- पार्वती-कालीसिंध-चंबल-ईस्टर्न राजस्थान कैनाल लिंक परियोजना पर केन्द्रीय जल शक्ति मन्त्री के नए खुलासे
गोपेंद्र नाथ भट्ट
केन्द्रीय जल शक्ति मन्त्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने पार्वती-कालीसिंध-चंबल-ईस्टर्न राजस्थान कैनाल लिंक परियोजना (पीकेसी-ईआरसीपी प्रोजेक्ट) को लेकर कई नए खुलासे किए है और बताया है कि पीकेसी-ईआरसीपी प्रोजेक्ट के लिए केन्द्र सरकार 90 प्रतिशत राशि प्रदान करेंगी । इस तरह इस महत्वाकांक्षी परियोजना को एक तरह से राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिलेगा।
रविवार देर शाम को संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी)-ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) लिंक प्रोजेक्ट पर जयपुर में आयोजित प्रेसवार्ता में शेखावत ने इस परियोजना के बारे में एक नई बात जोड़ते हुए कहा कि इस प्रोजेक्ट से पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के अलावा 8 और जिले यानि नवीन 21 जिले लाभान्वित होंगे। इस तरह यह परियोजना करीब आधे राजस्थान के साथ ही मध्य प्रदेश के कई ज़िलों के लिए भी वरदान साबित होगी। इस लिंक प्रोजेक्ट से राजस्थान को 3677 एमसीएम पानी मिलेगा, जो पहले की ईआरसीपी (3510 एमसीएम) से अधिक जल होंगा। पहले जो आँकड़ा सामने आया था वह काल्पनिक फिगर था, अब सीडब्ल्यूसी ने वेरीफाई करके पानी का हिस्सा तय किया है।
शेखावत ने यह भी बताया कि इस परियोजना में राजस्थान पर 40 हजार करोड़ में से मात्र 4 हजार करोड़ रु का ही वित्तीय भार आएगा। नए एमओयू के बाद इस परियोजना का 90 प्रतिशत खर्चा केंद्र सरकार वहन करेगी। परियोजना में पेयजल, उद्योगों और सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था की गई है। शेखावत ने कहा कि इस प्रोजेक्ट को आगामी पांच साल में पूरा कर लिया जाएगा। यह हमारा कमिटमेंट है कि हमारी सरकार के पांच साल के कार्यकाल में यह परियोजना हर हाल में पूर्ण होगी। इसमें 40 हजार करोड़ राजस्थान सरकार और लगभग 25 हजार करोड़ मध्य प्रदेश का कंपोनेंट होगा, अभी डीपीआर बन रही है। केंद्र सरकार द्वारा 13 दिसंबर 2022 को पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक प्रोजेक्ट को ईआरसीपी के साथ एकीकृत करने के प्रस्ताव को प्राथमिकता वाली लिंक परियोजना के साथ अनुमोदित किया हैं।
शेखावत ने प्रतिपक्ष की सभी भ्रान्तियों का खुलासा करते हुए कहा कि इस लिंक परियोजना से राजस्थान को ईआरसीपी से ज्यादा पानी मिलेगा।शेखावत ने रविवार कोराजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ इस प्रोजेक्ट के तहत आने वाले कोटा और टोंक जिले में बांधों का दौरा भी किया। शेखावत ने बताया कि हेलीकॉप्टर में ही मुख्यमंत्री ने इस प्रोजेक्ट को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए कि परियोजना के लिए जो भी भूमि अवाप्त करनी है, उस दिशा में तत्काल काम करें। साथ ही भूमि अवाप्ति के लिए डेडिकेटेड अधिकारी की नियुक्ति और ऑफिस भी बना दिया जाए।
शेखावत ने कांग्रेस पर हमला किया कि इस प्रोजेक्ट पर राजस्थान और मध्य प्रदेश के मध्य समझौता होने के बाद भी विपक्ष द्वारा राजनीति की जा रही है। मुझे उम्मीद थी कि समझौते के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी , केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय, राजस्थान के साथ मध्य प्रदेश सरकार की सराहना की जाएगी , लेकिन सराहना की बात तो दूर विपक्ष विधानसभा से लेकर सड़क पर राजनीति करने से बाज नहीं आ रहा है। शेखावत ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि राजस्थान की तत्कालीन कांग्रेस सरकार की उदासीनता की वजह से पीकेसी इंटरलिंकेज ऑफ रिवर (आईएलआर) परियोजना का स्वरूप नहीं ले सकी। शेखावत ने बताया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने केवल 3 जिलों जयपुर, अजमेर और टोंक को 525 एमसीएम पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए नवनेरा-गलवा-बीसलपुर-ईसरदा (एनजीबीआई) लिंक की योजना बनाई थी। