गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजस्थान में 25 लोकसभा चुनाव सीटों पर संपन्न हुए चुनावों में इस बार 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले कम मतदान हुआ है। प्रदेश की तीन लोकसभा सीटों बाड़मेर, कोटा और बांसवाड़ा डूंगरपुर के संसदीय इलाकों में ही पिछले चुनाव की अपेक्षा अधिक वोटर्स ने मतदान में उत्साह दिखाया। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों मेंसे 175 विधानसभा सीटों पर पिछले चुनाव की तुलना में कम वोट पड़े। इस बार सिर्फ 25 विधानसभा क्षेत्रों में ही पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में अधिक मतदान हुआ है। राजस्थान के दिग्गज नेताओं में से उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी के विधान सभा क्षेत्र को छोड़ कर अन्य नेताओं यहां तक मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, वसुन्धरा राजे और सचिन पायलट के विधान सभा क्षेत्रों में भी कम मतदान हुआ है।
भारतीय जनता पार्टी शुरू से ही बूथ प्रबंधन पर सबसे अधिक ध्यान देती आ रही है। यहां तक उसने पन्ना प्रमुख और उनके सहयोगी बना कर हर मतदाता को साधने का प्रयास किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपनी जनसभाओं में बार बार पार्टी कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे अधिक से अधिक वोटर्स को मतदान बूथ पर लाने की कोशिश करे ताकि पार्टी की जीत का अंतर बढ़े। इधर चुनाव आयोग भी मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए मतदाता जागरूकता अभियान चलाता आया है। इन सभी के प्रयासों के बावजूद मतदान के प्रति मतदाताओं की अनासक्ति सवालों के घेरे में आ गई है। राजस्थान में इस बार मतदान दिवसों में भीषण गर्मी और बड़ी संख्या में सावे शादी ब्याह का होना भी कम मतदान का बड़ा कारण बताया जा रहा है लेकिन बताया जा रहा है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने राजस्थान में कम मतदान पर नाराजगी जताई है। यह भी बताया जा रहा है कि राजस्थान में कम मतदान प्रतिशत के यदि प्रतिकूल परिणाम आएंगे तो भजन लाल शर्मा मंत्री परिषद के कुछ सदस्यों पर गाज भी गिर सकती है?
हालांकि प्रदेश में लोकसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं, लेकिन ये चुनाव कुछ बड़े नेताओं के लिए बेचैनी का सबब भी बन गए है। यह बेचैनी आगामी चार जून को लोकसभा चुनाव परिणाम तक बनी रहेगी और बताते है कि इसका असर भी इन नेताओं पर पड़ना तय माना जा रहा है। विशेष रूप से प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल पर तो लोकसभा चुनाव के परिणाम का असर जरूर पड़ेगा। बताते है कि चुनाव के दौरान भाजपा के शीर्ष नेताओं ने साफ कर दिया था कि मंत्रियों को अपनी सीट पर विधानसभा चुनाव के मुकाबले ज्यादा अंतर से भाजपा प्रत्याशी को जिताना है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो वे इसके परिणाम भी भुगतने को तैयार रहें।
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पार्टी ने करीब पन्द्रह विधायकों को इशारों-इशारों में यह कह दिया है कि यदि उनके क्षेत्र से पार्टी को बड़ी जीत मिलती है और पार्टी प्रत्याशी जीत जाता है तो जुलाई-अगस्त में संभावित मंत्रिमंडल फेरबदल और विस्तार में उनका कद बढ़ना तय है।
पार्टी के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने मुख्यमंत्री शर्मा के माध्यम से प्रदेश सरकार दोनों उप मुख्यमंत्रियों और 21 केबिनेट एवं राज्यमंत्रियों को यह स्पष्ट कर दिया था कि उनके विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी की जीत का अंतर बड़ा होना चाहिए। पार्टी को उम्मीद है कि 23 विधायकों को मंत्री बनाए जाने से इनके विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी को बड़ी जीत मिलेगी। पार्टी नेताओं ने तो यहां तक कह दिया था कि विधानसभा चुनाव में मंत्री जितने वोट से जीते थे। इस बार उस क्षेत्र से उससे भी बड़े अंतर से जीत होनी चाहिए।
सूत्रों के अनुसार पार्टी का शीर्ष नेतृत्व परिणाम आने के बाद मंत्रियों के बूथों की स्थिति की भी पार्टी द्वारा जांच कराई जाएगी । कई बार ऐसा देखा जा चुका है कि प्रायः नेता चुनाव तो जीत तो जाते हैं, लेकिन बाद के चुनावों में अपने खुद के बूथ पर ही हार जाते हैं।
पार्टी सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव के जो भी परिणाम आएंगे, उसका असर प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल में भी दिखेगा। जिन मंत्रियों के क्षेत्र में पार्टी की लोकसभा चुनाव में अच्छी परफॉर्मेंस रहेगी, उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी और जिनके परिणाम खराब आएंगे,उनको नुकसान उठाना पड़ सकता है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में पिछले साल नवंबर में हुए राजस्थान विधान सभा के चुनाव में उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी के विधानसभा क्षेत्र जयपुर के विद्याधर नगर में जीत का अंतर 71 हजार 368 मतों का रहा था। इसी प्रकार दूसरे उप मुख्यमंत्री
प्रेम चंद बैरवा के दूदू विधान सभा क्षेत्र में यह अंतर 35 हजार 743 वोटों का था ।
इसके अलावा भजनलाल शर्मा मंत्री परिषद के केबिनेट मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों में
किरोड़ी लाल मीना(सवाईमाधोपुर) 22510
गजेन्द्र सिंह खींवसर (लोहावट) 10549
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ( झोटवाड़ा) 5016 मदन दिलावर (रामगंजमंडी) 18422
कन्हैयालाल चौधरी (मालपुरा) 16189
जोगाराम पटेल (लूणी) 24678
सुरेश रावत ( पुष्कर ) 13869
अविनाश गहलोत (जैतारण) 13526
सुमित गोदारा (लूणकरणसर) 8869
जोराराम कुमावत (सुमेरपुर)27382
बाबू लाल खराड़ी ( झाड़ोल) 6488 और
हेमंत मीणा (प्रतापगढ़) के जीत का अंतर 25109 मतों का रहा था।
वहीं स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्रियों में जीत का अंतर संजय शर्मा (अलवर शहर) 9087
गौतम कुमार दक (बड़ी सादड़ी) 11832
झाबर सिंह खर्रा (श्रीमाधोपुर) 14459
हीरालाल नागर ( सांगोद) 25586 वोटों का रहा। इसके साथ ही राज्य मंत्रियों में
ओटाराम देवासी (सिरोही) 35805
मंजू बाघमार (जायल) 1565
विजय सिंह ( नावां) 23948
के के विश्नोई (गुढ़ामालानी) 15217 और
जवाहर सिंह बेढम (नगर) 1531 वोटों का जीत का अंतर रहा था।
देखना है राजस्थान में कम मतदान प्रतिशत के प्रतिकूल परिणाम आने पर क्या भजन लाल शर्मा मंत्री परिषद के सदस्यों पर गाज गिरेगी और अच्छे परिणाम लाने वाले विधायकों एवं सांसद प्रत्याशियों को पुरस्कृत किया जायेगा?