किशोर कुमार मालवीय
वैसे तो चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा घोषणा पत्र जारी करना अब औपचारिकता भर रह गया है लेकिन इस बार के चुनाव में इसे काफी महत्व दिया जा रहा है। जनता चुनावी घोषणाओं और वायदों को अब गंभीरता से नहीं लेतीं। यहां तक कि वे उसे पढ़ते तक नहीं क्योंकि वे ये मान चुके हैं कि ये सब चुनाव जीतने के हथकंडे भर हैं। सियासतदानों के लिए ये चिंता की बात है इसलिए अब वे नए नए नाम देकर घोषणा पत्र निकाल रहे है। संकल्प पत्र, न्याय पत्र, गारंटी जैसे भारी भरकम शब्दों का इस्तेमाल कर उन्हें रिब्रांडिंग कर रहे हैं। लेकिन जनता तो जनता है, वे जानती है कि ऐसे सभी वायदे नई बोतल में पुरानी शराब की तरह है।
इस बार लोकसभा चुनाव में पक्ष और विपक्ष के बीच चुनावी घमासान की शुरुआत घोषणा पत्रों से ही हुई। भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र को संकल्प पत्र का नाम दिया और देश को 2047 तक विकसित देश बनाने के दावे के साथ जनता को कुछ गारंटियां भी दी है। इसे चुनाव में मोदी की गारंटी के नाम से प्रचारित किया जा रहा है। मोदी की गारंटी मतलब सौ फीसदी विश्वसनीय और पूरी होने वाली गारंटी। कांग्रेस इसे मेड इन चाइना वाली गारंटी बताकर इसका मजाक उड़ा रही है। कांग्रेसी नेता इसे जुमलों की नई खेप भी बता रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के घोषणा पत्र को भाजपा नेता एक साम्प्रदाय के तुष्टिकरण से जोड़ रहे हैं। असलियत की तह तक जाने के लिए दोनो की चुनावी घोषनाओं को समक्षना जरुरी है।
मोदी की गारंटी शीर्षक से जारी भाजपा घोषणा पत्र में चार महत्वपूर्ण तत्वों के आधार पर देश के विकास की बात की गई है – महिला, युवा, गरीब और किसान। जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से प्रेरित पार्टी मेनिफेस्टो को न्याय पत्र का नाम दिया गया है जो न्याय के पांच तत्वों पर आधारित है – युवा, महिला, किसान और मजदूरों के लिए न्याय तथा हिस्सेदारी। दोनो बड़ी पार्टियों ने अपना फोकस समाज के बड़े तबकों पर रखा है क्योंकि वही सबसे बड़े वोट बैंक हैं। दोनो दलों के मेनिफेस्टो में ये बात कॉमन है कि दोनो ने जनसंख्यां के आधार पर वोटरों को लुभाने की कोशिश की है। मसलन, युवाओं की आकांक्षाओं का दोनो ने समान ध्यान दिया है। भाजपा ने बार बार होने वाली पेपर लीक से निजात दिलाने का वादा करते हुए सख्ती से कानून लागू करने की घोषणा कर युवाओं को लुभाने की कोशिश की है। इसके अलावा रिक्त सरकारी नोकरियों को लगातार भरने, स्टार्टअप्स और उद्योग के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने और रोजगार बढ़ाने के उद्देश्य से भारत को विश्व का मैनुफैक्चरिंग केन्द्र बनाने का भरोसा भी दिलाया गया है। मुद्रा ऋण योजना में कर्ज की राशि दोगुणा करने की बात भी है ताकि युवा अपना रोजगार स्वयं शुरु कर सके।
कांग्रेस ने भी युवा मतदाताओं को लुभाने का भरसक प्रयास किया है। मोदी सरकार पर आक्रमण का कांग्रेस का सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी ही है इसलिए युवा न्याय कार्यक्रम के नाम पर रोजगार गारंटी की बात की गई है जिसके तहत केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों में हर साल 30 लाख नौकरी सृजित करने का वादा किया गया है। कांग्रेस के युवा न्याय कार्यक्रम में 25 साल तक की आयुवर्ग के लिए नई प्रशिक्षण व्यवस्था लागू करने की भी बात है जिसका लाभ सभी ग्रैजुएट उठा सकेंगे। कोविड महामारी के दौरान जो युवा लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में प्रभावित हुए थे उन्हें एक और मौका देने का भी वायदा किया गया है।