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत सिंचाई की कोई घटक नियोजित नहीं थी। अशोक गहलोत ने ईआरसीपी धरातल पर न उतरे, इसके हर तरह के प्रयास किए। उन्होंने 50% निर्भरता के साथ ईआरसीपी की डीपीआर तैयार करने का आदेश दिया था, जो राष्ट्रीय परियोजना के अनुरूप नहीं था, क्योंकि राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के अनुसार 75% निर्भरता के साथ परियोजना को योजनाबद्ध किया जाना चाहिए था। यहां तक की मप्र के तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी एनओसी नहीं दी।
शेखावत ने कहा कि कांग्रेस की मानसिकता ही ऐसी है। केवल सवाल इस प्रोजेक्ट का नहीं है, बल्कि देश में पचासों ऐसी परियोजनाएं हैं, अर्जुन सागर, ब्रांड सागर से लेकर नॉर्थ क्वायल जैसी परियोजनाएं ऐसी हैं, जिनकी घोषणाएं कांग्रेस ने 1970 की दशक में की थी, उनके लिए जमीन अधग्रहित की थी, उनका शिलान्यास किया था। जब प्रधानमंत्री जी ने प्रधानमंत्री सिंचाई योजना को शुरू किया, उसके बाद में ऐसे 106 से ज्यादा प्रोजक्ट देश में थे, जिनमें से हमने लगभग 80 प्रोजक्ट को संपूर्ण किया। हमने पहले ही कहा है कि जिसका शिलान्यास हम करते हैं, उसका उद्घाटन भी हम ही करते हैं। शेखावत ने कहा कि इस लिंक प्रोजेक्ट से राजस्थान की जीडीपी को बहुत बड़ा लाभ पहुंचेगा। लोगों की आमदनी बढ़ेगी, पलायन रुकेगा और इन जिलों में संभावनाएं बढ़ेंगी।
शेखावत ने बताया कि पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर और टोंक में पेयजल उपलब्ध होगा।
साथ ही 2,80,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
इसके अलावा लगभग 25 लाख किसान परिवारों को सिंचाई जल और राज्य की लगभग 40 प्रतिशत आबादी को पेयजल उपलब्ध हो सकेगा।उन्होंने कहा कि ईआरसीपी में सम्मिलित रामगढ़ बैराज, महलपुर बैराज, नवनैरा बैराज, मेज बैराज, राठौड़ बैराज, डूंगरी बांध, रामगढ़ बैराज से डूंगरी बांध तक फीडर तंत्र, ईसरदा बांध का क्षमता वर्धन और पूर्वनिर्मित 26 बांधों का पुनरूद्धार किया जाएगा।
इस तरह राजस्थान में भाजपा की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे और कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल से ही पूरे देश में चर्चा का विषय रही पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) अब नए रंग रुप पार्वती-कालीसिंध-चंबल-ईस्टर्न राजस्थान कैनाल लिंक परियोजना (पीकेसी-ईआरसीपी प्रोजेक्ट ) में सामने आ रही है और पिछलें दिनों भारत सरकार, राजस्थान सरकार और मध्य प्रदेश सरकार के मध्य हुए एमओयू तथा त्रिपक्षीय समझौते के बाद भी भाजपा और कांग्रेस तथा प्रतिपक्ष के अन्य नेताओं के मध्य आरोप प्रत्यारोपों का दौर थम नही रहा। हालाँकि राजस्थान विधान सभा में राज्यपाल के अभिभाषण का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने कहा था कि प्रतिपक्ष इस पर राजनीति नही करें तों ही बेहतर होंगा क्योंकि यह महत्वाकांक्षी परियोजना राजस्थान और मध्य प्रदेश दोनों प्रदेशों के लाखों लोगों के प्यासे कण्ठों को तृप्त करने साथ ही सूखे खेतों की प्यास भी बुझायेगी।साथ ही इससे उद्योगों को भी लाभ होंगा। वहीं कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटसरा एवं अन्य नेताओं और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल ने विधान सभा में भाजपा पर परियोजना का नाम और अवधारणा बदलने का आरोप लगाते हुए इसे राजस्थान के लिए घाटे का सौदा बताया है लेकिन केन्द्रीय मंत्री शेखावत द्वारा किए गए नए खुलासो से राजस्थान की इस बहु प्रतीक्षित परियोजना के ज़मीन पर उतरने की संभावनाएँ अब तेही से सिरे चढ़ रही है।देखना है यह परियोजना किस तरह राजस्थान ही नही मध्य प्रदेश के अधिकांश जिलों के लिए भी एक नई जीवन रेखा बनेग़ी?