केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राजस्थान चुनाव परिणामों को लेकर दिए गए बयान के क्या है सियासी मायने?

What is the political meaning of Union Home Minister Amit Shah's statement regarding Rajasthan election results?

  • क्या इस बार भाजपा राजस्थान के लोकसभा चुनाव में विजयी हैट्रिक जड़ने से चूक जाएगी?

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चाणक्य और भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़े रणनीतिकारों में से एक केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया है कि इस बार राजस्थान में भाजपा की एक-दो सीटें कम हो सकती है। इसका अर्थ यह है कि भाजपा का देश के सबसे बड़े भौगोलिक प्रदेश राजस्थान में लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव और प्रदेश की सभी 25 सीटें जीत विजयी हैट्रिक जड़ने में संशय पैदा हो गया है।

भाजपा नेता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक टीवी इंटरव्यू में सार्वजनिक रूप से इस बात को स्वीकार किया कि राजस्थान में इस बार हमारी सीटें कम होंगी। शाह ने कहा कि राजस्थान में हमारी विजयी सीटों में एक-दो सीटों की बहुत कम कटौती हो सकती है। हालांकि अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लोकसभा चुनावों में अबकी बार 400 पार सीटों के सवाल के जवाब में आत्मविश्वास भरे स्वरों में कहा कि आप नतीजे आने दीजिए, चौंक जाएंगे। 400 का आंकड़ा आएगा। महाराष्ट्र में भी हम 40 के आस-पास सीट जीतेंगे। इसके अलावा मध्य प्रदेश,उत्तराखंड,जम्मू-कश्मीर,दिल्ली, गुजरात,कर्नाटक आदि में हम शत प्रतिशत रिपीट करेंगे। राजस्थान में हमारी बहुत कम कटौती एक-दो सीटों की हो सकती है। उत्तर प्रदेश में हम 5 से 7 सीट की बढ़ोतरी करेंगे। उड़ीसा में 16 के आस-पास तक जा सकते हैं। असम में भी हम 12 को क्रॉस करेंगे।

लोकसभा चुनावों के आगामी चार जून को आने वाले चुनाव परिणामों से पहले गृह मंत्री शाह के इस बयान को सियासी रूप से काफी अहम माना जा रहा है। राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटों के लिए दो चरणों में विगत 19 और 26 अप्रैल को मतदान संपन्न हो गए हैं । उसके बाद से लगातार राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोरों से हो रही है कि क्या भाजपा पिछले दो लोकसभा चुनावों की तरह इस बार भी राजस्थान की सभी 25 सीटों पर विजय की पताका लहरा पाएगी या नहीं? भाजपा के असली चुनावी व्यूह रचनाकार अमित शाह का बयान ऐसे वक्त में आया है जब देश में 18वीं लोकसभा लिए चुनाव के पांच चरणों के लिए मतदान होना अभी भी बाकी है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि कांग्रेस और इंडी गठबंधन के अन्य दल इसे चुनावी बहस का मुद्दा बना सकते है।