भाजपा और कांग्रेस दोनो ने युवाओं के साथ साथ वरिष्ठ नागरिकों को भी लुभाने का प्रयास किया है। भाजपा ने आयुष्मान योजना का दायरा बढ़ाते हुए अब इसे 70 साल से ज्यादा आयु तक के लिए कर दिया। बुजुर्गों को तीर्थाटन की सुविधाएं मुहैय्या करने के लिए राज्य सरकारों से तालमेल बिठाने का वायदा भी भाजपा के घोषणा पत्र में है। कांग्रेल ने दो कदम आगे बढ़ते हुए सीनियर सिटिजन, विधवा और विक्लांगों को राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत प्रतिमाह एक हजार रुपए देने का आश्वासन दिया है। इसके अलावा, मोदी सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों की रेलयात्रा में जिस रियायत को खत्म कर दिया था उसे कांग्रेस ने दोबारा चालू करने का भरोसा दिलाया है।
इस बार के लोकसभा चुनाव में किसानो पर सभी पार्टियों का विशेष ध्यान है। कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की दूसरी पार्टियां भाजपा को किसान विरोधी बताकर किसानो को समर्थन हासिल करना चाहती है। नयूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी जामा पहनाने की मांग पर चल रहे किसान आन्दोलन को धयान में रख कर दोनो पक्षों ने किसानो को वायदों के सब्जबाग दिखाए हैं। वैसे भाजपा ने एमएसपी को कानूनी रुप देने का कोई वायदा अपने संकल्प पत्र में नहीं किया है पर ये जरुर कहा है कि वे लगातार एमएसपी बढ़ाते रहेंगे। इसके उलट, कांग्रेस ने ये गारंटी दी है कि अगर उनकी सरकार केन्द्र में बनती है तो स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक एमएसपी को कानूनी जामा पहनाएंगे। ये अलग बात है कि जब केन्द्र में कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी तब कांग्रेस ने इसका समर्थन नहीं किया था। लेकिन अब वह किसानो का समर्थन हासिल कर भाजपा को किसान विरोधी साबित करना चाहती है। पंजाब और हरियाणा के किसानों पर कांग्रेस की खास नजर है जो किसान आन्दोलन का केन्द्र रहा और जहां भाजपा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।
दोनो बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों ने महिला वोटरों को लुभाने का भरसक प्रयास किया है। दोनो पार्टियां जानती हैं कि महिलाओं के समर्थन के बिना दिल्ली की कुर्सी पर काबिज होना नामुमकिन है। भाजपा ने लखपति दीदी योजना के तहत तीन करोड़ ग्रामीण महिलाओं को सशक्त करने की बात की है और महिलाओं की स्वास्थय सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा है। लेकिन भाजपा के संकल्प पत्र में महिलाओं के लिए जो सबसे बड़ी घोषणा है वह है संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को रिजर्वेशन देना। हालांकि इसे तुरंत लागू नहीं किया जाएगा बल्कि इसका फायदा पांच साल बाद ही मिल सकता बै। दूसरी तरफ, कांग्रेस ने तत्काल प्रभाव (2025) से केन्द्रीय सेवाओं में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने की बात की है। कांग्रेस की अन्य बड़ी चुनावी घोषणा महालक्ष्मी योजना है जिसके तहत गरीब महिलाओं को प्रतिवर्ष एक लाख रुपए देने की बात है।
विपक्ष मोदी सरकार पर सबसे ज्यादा हमले उसकी आर्थिक नीतियों को लेकर करता है। देश की अर्थव्यवस्था चौपट कर देने के विपक्षी आरोपों के बीच भाजपा ने अपने मेनिफेसेटो में इस पर आक्रामक रवैया अपनाया है। भाजपा ने भारत को दुनिया की तीसरी आर्थिक शक्ति बनाने का वायदा करते हुए महंगाई दर कम करने और आर्थिक विकास की बात की है। रोजगार के अवसर बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है। वहीं कांग्रेस ने अगले 10 वर्षों में जीडीपी को दोगुणा करने का लक्ष्य रखा है। असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून लाने और मुक्त व्यापार का समर्थन करने की भी बात कांग्रेस ने की है। कुल मिलाकर भाजपा और कांग्रेस दोनो ने चुनाव जीतने के लिए अपने घोषणा पत्रों में बड़े बड़े दावे किए हैं।