एनडीएमसी द्वारा राज्य सरकार के भवनों को करोड़ों रु की वसूली के नोटिस

  • राजस्थान जैसे प्रदेश पर सर्वाधिक कर वसूली का अंदेशा

गोपेन्द्र नाथ भट्ट 

नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) का संपत्ति कर विभाग देश की राजधानी नई दिल्ली में निजी संपत्तियों के साथ-साथ सभी सरकारी भूमि और भवनों पर संपत्ति और सेवा कर लगा रहा है।विश्वस्त जानकारी के अनुसार पिछले दिनों एनडीएमसी ने राज्य सरकारों के राजधानी नई दिल्ली में स्थित स्टेट भवनों पर सेवा और संपति कर के रूप में करोड़ों रु की वसूली निकाल कर राशि जमा कराने के नोटिस जारी किए है। इसका सबसे बड़ा असर राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में स्थित राज्य सरकारों के भवनों पर पड़ रहा है। विशेष कर राजस्थान जैसे प्रदेशों पर यह असर और भी गहरा हो सकता है जिनकी राष्ट्रीय राजधानी में अधिक परिसंपतियां है। राजस्थान जैसे प्रदेश पर एनडीएमसी की वसूली का यह असर एक जबर्दस्त वित्तीय भार के रूप में सामने आने की आशंका है।

देश की राजधानी नई दिल्ली में इंडिया गेट से करीब चालीस किलोमीटर की परिधि में राजस्थान की कई परिसंपतियाँ रही है। इनमें से आजादी के बाद कई परिसंपतियाँ भारत सरकार के अधीन चली गई और कालांतर में इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में राजा महाराजाओं के प्रीविपर्स समाप्त कर देने के बाद सरकार को समर्पित हो गई। इनमें से बीकानेर हाऊस, राजस्थान हाउस, जोधपुर हाउस, उदयपुर हाऊस आदि कई परिसंपत्तियां वर्तमान में राजस्थान सरकार के पास है। ऐसे में राजस्थान सरकार पर अधिक संपत्ति कर लगने का अंदेशा है। बताया गया है कि राजस्थान के अलावा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना केरल आदि प्रदेशों की परिसंपत्तियां पर भी यह संपति कर लगाया जा रहा है।

इसके अलावा एनडीएमसी ने राज्य सरकारों के उन सभी स्टेट गेस्ट हाउस को भी सेवा शुल्क की श्रेणी में रखा है जिनमें सरकारी और प्राइवेट अतिथियों को ठहराने के साथ व्यवसायिक गतिविधियां जैसे गेस्ट से किराया वसूली, केंटीन संचालन और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन आदि किया जाता है। राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में प्रत्येक प्रदेश के अपने न्यूनतम दो-दो स्टेट गेस्ट हाऊस अवश्य है कुछ राज्यों जैसे मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश आदि के पास दो से अधिक भवन भी हैं और अधिकांश में व्यावसायिक गतिविधियां भी संचालित हो रही हैं। इस तरह कई प्रदेशों पर एनडीएमसी द्वारा संपति और सेवा दोनों करों की वसूली का आर्थिक भार डाला जा रहा है। कमोबेश भारत सरकार की कई परिसंपत्तियां भी इस प्रकार की कर वसूली से अछूती नहीं है। इन करो की वसूली से एनडीएमसी मालामाल हो रहा है।

एनडीएमसी का संपत्ति कर विभाग एनडीएमसी के कर राजस्व अर्जित करने वाले विभागों में से एक है। राजस्व की यह वसूली 26 जनवरी, 1950 से पहले निर्मित लगभग 13,500 निजी संपत्तियों और सरकारी संपत्तियों से संपत्ति कर और 26 जनवरी, 1950 के बाद निर्मित सरकारी संपत्तियों से सेवा शुल्क के रूप में की जाती है। भारत सरकार और राज्य सरकारों के सभी सरकारी संपतियों के मालिक माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार सेवा शुल्क का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं। संपत्ति कर नई दिल्ली में सभी भूमि और भवनों पर लगाया जाने वाला एक अनिवार्य कर है। यह भूमि और भवनों के कुल दर योग्य मूल्य का एक प्रतिशत है। करों की दरें परिषद द्वारा वर्ष-दर-वर्ष आधार पर निर्धारित की जाती हैं।

राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में केंद्र और राज्य सरकार के मध्य समन्वय का कार्य करने वाले और दोनों सरकारों के बीच कोर्डिनेशन का मुख्य दायित्व निभाने वाले आवासीय आयुक्त कार्यालयों में नियुक्त रेजिडेंट कमिश्नरों ने पिछले दिनों एनडीएमसी की करोड़ों रु की संपति तथा सेवा कर वसूली से बचने के लिए कोई रास्ता निकालें जाने पर गंभीर मंथन किया था और ऐसा बताया जाता है राज्य सरकारों के ये दूत रेजिडेंट कमिश्नर एनडीएमसी के शीर्ष प्रतिनिधियों से भी मिले थे और उन्हें एक संयुक्त ज्ञापन देने पर विचार हुआ था लेकिन एनडीएमसी की ओर से कानून और नियमों का हवाला देते हुए राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में स्थित राज्य सरकार के भवनों को कर वसूली के इन नोटिसों से कोई राहत प्रदान नही की गई है।

देखना है कि अब राज्य सरकारें विशेष कर राजस्थान सरकार जिनकी परिसंपत्तियां राष्ट्रीय राजधानी में काफी अधिक है, एनडीएमसी की इन सेवा और संपति करों की वसूली से कैसे बच पाती है?