त हो जाएगा और उसके बाद 17 वीं लोकसभा के इस अंतिम सत्र से सभी सांसद अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों की ओर कूच कर जाएंगे। सदन में अंतरिम बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि लोकसभा के चुनाव अप्रेल- मई में होने वाले है,इसलिए वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट नई सरकार के आने के बाद आगामी जुलाई माह में पेश किए जाने की उम्मीद है। इस लिहाज से अब लोकसभा आम चुनाव में महज दो-तीन महीनों का समय ही शेष रह गया हैं। निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा होते ही पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएंगी।
अयोध्या में भव्य राम मंदिर के उद्घाटन के बाद यह कयास लगाए गए थे कि लोकसभा के चुनाव एक माह पहले हो सकते है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ऐसी चर्चाओं के विपरीत फैसलें करने के लिए मशहूर है। उन्होंने इस बार अपनी मोदी-02 सरकार के मंत्रिपरिषद का एक से अधिक बार विस्तार किए बिना ही पूरे पांच वर्ष निकाल दिए। उनके जेहन में क्या-क्या विचार और योजनाएं चलती हैं,उसकी थाह ले पाना हर किसी के लिए संभव नहीं हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र में चल रही एनडीए की सरकार पिछले 2014 और 2019 के दोनों लोकसभा चुनाव लगातार जीत चुकी है और इस बार भी 2024 के लोकसभा चुनाव जीत कर अपनी जीत की हैट्रिक जमाने में कोई कसर बाकी नहीं रखने वाली है। वैसे भी प्रधानमंत्री मोदी ने अबकी बार चार सौ पार का नारा देकर पूरी पार्टी में नया जोश भर दिया हैं। हालांकि
विपक्षी दलों का कहना है कि मान लो उत्तर भारत के सभी हिंदी भाषी प्रदेशों की कुल 192 लोकसभा सीटें शत प्रतिशत ही भाजपा की झोली में गिर जाएं तो भी भाजपा अपने दावे के अनुसार बाकी 200 से ज्यादा सीटों का इंतजाम कौन से तरीके से करने वाली है? यह एक यक्ष प्रश्न है? क्योंकि दक्षिण भारत में थोड़ा बहुत कर्नाटका को छोड़ भाजपा का अन्य प्रदेशों में कोई खास वजूद नहीं है।
इधर भाजपा ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को तोड़ और अपने पक्ष में कर इण्डिया गठबन्धन की हवा निकाल दी है। नीतीश कुमार ने नौवीं बार पलटी खाकर देश के राजनीतिक इतिहास में एक अनोखा रिकार्ड बनाया है। इण्डिया गठबन्धन को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी तोड़ने पर तुली हुई है। उन्होंने पिछले दिनों खुद ही इण्डिया गठबन्धन के प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम का प्रस्ताव रखा था,आज उसी ममता बनर्जी ने अब पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग से इंकार कर दिया है । साथ ही एक ताजा बयान में कहा है कि कांग्रेस देश में 300 सीटों पर चुनाव लडे तो भी उसकी 40 सीटे भी नही आने वाली । देश में सबसे अधिक 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मुख्य मंत्री अखिलेश यादव कांग्रेस को 11 सीटों से अधिक देने के लिए तैयार नहीं है। अन्य बड़े प्रदेशों में महाराष्ट्र में भी एनसीपी के शरद पंवार और शिव सेना उद्धव ठाकरे का गुट कांग्रेस को कितनी सीटें देगा यह अभी तय नहीं है। साथ ही बिहार में नीतीश कुमार की पलटी मारने का असर कितना रहेगा,यह देखना होंगा। कांग्रेस द्वारा इण्डिया गठबन्धन के साथ समन्वय के लिए गठित समिति भी अभी तक कोई आशानुरूप परिणाम नहीं ला पाई है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर से अकेले अपनी भारत यात्रा पर निकल गए है। उन्होंने इस बार अपनी यात्रा का नाम भारत जोड़ों न्याय यात्रा रखा है। मणिपुर से शुरू हुई उनकी यह यात्रा एक नया रिकार्ड बनाती हुई राजस्थान और गुजरात तक की यात्रा पूरा करेंगी। कांग्रेस में अंतर्कलह कम नही हो रहें। जी-30 के बाद अब मणिशंकर अय्यर का ताजा बयान सामने आया है कि सोनिया गांधी नही चाहती कि मैं कांग्रेस में रहूं । यह बयान चर्चाओं में हैं।
कुल मिला कर यह देखना दिलचस्प होंगा कि विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा और उसके एन डी ए गठबंधन के आगे इण्डिया गठबन्धन मुकाबले में कितना टिकेगा।
राजस्थान में भाजपा-कांग्रेस ला सकते है नए चेहरे
यदि बात की जाए देश मे भौगोलिक दृष्टि से सबसे राज्य राजस्थान की तो वहां अपने पड़ोसी प्रदेशों गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि से कम 25 लोकसभा सीटें हैं। पिछले दो लोकसभा आम चुनावों में भाजपा ने राजस्थान की सभी 25 सीटों पर चुनाव जीत कर एक रिकार्ड बनाया है। पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 24 सीटों पर चुनाव लडा था और एक सीट नागौर की अपने सम्मर्थित हनुमान बेनीवाल की पार्टी के लिए छोड़ी थी, जिस पर खुद बेनीवाल जीते थे,लेकिन इस बार किसान आंदोलन से उपजे मतभेद के बाद से हनुमान बेनीवाल भाजपा के साथ नही है और हाल ही विधान सभा चुनाव जीत कर विधायक भी बन गए है। ऐसे में भाजपा प्रदेश की सभी पच्चीस सीटों पर अकेले ही चुनाव लडेगी। भाजपा ने इस बार प्रदेश के छह सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़ाया था जिसमें से तीन राजसमन्द की दीयाकुमारी, जयपुर ग्रामीण के राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और राज्यसभा सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा चुनाव जीत कर वर्तमान में मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के मंत्रिपरिषद में मंत्री बन गए है। शेष तीन सांसद अजमेर के भागीरथ चौधरी, जालौर-सिरोही से देवजी पटेल और झुंझुनूं से नरेंद्र खीचड़ चुनाव हार गए । इस तरह प्रदेश की छह सीटों पर पार्टी नए उम्मीदवारों को टिकट दे सकती है। इसी तरह पार्टी के दो बड़े नेता पिछली विधानसभा में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष और उपनेता राजेंद्र राठौड़ और डॉ सतीश पूनियां भी विधानसभा का चुनाव हार गए । इसलिए उन्हें इसी महीने होने वाले राज्य सभा के द्विवार्षिक चुनाव में अथवा लोकसभा चुनाव में पार्टी का उम्मीदवार बनाया जा सकता है।
उधर राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि कांग्रेस भी इस बार श्रीकरणपुर विधानसभा सीट की जीत से उत्साहित होते हुए भाजपा को क्लीन स्वीप देने के मूड में नहीं है तथा चर्चा है कि कांग्रेस lप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत,पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित अपने अन्य दिग्गज आधा दर्जन विधायकों को लोकसभा का चुनाव लडा सकती है।
देखना है देश-प्रदेश में आने वाले महीनों में राजनीति किस दिलचस्प मोड़ की ओर मुड़ने अथवा किस ओर करवट लेने वाली है?