विनोद कुमार सिंह
अरविन्द केजरीवाल को राहत के लिए अभी इंतजार करना होगा देशवासियों के लिए बदलते हुए पर्यावरण के मियाज प्रचंड गर्मी के लोक सभा 2024 के साधारण चुनाव की सरगर्मी,राजनीति दलों के सिद्धान्त विहीन व दिशाहीन गतिविधियों से भारत राजनीति की चर्चा राजनीति के मनिषयों के संग अन्तराष्ट्रीय राजनीति पर पैनी नजर रखने चर्चा-चिन्तन व चिन्ता बन गई है।आज कल चहुँ दिशाओं एक चर्चा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा । क्या वह किसी राजनीतिक सुनियोजित षंडयत्र के तहत जेल में डाला गया है।जैसा कि आप सभी को मालुम देश में लोकसभा 24 के साधारण चुनाव सात चरणों होने जा रहा है।सात चरणों में दो चरणों चुनाव समपन्न हो गए तीसरे चरण 7 मई को होने वालि है।
चुनाव आयोग देश में निष्पक्ष चुनाव कराने की व्यस्त है।तो वही दूसरी तरफ सरकारी जाँच ऐजेन्सियों द्वारा एक सुनियोजित तरीके विपक्षी राजनीति दलों व उसके कार्यकत्ताओं को जाँच छापा व जेल में बंद करनें का अभियान चलाया हैआज हम देश की राजधानी दिल्ली के बारे में चर्चा कर रहे है।जैसा कि आप सभी को पता है देश की राजधानी दिल्ली है।जो केन्द्र शासित प्रदेश है ,लैकिन दिल्ली की अपनी विधान सभा है।जहाँ दिल्ली की जनता अपनी प्रतिनिधि को चुन कर भेजती है, वही दूसरी ओर केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप राज्यपाल की व्यवस्था की गई । ऐसे जनता के चुने हुए प्रतिनिधि व केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि में आप सी ठकराव की स्थिति देख ने को देखने की मिलती रहती है। लैकिन केन्द्र सरकार के रूप में एन डी ए की सरकार बनी – दिल्ली की जनता ने अरविन्द केजरीवाल को लगातार तीसरी अपना मुख्यमंत्री बनाया ‘ केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि वर्तमान राज्यपाल के ठकराव की ऐसी स्थिति बन गई ‘ दोनों की आपसी लड़ाई के मध्य दिल्ली की जनता परेशान है। ऐसे मामला इतना तुल पकड़ा कि मामला न्यायालय व जाँच ऐजेन्सी के चक्र बहू में फस गया है। जाँच ऐजेन्सी की आँच में मंत्री उप मुख्य मंत्री व मुख्य मंत्री को जेल की चारदीवारी तक पहुँच गये ।ऐसे ही दिल्ली की नई शराव नीति का मामला है। दिल्ली के मुख्य मंत्री व राज्यपाल अपने अधिकार क्षेत्र के लेकर देश के न्याय मन्दिर में पहुंचा।जाँच ऐजन्सी के जाल विछा कर जेल के अन्दर डाल दिया , वही अरविन्द केजरीवाल नें उनकी गिरफ्तारी को न्यायलय में चुनौती दे डाली।इसी घटना में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने अपना फैसला 7 मई के लिए सुरक्षित रख लिया है।दिल्ली के सीएम केजरीवाल को जमानत दे सकते हैं या नहीं,लेकिन आचार संहिता लागू होने के दौरान उनकी गिरफ्तारी के तर्क पर सवाल उठाया।दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की इस याचिका पर सुनवाई कर रही शीर्ष अदालत की दो जजों की बेंच ने कहा कि वे हो सकता है कि या तो 7 मई को उन्हें जमानत न दी जाएगी या न भी दी जा सकती है ,लेकिन प्रवर्तन निदेशालय को चुनाव आचार संहिता लागू होने के ठीक एक हफ्ते बाद,चुनाव के बीच में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने के अपने कृत्य के पीछे के तर्क को सही ठहराना होगा। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की दो न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि चाहे कुछ भी हो प्रवर्तन निदेशालय को चुनाव आचार संहिता लागू होने के ठीक एक सप्ताह बाद 21 मार्च को दिल्ली के मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने की अपनी कार्रवाई को उचित ठहराना होगा।
दो न्यायाधीशों की पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रवर्तन निदेशालय को इस संभावना के लिए तैयार रहना होगा कि वास्तविक चुनावों के मद्देनजर दिल्ली के सीएम को जमानत मिल भी सकती है।
हालाँकि,उन्होंने यह भी कहा कि अरविंद केजरीवाल के वकील को यह निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए कि उन्हें जमानत मिल जाएगी क्योंकि हम उन्हें जमानत दे भी सकते हैं और नहीं भी दे सकते हैं। इस संदर्भ में न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि अरविंद केजरीवाल के वकील को यह सोचना चाहिए कि उन्हें जमानत मिल रही है,हालांकि अदालत इस संभावना पर खुली है ।हालाँकि,हम किसी भी तरह से कुछ नहीं कह रहे हैं,कि हम जमानत देंगे या नहीं, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा।
सर्वविदित रहे कि जनता द्वारा निर्वाचित दिल्ली के लोकप्रिय मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को विगत 21 मार्च को दिल्ली सरकार की नई आबकारी पुलिस द्वारा किए गए शराब घोटाले में उनकी कथित संलिप्तता के कारण गिरफ्तार किया गया था।
जाँच पहले दिल्ली के सीएम को किंगपिन बताया था, जबकि जेल में बंद दिल्ली के सीएम ने अपनी गिरफ्तारी को पूरी तरह से मनमाना और अवैध बताया है, जो पहली बार लोकतंत्र के सिद्धांतों को नष्ट करने वाला था।
वर्तमान में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया और अरविंद केजरीवाल दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति से उपजे शराब घोटाले के सिलसिले में जेल में हैं और सिसौदिया एक साल से अधिक समय से जेल में हैं।पूर्व मंत्री सत्येन्द्र जैन भी पीएमएलए के मामले में दो साल से अधिक समय से तिहाड़ जेल में हैं।दूसरी बार राज्यसभा सांसद संजय सिंह करीब तीन महीने तक तिहाड़ जेल में रहे लेकिन अब जमानत पर बाहर हैं।जमानत पर बाहर आने के बाद उनका जोरदार स्वागत किया गया।संजय सिंह ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि यह सीधे तौर पर लोकतंत्र की हत्या का मामला है क्योंकि जिस मामले में वह तिहाड़ जेल के अंदर हैं,उनके खिलाफ एक भी सबूत नहीं मिला है।फिलहाल देश की राजनीति के बदलते घटना क्रम में जिस तरह केन्द्र की सतारूढ़ सरकार अपने विरोधी राजनीति दलो के नेताओं पर दबाब बना कर , जाँच ऐजेन्सी का डर ‘ पद व पदोन्नति का प्रलोभन देकर भले उन पर किसी प्रकार आरोप लगा – विपक्षी नेताओ के खिलाफ दबाव व डर बनाकर सरकारी गवाह बनाकर -हथकड़ा बनाया ‘ यह किसी से भी नही छुपी है। 7 मई को माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आना वाला है तीसरे चरण का मतदान भी ‘ ऐसे अन्तिम फैसला देश की जनता जर्नादन को करना है। फिलहाल इसके लिए आप को इंतजार करना होगा।