अमित शाह देश के गृह मंत्री है और उनके पास केंद्रीय इंटेलिजेंस ब्यूरो सहित कई अन्य केंद्रीय खुफिया एजेंसियां है जो प्रतिदिन देश प्रदेश के राजनीतिक और जमीनी हालातों की सीधी रिपोर्ट उनके मंत्रालय को प्रेषित करती है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के इस तेज तर्रार चाणक्य का यह बयान अनायास ही नही आया है। इसके पीछे उन्हे खुफिया एजेंसियां के साथ राजनीतिक विशेषज्ञों और आम कार्यकर्ताओं का फीड बेक अवश्य मिला होगा जिसके आधार पर उन्होंने यह बयान दिया है। राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गहलोत की राजस्थान कांग्रेस सरकार को लेकर ऐसा ही एक सटीक बयान दिया था जो बाद में भाजपा को प्रदेश में मिली विजय के पश्चात सही साबित हुआ। ऐसे में राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं के बयानों के अपने अहम और गुढ़ मायने होते है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजस्थान में कांग्रेस के मुकाबले भाजपा के नियोजित चुनाव केम्पेन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा एवं अन्य केंद्रीय मंत्रियों और नेताओं के साथ ही उत्तर प्रदेश के फायर बिग्रेड मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ और अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के धुंआधार दौरे और बड़ी संख्या में कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं के भाजपा में शामिल होने के बावजूद इस बार प्रदेश में पिछले बार के मुकाबले मतदान का प्रतिशत करीब 5 प्रतिशत कम रहा। राष्ट्रीय मुद्दों पर स्थानीय मुद्दे हावी रहें। प्रदेश में पिछले दो चुनावों की तरह इस बार मोदी की वह जबरदस्त आंधी नहीं दिखी। प्रदेश में इस बार पहले से अधिक जातिवाद समीकरण हावी रहें। विशेष कर जाट,गुर्जर, मीणा, आदिवासी, ओबीसी,एसटी,एससी यहां तक कई जगह वैश्य, ब्राह्मण, राजपूत आदि स्वर्ण वोटर्स भी भाजपा के साथ पूरी तरह जुड़े नहीं दिखें जबकि कांग्रेस और सहयोगी दलों का अल्प संख्यक और परंपरागत वोट इंटेक्ट रहा। प्रदेश के कई बड़े नेता जैसे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत,भूपेंद्र यादव,अर्जुन राम मेघवाल एवं कैलाश चौधरी,प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी के अलावा पूर्व प्रतिपक्ष नेता राजेंद्र राठौड़,पूर्व उप नेता प्रतिपक्ष डॉ सतीश पूनिया आदि के अलावा प्रदेश में अपनी एक अलग ही राजनीतिक हैसियत रखने वाली दो बार मुख्यमंत्री रही वसुन्धरा राजे भी अपने अपने संसदीय क्षेत्रों अथवा इलाकों में ही बंध गए और चुनाव प्रचार के लिए विधानसभा चुनाव की तरह एक टीम के रूप में बाहर नही निकल पाए। इधर कांग्रेस ने राजनीतिक चतुराई दिखाते हुए रालौपा ,भारतीय आदिवासी पार्टी, वामपंथी दल आदि से गठबंधन काट जातिगत राजनीति को साधने का प्रयास किया। पूर्व विधान सभा अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी और सात विधायकों के अलावा अधिकाश नए और युवा चेहरे मैदान में उतारे तथा विधान सभा चुनाव से इतर कांग्रेस नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने सामूहिक और पृथक-पृथक रूप से दर्जनों लोकसभा सीटों पर चुनाव प्रचार किया।

राजस्थान में कांग्रेस और सहयोगी दलों की ओर से शुरू से प्रदेश की आधी से ज्यादा सीटें जीतने के दावे किए जा रहे है और अब जब राजस्थान लोकसभा चुनावों में भाजपा की हैट्रिक पर खुद केंद्रीय गृह मंत्री और पार्टी के सबसे बड़े रणनीतिकार अमित शाह ने ही सवाल उठा दिए हैं तो राजनीतिक क्षेत्र में इस धारणा को हवा मिल रही है कि राजस्थान में कांग्रेस और उनके सहयोगी दल इस बार दस वर्षों के सूखे के बाद अपना खाता खोलने जा रहे है।

हालांकि प्रदेश के भाजपा नेताओं का दावा है कि हम इस बार भी राजस्थान की सभी 25 में से 25 सीटों पर जीत रहें है । उधर फलोदी के सट्टा बाजार के अनुसार, राज्य की 25 में से 18-20 सीटों पर भाजपा मजबूत स्थिति में है जबकि बाकी सीटों पर इस बार बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है.l। फलोदी के एक सटोरिये के मुताबिक राजस्थान की सीमावर्ती बाड़मेर-जैसलमेर, सीकर, झुंझुनू, नागौर, टोंक-सवाई माधोपुर, दौसा, करौली-धौलपुर आदि में कांग्रेस और सहयोगी दल मजबूत स्थिति में है जबकि चुरू एवं भरतपुर में दोनों पार्टियों के मध्य कांटे की टक्कर है।श्रीगंगानगर,जालौर-सिरोही और बांसवाड़ा- डूंगरपुर में भी जबरदस्त मुकाबला बताया जा रहा है।

राजस्थान में एक तरफ फलोदी सट्टा बाजार भाजपा को 5-7 सीटों के नुकसान की संभावना जता रहा है तो वहीं केंद्रीय मंत्री अमित शाह बीजेपी को 1-2 सीटों के नुकसान की बात कर रहे हैं. हालांकि अभी से कुछ भी कहना जल्दबाजी ही होगी। लोकसभा चुनावों का परिणाम आगामी 4 जून को आएगा उसके बाद सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। साथ ही यह भी पता लग जाएगा कि भाजपा राजस्थान में एक बार फिर से अपनी जीत को दोहरा पाएगी या दस वर्षों बाद कांग्रेस कुछ सीटें जीतने में कामयाब हो पाएगी?

ऐसे हालातों में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राजस्थान चुनाव परिणामों को लेकर दिए गए बयान के सियासी मायने क्या है और क्या कांग्रेस और सहयोगी दलों के राजस्थान के रण में जीत का खाता खुलने से इस बार भाजपा राजस्थान में जीत की हैट्रिक जड़ने से चूक जाएगी?