विनोद कुमार विक्की
फाइव-जी युग के महा मायावी संसार फेसबुक की कथा और व्यथा अपरंपार है।समानता के द्योतक फेसबुकिया जगत में प्रत्येक प्राणी एक दुसरे के मित्र है।भले ही खून के रिश्ते में वो पति-पत्नी,भाई-बहन,पिता-पुत्र,सास-बहू,गुरु-शिष्य ही क्यों ना हो !
मार्क जुकरबर्ग नामक आंग्ल जीव ने फेसबुक रूपी एक ऐसे सोशल मीडिया का ईजाद किया जिसने अलादीन के चिराग वाले जिन्न की भांति घर-घर से दार्शनिक व विचारक को पैदा होने पर मजबूर कर दिया है।एक जमाने मे कबीर, रहीम, काल मार्क्स, गांधी, गालिब, विवेकानंद आदि दार्शनिक व विचारकों के संदेश, प्रेरक प्रसंग, अनमोल वचन सत्संग, दूर्लभ पुस्तक या प्रवचनों के माध्यम से उपलब्ध हो पाता था।फेसबुक के कारण हर गांव, गली, चौपाल से नेता, लेखक, विचारक,दार्शनिक आदि के उद्भव ने मानव जगत में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है।
फेसबुक बाबा ने बेडरूम मे बैठे-बैठे लोगों को क्रांतिकारी बना दिया।दुकान चलाने वाले को दार्शनिक तो युवाओं को शायर बना दिया है।फेसबुकिया नगर के ऐसे साधक अपने नाम का अकाउंट बनाकर लौकिक, अलौकिक, ज्ञान सरिता का प्रवाह उंगलियों के माध्यम से निर्बाध रूप से विश्व पटल पर करते रहते हैं।फेसबुक जगत मे समस्त जीव लाइक, पोस्ट, शेयर, कमेंट्स के माध्यम से अपने बौद्धिक सचेतता का संकेत देते हैं या यों कहें अपने बौद्धिक रूप से जीवित होने का प्रमाण देते हैं। फेसबुक साधकों पर शोध से ज्ञात हुआ है कि फेसबुक जगत मे विभिन्न कोटि के दर्जनों बुद्धिजीवी वर्ग विचरण कर रहे हैं।
फेसबुक पर अपना अस्तित्व बचाने के लिए कुछ ऐसे प्राणी समूह है जो सिर्फ दुसरो के पोस्ट को लाइक करना ही अपना मौलिक अधिकार समझते है। ऐसे ‘लाइक डोनर’ समूह के जीव जब भी अपना फेसबुक लाॅगइन करते हैं,तो इनका ध्येय सभी प्रकार के पालतू, फालतू ,सलिल,अश्लील पोस्ट पर बिना पढ़े या बिना विचारें लाइक दान का होता है।इनके लाइक ठोकने की गति इतनी महत्तम है कि सिद्धु का “ठोको मंत्र” पीछे छूट गया है।हालाँकि ऐसे “लाइक ठोको वर्ग” समयाभाव के कारण फेसबुक पर नियमित सेवा नही दे पाते । सप्ताह या महीना में किसी विशेष दिन उपस्थित होकर लाइक ठोकना इनकी आदतन मजबूरी होती है।
फेसबुक साधक के दुसरे वर्ग मे आता है ‘रचिएता समूह’।इस समूह के सदस्य शायरी, दोहा, कविता, सूक्ति अनमोल वचन, सदविचार आदि का सृजन व फेसबुक पर प्रेषण इतने कम समय में कर देते है जितने समय मे ‘मैगी’ भी तैयार होने से कतराए।इस श्रेणी के जीवो मे कई उपवर्ग भी है यथा कुछ जंतु शेरो शायरी बनाकर मिर्जा गालिब को टक्कर देने मे लगे हैं तो कुछ राजनीतिक विचारों का संप्रेषण कर भगत सिंह, आजाद, बिस्मिल आदि को चुनौती देने मे जुटे है। जबकि कुछ अनमोल वचनों को फेसबुक पर अपलोड कर गांधीजी,विवेकानंद, टैगोर साहब के दर्शन सिद्धांत की बराबरी करने मे एमआरएफ टायर की भांति गतिशील है।
फेसबुक पर एक तीसरा वर्ग है “सेल्फी वर्ग”।ऐसे समूह के जीवजंतु महज अपनी और अपने परिवार अथवा मित्रों की तस्वीरें पोस्ट करने में आस्था रखते हैं।इस ग्रुप के कुछ वीर बांके सदस्य लाइक और कमेंट की चाहत में जान जोखिम में डालकर चलती ट्रेनपर खड़े होकर,पहाड़ की उंची चोटी,बीच नदी-नाव में, पुल के किनारे,इमारतों के शीर्ष से सेल्फी लेकर फेसबुक पर पोस्ट करते है। कुछ योद्धा रिस्की लाइव रिकॉर्डिंग के चक्कर में वीरगति को भी प्राप्त कर जाते है।तत्पश्चात इन्हें सैकड़ों लाइक व कमेंट्स तो नहीं मिलता किंतु लाखों जीवित लोगों की सिम्पैथी जरूर मिल जाती है।ऐसे समूह के कुछ शातिर सदस्य तिरंगा या किसी शहीद की तस्वीर या किसी औरत की तस्वीर या फिर राष्ट्रीयता या जनसमस्याओ से सारोकार रखने वाली तस्वीरों को पोस्ट कर देशभक्ति का हवाला देते हुए लाइक की गुहार लगाते दिख जाते हैं।इन तस्वीरों के साथ कुछ अति बुद्धिमान फेसबुकिया साधक अपने पोस्ट में कुछ पंक्तियों को जोड़ देते है यथा “मै एक शहीद की बेटी/विधवा हूं क्या मेरे पिता/पति के नाम पर एक लाइक नही मिलेगा अथवा कमेंट्स में लिखे जय हिन्द”।”मैं एक गरीब की बेटी हूँ क्या मुझे कोई पसंद नही करेगा “।” “देखते है आज तिरंगा को कौन-कौन लाइक करता है”।”क्या विधवा को शादी करनी चाहिए “?वगैरह-वगैरह और परिणाम स्वरूप किलो के भाव मे लाइक बटोर लेते है।
फेसबुक पर कुछ ऐसे ‘विशिष्ट थेथर’ सदस्य भी होते हैं ,जो जबरदस्ती की ‘लाइक’ पाने के लिए भगवान की तस्वीर या किसी विशेष तस्वीर को पोस्ट कर देखने वालों को मां/प्रेमी/प्रेमिका की कसम या गुड न्यूज की दुहाई देकर लाईक, कमेंट्स या शेयर करने के लिए मजबूर करते है।
फेसबुक पर एक वर्ग है “जादूगर ग्रुप”।इस कैटगरी के सदस्य ऐसा मैजिक दिखाने का दावा करते है कि जादूगर गोगा सरकार व पीसी सरकार भी हिम्मत ना जुटा पाए।ये कोई धुंधली तस्वीर या किसी लड़का- लड़की की तस्वीर को पोस्ट कर 0 से 9 तक किसी विशेष संख्या को टाईप करने की सलाह देते है साथ ही दावा करते है कि तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी या तस्वीर वाले शख्स का कपड़ा गायब हो जाएगा। बस फिर क्या कई हायली एजुकेटेड पर्सन निर्देशित अंक टाइप कर लग जाते हैं मोबाइल पर जादू देखने ।लाइक करने वाले इच्छुक को जादू दिखे ना दिखें पर उनकी हरकत फेसबुक फ्रेंड को जरूर दिख जाती है।
छठा ग्रुप है सनसनी ग्रुप ये प्रायः न्यूज समूह होते हैं जो साधारण से साधारण खबरो को भी एकता कपूर के धारावाहिक एपिसोड की भांति ही सस्पेंस बनाकर संक्षिप्त रूप मे प्रस्तुत करते है ताकि आप पुरी खबर को पढने के लिए मजबूर हो जाय।
एक सातवाँ वर्ग है “तन्हा वर्ग”।इस समूह के संचालक सदस्य प्रायः तथाकथित स्त्रियाँ होती है जो कथित रूप से अपनी या औरों की तस्वीर अपलोड कर देखने वाले को अपनी तन्हाई पर कमेंट्स करने व इनबॉक्स में मोबाइल नम्बर प्रेषित कर मित्रता का खुल्लम-खुल्ला निमंत्रण देती या देता है।
एफबी साधक का आठवां समूह वायरल जीवी समूह है। इसके सदस्य फेसबुक पर सिंगिंग डांसिंग, गाली-गलौज फूहड़ कामेडी, रील्स,मीम्स आदि बना कर रातोंरात सेलिब्रेटी बनने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। घूंघट काढ़ने वाली घराने की वायरलजीवी बहूएं भी टैलेंट के नाम पर अंग प्रदर्शन कर सुर्खियों में बने रहने को लालायित रहती है।
इस प्रसंग के दौरान एक अन्य गौण वर्ग “तटस्थ वर्ग” की चर्चा करना लाजिमी है।इस समूह के सदस्य मुद्दतों बाद फेसबुक लाॅग इन तो करते है किंतु लाइक, कमेंट्स, शेयर आदि किसी भी प्रकार के जैविक गतिविधियों से स्वयं को तटस्थ रखते है।लाइक कमेंट और पोस्ट की गतिविधियों में अकर्मण्य तटस्थ समूह के ऐसे सदस्य फेसबुकिया मित्रों की सूची में भार स्वरूप ही होते हैं।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि श्री श्री 1008 महर्षि मार्क जुकरबर्ग ने फेसबुक नामक एक ऐसे संसार की सृष्टि की है जहां एक ओर समस्त बुद्धिजीवी सदस्य अपने सदविचारों को प्रेषित करने के लिए आदतन मजबूर है तो दूसरी ओर उन संदेशों पर टीका टिप्पणी करना दुसरे बौद्धिक वर्ग के सदस्यों की मजबूरी है। रक्त बीज की तरह सदस्यों की बढ़ रही संख्या वाले इस मायावी एफबी जगत की महिमा और माया अनंत है।